Coronavirus: दिल्ली में वाहनों की कमी से उप-राज्यपाल के आदेश के पालन में हो रही परेशानी: अधिकारी

By अनुराग आनंद | Published: June 23, 2020 03:14 PM2020-06-23T15:14:25+5:302020-06-23T15:14:25+5:30

दिल्ली में कोरोना मरीजों को पहले सरकारी कोविड-19 सेंटर ले जाया जाता है, जहां डॉक्टर इस बात की जांच करते हैं कि मरीज को घर में रहने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं। इसके बाद ही मरीज को घर या अस्पताल में क्वारंटीन करने की अनुमति मिलती है।

Coronavirus: Problems in complying with the order of Lt. Governor due to lack of vehicles in Delhi: Official | Coronavirus: दिल्ली में वाहनों की कमी से उप-राज्यपाल के आदेश के पालन में हो रही परेशानी: अधिकारी

कोरोना वायरस (फाइल फोटो)

Highlightsदिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम आदेश को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।" अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में कोई नियम तय नहीं है कि कैसे संक्रमित मरीज चिकित्सकीय आकलन के लिए कोविड देखभाल केंद्र तक पहुचेंगे।कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार को ऐसे मरीजों को केंद्रों तक पहुंचाने के लिए कम से कम 1,000 एम्बुलेंस की जरूरत है।

नयी दिल्ली: दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा कोविड-19 मरीजों को घर में पृथक-वास में रखने के संबंध में दिए गए आदेश का अनुपालन करने में अधिकारियों को परेशानी आ रही है क्योंकि मरीज को कोविड-19 देखभाल केंद्र तक पहुंचाने के लिए न तो पर्याप्त वाहन हैं और न ही इस संबंध में नियम तय हैं कि मरीजों को देखभाल केंद्र तक कौन पहुंचाएगा।

राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए उपराज्यपाल ने कोविड-19 के प्रत्येक मरीजों के लिए पांच दिन का संस्थानिक पृथक-वास अनिवार्य कर दिया था लेकिन आप सरकार द्वारा विरोध के एक दिन बाद इसे वापस ले लिया गया।

कोविड-19 देखभाल केंद्र में रोगियों को जांच कर उसे घर में क्वारंटीन की मिलेगी इजाजत 

अब वैसे सभी मरीज जो कोविड-19 से संक्रमित पाए जाएंगे, उनकी जांच कोविड-19 देखभाल केंद्र में पहले की जाएगी ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि उन्हें अस्पताल में रखने की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा इसकी भी जानकारी हासिल की जाएगी कि मरीज के घर में ही पृथक-वास में रहने की पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं।

इस संबंध में पृथक नीतियों को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक होनी थी लेकिन सोमवार को यह बैठक नहीं हो पाई। इस आदेश को लागू करने के दौरान कई चीजें सामने आईं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम आदेश को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस संबंध में कोई नियम तय नहीं है कि कैसे संक्रमित मरीज चिकित्सकीय आकलन के लिए कोविड देखभाल केंद्र तक पहुचेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अभी हमारे पास जो वाहन उपलब्ध है उस से ही मरीजों को केंद्रों तक भेजा जा रहा है।’’ वहीं एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्होंने मरीजों को कोविड-19 केंद्रों तक पहुंचाने की व्यवस्था की है लेकिन बढ़ते मामलों को देखते हुए इस आदेश को लागू करवा पाना मुश्किल हो रहा है।

प्रशासन ने मरीजों को कोविड-19 केंद्रों तक पहुंचाने के लिए कैब को किराए पर लिया

एक जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि प्रशासन ने कोविड-19 मरीजों को इन केंद्रों तक पहुंचाने के लिए कैब को किराए पर लिया है। जिला मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘ सरकार द्वारा 465 एम्बुलेंस लगाए गए हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार को ऐसे मरीजों को केंद्रों तक पहुंचाने के लिए कम से कम 1,000 एम्बुलेंस की जरूरत है।’’

राष्ट्रीय राजधानी में 12,900 मरीज घर में ही पृथकवास में हैं। हालांकि इनमें से कई अभी कई ऐसे आकलन केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए हैं। इन मरीजों के पास इस बात को लेकर भी स्पष्टीकरण नहीं है कि इन्हें इन केंद्रों तक कौन ले जाएगा।

कोरोना संक्रमित मीडिया कर्मी ने बताया कि कोविड-19 सेंटर तक पहुंचने की नहीं है सुविधा

एक मीडियाकर्मी जो 19 जून को संक्रमित पाए गए थे, वह अभी घर में ही पृथक-वास में रह रहे हैं लेकन अभी इस बात को लेकर उनके पास कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि वह कोविड-19 देखभाल केंद्र तक कैसे पहुंचेंगें।

उन्होंने कहा, ‘‘ सरकारी अधिकारी रोजाना मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते हैं लेकिन उन्होंने कोविड-19 देखभाल केंद्र तक पहुंचाने का जिक्र नहीं किया है। मुझे शुरुआती दो दिन में तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ हुई लेकिन अब बुखार कम हो चुका है।’’ 

(पीटीआई से इनपुट)

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