कोरोना महामारी का रणथंभौर टाइगर रिजर्व पर भी असर, देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी

By अनुभा जैन | Published: April 1, 2021 09:01 AM2021-04-01T09:01:53+5:302021-04-01T09:58:17+5:30

जयपुर से 150 किमी दूर व सवाई माधोपुर से महज 14 किमी के दूरी पर स्थित रणथंभौर, अरावली और विंध्याचल पहाड़ियों के मध्य में स्थित है।

Coronavirus pandemic impact on Ranthambore Tiger Reserve decrease in tourists number | कोरोना महामारी का रणथंभौर टाइगर रिजर्व पर भी असर, देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी

रणथंभौर टाइगर रिजर्व पर कोरोना की मार

Highlightsकोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण रणथंभौर में पर्यटकों की संख्या में आई कमीपिछले एक साल में 1,93,092 देशी विदेशी पर्यटक ही रणथंभौर आए, इसके पहले ये संख्या 4 लाख के पार थीरणथंभौर टाइगर रिजर्व में अभी करीब 70 बाघ हैं, 1700 वर्ग किमी में फैला ये टाइगर रिजर्व

कोरोना महामारी और दुनिया भर के देशों में लगे लॉकडाउन का असर रणथंभौर नेशनल पार्क/टाइगर रिजर्व पर भी पड़ा है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व के अधिकारिक डेटा के अनुसार जहां अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच कुल 1,93,092 देशी विदेशी पर्यटकों ने रिजर्व का भ्रमण किया। वहीं 2019-20 के करीब यह आंकड़ा करीब 4 लाख 35 हजार से अधिक पर्यटकों की संख्या को छू रहा था।

कोरोना की गाइडलाइंस को अपनाते हुए मार्च से जून तक के लाकडाउन के बाद एक बार फिर 1 जुलाई 2020 से टाइगर रिजर्व सोशल डिसटेंसिंग, मास्क के प्रयोग, टैम्परेचर चैक और सेनिटाइज्ड सफारी के साथ पर्यटकों को लिये खोला गया था। 

मानसून के तीन माह के अंतराल के बाद टाइगर रिजर्व 1 अक्टूबर 2020 से पर्यटकों के लिये एक बार फिर अपने द्वार खोल चुका है पर पर्यटकों की संख्या में कमी साफ देखी जा सकती है।

गौरतलब है कि रणथंभौर देश की अर्थव्यवस्था में भी भारी योगदान करता आया है। 1985 में महज 4 हजार पर्यटकों से बढ़कर टाइगर रिजर्व 2017 के विश्लेषण के अनुसार 4.5 लाख पर्यटकों के माध्यम से साल की 23 करोड रूपये की राशि अर्जित कर सबसे अधिक कमाई वाला रिजर्व बना था। 

पर्यटकों की संख्या में गिरावट से राजस्व को नुकसान

कोरोना महामारी के चलते विदेशी पर्यटकों के भारत आगमन पर भी असर पड़ा है। इससे भी टाइगर रिजर्व की आय को भारी नुकसान पहुंचा है। 

साल 2019-20 के मध्य जहां करीब 1,42,953 विदेशी पर्यटकों ने टाइगर रिजर्व का भ्रमण किया। वहीं 2020-21 में भारी गिरावट के साथ यह संख्या मात्र 591 रह गई। 

इसी तरह से करीब 2,92,433 देशी पर्यटकों के साथ यह संख्या 2020-21 में घट कर महज 1,92,501 पर आंकी गयी। महामारी के चलते टाइगर रिजर्व से जुड़े कई गाइड, टूर ऑपरेटर्स, होटल चलाने वालों को भी अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।

बाघों का अवैध शिकार भी बढ़ा!

परिवार का पेट पालने के लिए और लोगों की नौकरियां जाने से टाइगर पोचिंग यानी बाघों का अवैध शिकार भी बढा।

रणथंभौर टाइगर रिर्जव के चीफ कंर्सवेटर ऑफ फॉरेस्ट और फिल्ड डायरेक्टर टीकम चंद वर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी का जानवरों पर प्रभाव अभी तक तो महसूस नहीं किया गया है। बल्कि टाइगर पोचिंग या बाघों का अवैध शिकार आज के समय में इस महामारी से ज्यादा भयावह है। 

उन्होने आगे जानकारी देते हुये कहा कि रिजर्व में अभी करीब 70 बाघ हैं जो 2017 में 64 थे जिसमें 45 वयस्क बाघ और 19 शावक बाघ शामिल थे।

बहरहाल, रिजर्व का लॉकडाउन के एक विराम के बाद खुलना सभी विशेषकर गाइडस व टूर ऑपरेटर्स के लिये हर्ष का विषय है। 

रणथंभौर टाइगर रिजर्व 1700 वर्ग किमी में है फैला

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाई मानसिंह अभयारण्य, कैलादेवी अभयारण्य व आसपास के गांवों को मिलाकर वृहद अभय वन या रणथंभौर टाइगर रिजर्व 1700 वर्ग किमी. क्षेत्रफल के विशाल क्षेत्र में बिखरा हुआ है। 

साल 2006 में भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 में संशोधन कर कोर व बफर क्षेत्रों के रूप में रिजर्व का वर्गीकरण किया गया है। कोर क्षेत्र रिजर्व के 1113 वर्ग किमी क्षेत्र के साथ बाघों का बेहद खतरनाक इलाका माना जाता है। 

वहीं 298 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले बफर क्षेत्र में मनुष्य के भी सह-अस्तित्व पर कोई रोक नहीं हैं। रिजर्व को पर्यटन की दृष्टि से 10 जोन में विभाजित किया हुआ है।

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