...तो दशहरी के जायके से महरूम रहेगी बाकी दुनिया, भारी घाटे की आशंका में डूबे आम बागवान

By गुणातीत ओझा | Published: April 16, 2020 03:54 PM2020-04-16T15:54:28+5:302020-04-16T15:54:28+5:30

कोविड—19 संक्रमण के मद्देनजर दुनिया के अनेक देशों में जारी लॉकडाउन के कारण ये मुल्क दशहरी समेत तमाम किस्मों के आम के जायके से महरूम रह जाएंगे। इससे परेशान हिन्दुस्तान के आम उत्पादकों को पूर्णबंदी के चलते लागू बंदिशों की वजह से फसल के बरबाद होने की आशंका भी सता रही है।

coronavirus impact world will be bereft of flavors of Dussehari the mango gardener immersed in the possibility of huge losses | ...तो दशहरी के जायके से महरूम रहेगी बाकी दुनिया, भारी घाटे की आशंका में डूबे आम बागवान

कोरोना वायरस के चलते इस साल आम की सप्लाई पिछले साल की तुलना में आधी है।

Highlightsकोविड—19 संक्रमण के मद्देनजर दुनिया के अनेक देशों में जारी लॉकडाउन के कारण ये मुल्क दशहरी समेत तमाम किस्मों के आम के जायके से महरूम रह जाएंगे।दशहरी आम अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, सिंगापुर, ब्रिटेन, बांग्लादेश, नेपाल तथा पश्चिम एशिया के लगभग सभी देशों में निर्यात होता है।

लखनऊ। कोविड—19 संक्रमण के मद्देनजर दुनिया के अनेक देशों में जारी लॉकडाउन के कारण ये मुल्क दशहरी समेत तमाम किस्मों के आम के जायके से महरूम रह जाएंगे। इससे परेशान हिन्दुस्तान के आम उत्पादकों को पूर्णबंदी के चलते लागू बंदिशों की वजह से फसल के बरबाद होने की आशंका भी सता रही है। लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम होने से मौजूदा मौसम आम की फसल के लिये सही तो है लेकिन सिंचाई और दवा के छिड़काव के लिये मजदूर न मिल पाने की वजह से फसल खराब होने की आशंका भी है। साथ ही आम बागवानों को यह भी डर है कि अगर लॉकडाउन लम्बा खिंचा तो आम मंडियों तक नहीं पहुंच पाएगा। तब या तो वह डाल पर ही सड़ जाएगा, या फिर कौड़ियों के भाव बिकेगा।

‘‘मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन आफ इंडिया’’ के अध्यक्ष इंसराम अली ने लॉकडाउन के कारण उपजी स्थितियों पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए बृहस्पतिवार को 'भाषा' को बताया कि लॉकडाउन के कारण मजदूर न मिलने की वजह से आम की सिंचाई नहीं हो पा रही है। पूर्णबंदी की वजह से आम को सुरक्षित रखने के लिये पेटियां बनाने वाली फैक्ट्रियां भी बंद हैं। ऐसे में जब एक जिले से दूसरे जिले तक में आम पहुंचाना मुमकिन नहीं है, तो दूसरे देशों में उसका निर्यात करना खामख्याली ही है। उन्होंने कहा कि इस बार पूरी आशंका है कि दुनिया के बाकी देश लखनवी दशहरी समेत आम की तमाम किस्मों के जायके से महरूम रह जाएंगे।

दशहरी आम अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, सिंगापुर, ब्रिटेन, बांग्लादेश, नेपाल तथा पश्चिम एशिया के लगभग सभी देशों में निर्यात होता है। पिछले साल करीब 40 हजार मीट्रिक टन आम निर्यात हुआ था। इस साल किसान सोच रहा है कि लॉकडाउन में उसका आम स्थानीय बाजार में ही पहुंचकर बिक जाए तो बड़ी बात होगी। अली ने कहा कि इस साल प्रदेश में 30—35 लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन होने की उम्मीद है। हालांकि अभी आम की फसल पूरी तरह तैयार होने में एक महीना बाकी है लेकिन अगर 20-25 दिन ऐसे ही लॉक डाउन रहा तो हालात बहुत खराब हो जाएंगे। तब सड़ने से बचा आम सड़कों पर फेंकना पड़ेगा, क्योंकि यह कोई सब्जी या दवा नहीं है कि लोग उसे खरीदें ही।

उन्होंने सरकार से मांग की कि वह आम उत्पादकों को भी किसानों की ही तरह लॉकडाउन में छूट दे, ताकि वे बागों में जाकर अपना काम कर सकें। साथ ही वह गेहूं और धान की तरह आम का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर उसे खरीदे ताकि आम के उत्पादकों को बरबाद होने से बचाया जा सके। मशहूर आम बागवान कलीम उल्ला ने कहा कि हालात यूं ही रहे तो आम की फसल मंडियों तक नहीं पहुंच पायेगी। तब आम बागों में ही सड़ जाएगा। अगर सरकार ने आम को मंडी में लाने की व्यवस्था की, तो भी उसे तौलने और बेचने के लिये मजदूर नहीं मिलेंगे। उन्होंने कहा कि निर्यात नहीं होने की वजह से आम स्थानीय बाजारों में कौड़ियों के दाम बिकेगा। दोनों ही सूरत में आम उत्पादक का बरबाद होना तय है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ स्थित मलीहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद, सहारनपुर, मेरठ तथा बुलंदशहर समेत करीब 15 मैंगो बेल्ट हैं। पूरे देश का करीब 23 प्रतिशत आम उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है।

हैदराबाद में आम व्यापारियों का कहना है कि उनका व्यापार कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण हर साल की तुलना में बेहद कम है। फ्रूट कमीशन एजेंट के वाइस प्रेसिडेंट ज्ञानेश्वर कहते हैं, "इस साल आम की सप्लाई पिछले साल की तुलना में आधी है। कोरोना वायरस के चलते खरीदार भी नहीं आ रहे हैं। हम मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।"

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