नई दिल्लीः दिल्ली में 26 जून से 4 जुलाई तक हुए सीरो-सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। इसमें खुलासा हुआ है कि दिल्ली की 23.48 फीसदी आबादी कोरोना संक्रमित हो चुकी है। जिससे इन लोगों के अंदर कोरोना की एंटीबॉडी मिली है।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डा. सुजीत कुमार सिंह ने कहा है कि अभी यह कहना मुश्किल है कि 23.48 फीसदी जिन लोगों में एंटी बॉडी विकसित हुई है वह हार्ड इम्युनिटी होने के कारण कोरोना के शिकार नहीं होंगे या फिर वह कोरोना से सुरक्षित हैं। फिलहाल इस बात की स्टडी हो रही है।
कोरोना नेशनल टास्क फोर्स के चेयरमैन और नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने कहा कि दिल्ली के 77 फीसदी लोग कोरोना संक्रमण से दूर हैं। यह अच्छी बात है लेकिन इससे बचने के लिए अभी भी अहतियात बरतने की जरूरत है।
सीरो-सर्वे पर मंगलवार को रपट जारी करते हुए यह जानकारी उन्होंने दी। एनसीडीसी और आईसीएमआर की ओर से किए गए सीरोलॉजी टेस्ट में उन लोगों को ही शामिल किया गया था, जिनमें कोई लक्षण नहीं थे। जिन्हें, पहले कोरोना नहीं हुआ था।
अलग-अलग उम्र व इलाके के लोगों को शामिल किया गया है
इसमें अलग-अलग उम्र व इलाके के लोगों को शामिल किया गया है। दिल्ली के सभी 11 जिलों से कुल 21,387 सैंपल एकत्रित किए गए थे। सभी सैंपल को नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) को भेज गया था। एनसीडीसी ने सैंपल की जांच करने के बाद ये रिपोर्ट सौंपी है।
सर्वे की शुरुआत दक्षिणी पूर्वी जिले के कंटेनमेंट जोन से हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे सभी 11 जिलों में एलिसा किट से ये सर्वे किया गया। एनसीडीसी के निदेशक डा.सुजीत कुमार सिंह ने कहा कि सर्वे से यह पता लगा है कि संक्रमण कम्युनिटी में कितना फैला है। इससे इसको रोकने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जा सकेगी। यह सर्वे नोडल अधिकारी की देखरेख में किया गया था।
इन इलाकों में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने लोगों से उनके विषय में जानकारी ली थी। इन लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे। यह एक तरीके का रैंडम सर्वे था, जिसमें अभी 11 जिलों में हर चौथे घर में से ब्लड सैंपल लिया गया। 11 जिलों में मिलाकर कुल 21,387 लोगों के सैंपल लिए गए।
सरकार ने कहा है कि यह सर्वे दिल्ली के हालात जानने के लिए किए गए थे और इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार कोरोना रोकने के अपने प्रयासों को धीमा कर दे। मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालने करने जैसे निमयों का पालन अब भी करना पड़ेगा।
दिल्ली में जून माह के पहले सप्ताह में हालात काफी चिंता जनक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने कहा कि दिल्ली में जून माह के पहले सप्ताह में हालात काफी चिंता जनक थे। रोजाना 9 से साढे 9 हजार टेस्ट हो रहे थे। जिसमें पॉजिटिविटी दर 37 फीसदी आ रही थी। हालातों को दुरूस्त करने के लिए एक टीम बनाई गई। इस टीम में नेशनल टास्क फोर्स के चेयरमैन डा.वीके पॉल, एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ओर आईसीएमआर के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव शामिल थे। जिन्होंने कोरोना नियंत्रण के लिए टेस्टिंग बढ़ाने और कंटेनमेंट जोन बनाकर उपचार की युक्ति बनाई। जिसका लाभ यह हुआ है कि जुलाई माह के प्रथम सप्ताह तक रोजाना 25 हजार टेस्ट हुए और पॉजिटिविटी दर 9 फीसदी पर आ गई।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि औसतन, पूरी दिल्ली में आईजीजी एंटीबॉडी की मौजूदगी 23.48 प्रतिशत है। यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि कई संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं थे।” मंत्रालय ने कहा, “इसका अर्थ है कि वैश्विक महामारी के करीब छह माह के प्रसार के दौरान, दिल्ली में केवल 23.48 प्रतिशत लोग ही प्रभावित हुए जबकि शहर में घनी आबादी वाले कई इलाके हैं।”
मंत्रालय ने इसका श्रेय संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन, नियंत्रण एवं निगरानी के उपाय, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने समेत सरकार द्वारा किए गए अन्य प्रयासों व कोविड के संदर्भ में नागरिकों के उचित व्यवहार को दिया।
हालांकि, इसने कहा कि अब भी आबादी का बड़ा हिस्सा संवेदनशील बना हुआ है और इसलिए नियंत्रण के कदम समान कठोरता से जारी रखने होंगे। मंत्रालय ने कहा कि शारीरिक दूरी, फेस मास्क या कवर का इस्तेमाल, हाथों की स्वच्छता, खांसी करने की तमीज और भीड़-भाड़ वाली जगह से बचने जैसे कदमों का सख्ती से पालन करना होगा।
दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमें गठित की गई थीं। चयनित व्यक्तियों से उनकी लिखित सहमति लेने के बाद रक्त के नमूने लिए गए और उनके सीरम में आईजीजी एंटीबॉडी तथा संक्रमण की जांच की गई। इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा स्वीकृत कोविड कवच एलिसा का इस्तेमाल किया गया।