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कोरोना वायरस: इंदौर के दो सरकारी अस्पतालों में जल्द शुरू होगा प्लाज्मा थैरेपी का परीक्षण

By भाषा | Updated: April 29, 2020 04:32 IST

गौरतलब है कि इंदौर का निजी क्षेत्र का श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) पहले ही घोषणा कर चुका है कि वह कोविड-19 के तीन गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग कर रहा है।

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ठळक मुद्देआधिकारिक जानकारी के मुताबिक इंदौर जिले में अब तक इस महामारी के 1,372 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 63 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि उपचार के बाद ठीक होने पर 177 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। 

इंदौर: देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर के दो सरकारी अस्पतालों में इस महामारी के गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का परीक्षण शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) आकाश त्रिपाठी ने मंगलवार को बताया, "हम मनोरमा राजे टीबी (एमआरटीबी) चिकित्सालय और महाराजा तुकोजीराव होलकर (एमटीएच) चिकित्सालय में कोविड-19 के गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का परीक्षण शुरू करने की तैयारी की दिशा में आगे बढ़ गये हैं।"

उन्होंने कहा, "हम तय औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसकी सूचना भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को दे चुके हैं। जैसे ही हमें आईसीएमआर की अंतिम मंजूरी मिलती है, हम दोनों सरकारी अस्पतालों में प्लाज्मा थैरेपी का परीक्षण शुरू कर देंगे।"

गौरतलब है कि इंदौर का निजी क्षेत्र का श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) पहले ही घोषणा कर चुका है कि वह कोविड-19 के तीन गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग कर रहा है। जानकारों ने बताया कि कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके लोगों के खून में "एंटीबॉडीज" बन जाती हैं जो भविष्य में इस बीमारी से लड़ने में उनकी मदद करती हैं।

उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए व्यक्ति के खून से प्लाज्मा अलग किया जाता है। फिर इस स्वस्थ व्यक्ति के प्लाज्मा को महामारी से जूझ रहे मरीज के शरीर में डाला जाता है ताकि उसे ठीक होने में मदद मिल सके।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इंदौर जिले में अब तक इस महामारी के 1,372 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 63 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि उपचार के बाद ठीक होने पर 177 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। 

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