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कोरोना कालः एक से दूसरे अस्पताल के बीच चक्कर काट रोगी, कैंसर, डायललिसिस, सर्जरी और हृदय रोग संबंधी परेशान

By एसके गुप्ता | Updated: September 30, 2020 20:50 IST

चिकित्सकों की ओर से यही कहा जा रहा है कि टेस्ट कराकर रपट भेजिए और पुरानी दवाएं लेते रहिए। ब्लड व अन्य टेस्ट रपट देखकर अगर जरूरी होगा तो दवाओं में बदलाव कर दिया जाएगा, वरना कोरोना संक्रमण से बचते हुए घर पर ही रहिए अस्पताल का चक्कर मत लगाइए।

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ठळक मुद्देएक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच चक्कर काट रहे हैं लेकिन उपचार नहीं मिल रहा। अधिकारी ने लोकमत से कहा कि कोरोना से जंग में फ्रंट फाइटर बनकर सामने आए स्वास्थ्य कर्मी खुद इस संक्रमण से जूझ रहे हैं।सभी 21 विभाग की ओपीडी शुरू है। हर विभाग की ओपीडी में 60 रोगियों की संख्या सुनिश्चित की गई है।

नई दिल्लीः गैर कोविड कैंसर, डायलिसिस, सर्जरी और हृदय रोग से परेशान रोगी अस्पतालों के बीच पेंडुलम बने हुए हैं। ये एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बीच चक्कर काट रहे हैं लेकिन उपचार नहीं मिल रहा। ऐसे रोगियों के लिए फिलहाल टेलीकाउंसिलंग ही एकमात्र सहारा है।

इन्हें चिकित्सकों की ओर से यही कहा जा रहा है कि टेस्ट कराकर रपट भेजिए और पुरानी दवाएं लेते रहिए। ब्लड व अन्य टेस्ट रपट देखकर अगर जरूरी होगा तो दवाओं में बदलाव कर दिया जाएगा, वरना कोरोना संक्रमण से बचते हुए घर पर ही रहिए अस्पताल का चक्कर मत लगाइए।

संक्रमण की चपेट में आने से परेशानी ओर बढ़ जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत से कहा कि कोरोना से जंग में फ्रंट फाइटर बनकर सामने आए स्वास्थ्य कर्मी खुद इस संक्रमण से जूझ रहे हैं। दिल्ली एम्स जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल में ओपीडी शुरू हुई थी लेकिन संक्रमण के चलते बीच-बीच में उसे भी बंद करना पड़ रहा है। एम्स ओपीडी प्रभारी डा. निरूपमा मदान ने लोकमत से बातचीत में कहा कि सभी 21 विभाग की ओपीडी शुरू है। हर विभाग की ओपीडी में 60 रोगियों की संख्या सुनिश्चित की गई है।

कम संख्या में रोगियों को बुलाने का मकसद उन्हें संक्रमण से बचाना है। इन रोगियों की हर विभाग में एंट्री से पहले स्क्रीनिंग की जाती है। फिलहाल तय अप्वाइंटमेंट में से औसतन 65 फीसदी रोगी ही उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसकी वजह यह भी है कि रोगियों को टेली काउंसलिंग के जरिए सलाह दी जाती है।

पुराने रोगियों को देखने की जरूरत होती है तभी उन्हें बुलाया जाता है। एम्स प्रशासन के अनुसार हर दिन 1200 से अधिक रोगियों को टेली मेडिसन काउंसलिंग दी जा रही है। आरएमएल अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़नी शुरू हुई है। यहां जुलाई माह में यहां 3 से चार हजार मरीज आते थे।

सितंबर माह से अस्पताल में सात से आठ हजार मरीज आने लगे हैं। सफदरजंग अस्पताल में एक जुलाई से 29 सितंबर तक 1.5 लाख रोगी उपचार के लिए आए हैं। इनमें 85 हजार नए रोगी हैं। पिछले साल इस समय अंतराज में करीब चार लाख रोगी उपचार के लिए आए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दो लाख से ज्यादा रोगियों को कोरोना काल में टेलीमेडिसन काउंसलिंग दी जा चुकी है। 

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