चीन से पलायन कर रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत लाने के लिए दूतावासों पर डाला जा रहा है दबाव, जानिए कारण
By शीलेष शर्मा | Published: July 20, 2020 07:10 PM2020-07-20T19:10:44+5:302020-07-20T19:10:44+5:30
कोविड- 19 के बाद पैदा हुये हालातों में जिस तरह इन कंपनियों ने चीन छोड़ने का मन बनाया है उसका लाभ उठाते हुये भारतीय मिशन स्थानीय सरकार से मदद ले कर उनको भारत लाने के लिये बातचीत करें।
नई दिल्लीः दुनिया भर में काम कर रहे भारत के 89 दूतावास और 108 कॉउंसलेट्स इन दिनों भारी दबाव में हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस दबाव का मुख्य कारण वाणिज्य मंत्रालय का वह पत्र है जिसमें सभी भारतीय दूतावासों को कहा गया है कि उनके देश की बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो चीन में निवेश कर व्यापार कर रहीं हैं और कोविड- 19 के बाद पैदा हुये हालातों में जिस तरह इन कंपनियों ने चीन छोड़ने का मन बनाया है उसका लाभ उठाते हुये भारतीय मिशन स्थानीय सरकार से मदद ले कर उनको भारत लाने के लिये बातचीत करें।
वाणिज्य मंत्रालय ने विदेशी निवेश और बिगड़ती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये पहले दूतावासों को पत्र लिखा और अब दबाव बनाना शुरू कर दिया है ,बावजूद इस दबाव के भारत को अब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।
ग़ौरतलब है कि भारत में इस समय 40 हज़ार बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पंजीकृत हैं, वर्ष 2014 -15 में विदेशी पूँजी निवेश 45. 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 15 -16 में यह निवेश 55. 56 बिलियन डॉलर हो गया और 2018 -19 में भारत में विदेशी पूँजी निवेश 62 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है।
मोदी सरकार अमेरिका ,जापान ,यूरोप की सरकारों से बात कर इस कोशिश में लगी है कि जो कंपनियां चीन से बाहर निकलना चाहती हैं उनके लिये भारत एक बेहतर विकल्प है। सरकार अपनी इसी कोशिश को अमली जामा पहनाने के लिये लगातार अपने दूतावासों पर दबाव बनाये हुये है।
इन्हीं में से एक भारतीय दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी ने लोकमत को बताया कि जो कंपनियां चीन से बाहर निकलना चाहती हैं। उनकी पहली पसंद वियतनाम, थाईलैंड हैं, जबकि भारत में वह निवेश करने में रुचि नहीं ले रहे हैं, जिसका बड़ा कारण उद्द्योगों के लिये उपयुक्त वातावरण का न होना है।
जिसमें नौकरशाही का हस्तक्षेप, श्रमिक कानून की जटिलताएं, कानून व्यवस्था और विद्द्युत आपूर्ति जैसे मुद्दे शामिल हैं। जापान ने अपने उद्द्योगों को चीन से वापस लाने के लिये 220 बिलियन येन के आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की है, वियतनाम ने उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है जबकि भारत अभी अधिकारियों की समिति बना कर मंथन ही कर रहा है।