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Covaxin: ट्रॉयल दिसंबर-जनवरी तक होगा पूरा, पहली स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन

By एसके गुप्ता | Updated: October 1, 2020 19:55 IST

टास्क फोर्स के सदस्यों की ओर से आए दिन यह बताया जाता है कि कोरोना की स्वदेश निर्मित दो वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल हो चुके हैं। तीसरे फेज का ट्रायल जल्द ही शुरू होगा। पहली स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन के लॉन्च से पहले सरकार ने इस टीके के ह्यूमन ट्रायल की जिम्मेदारी एम्स के प्रिंसिपल इनवेस्टगेटर डा. संजय राय को सौंपी है।

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ठळक मुद्देबताया जा रहा है कि तीन वैक्सीन ट्रायल के बहुत ही एडवांस स्टेज में हैं।डा. राय ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि कोवाक्सिन वैक्सीन का फेज-2 ट्रायल अभी चल रहा है। किसी भी वैक्सीन को तीन फेज के ट्रायल पूरा करने के लिए कम से कम छह माह का वक्त चाहिए होता है।

नई दिल्लीः देश में कोरोना की वैक्सीन को लेकर रोज नए दावे किए जा रहे हैं और बताया जा रहा है कि तीन वैक्सीन ट्रायल के बहुत ही एडवांस स्टेज में हैं।

टास्क फोर्स के सदस्यों की ओर से आए दिन यह बताया जाता है कि कोरोना की स्वदेश निर्मित दो वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल हो चुके हैं। तीसरे फेज का ट्रायल जल्द ही शुरू होगा। पहली स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन के लॉन्च से पहले सरकार ने इस टीके के ह्यूमन ट्रायल की जिम्मेदारी एम्स के प्रिंसिपल इनवेस्टगेटर डा. संजय राय को सौंपी है।

डा. राय ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि कोवाक्सिन वैक्सीन का फेज-2 ट्रायल अभी चल रहा है। सितंबर में फेज एक ट्रायल पूरा हुआ है। किसी भी वैक्सीन को तीन फेज के ट्रायल पूरा करने के लिए कम से कम छह माह का वक्त चाहिए होता है।

अगर ट्रायल में पता चलता है कि वैक्सीन एंटीबॉडी नहीं बना रही है या सेफ नहीं है तो सबकुछ जीरो हो जाएगा। वैक्सीन ट्रायल में ऐसा कई बार हुआ भी है। डा. सजय राय ने कहा कि कोवाक्सीन का फेज-एक क्लीनिकल ट्रायल सितंबर माह में पूरा हुआ है। इसके साथ ही फेज-2 का ट्रायल भी चल रहा है। फेज एक ट्रायल में लोगों पर इस वैक्सीन की डोज का असर देखा गया कि यह सुरक्षित है।

फेज-2 के ट्रायल में देखा जा रहा है कि यह सुरक्षित होने साथ कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटी बॉडी का निर्माण करती है या नहीं इसका असर कितने समय तक रहता है। जल्द ही कोवाक्सीन का फेज-3 ट्रायल शुरू हो जाएगा। एम्स का सैंपल साइज पूरे देश में सबसे बड़ा है जो पूरी रिसर्च की दिशा तय करेंगे।

उन्होंने कहा कि मीडिया में चर्चा है कि अगले एक माह में, दो माह में वैक्सीन आ जाएगी। ट्रायल के सारे परिणाम सकारात्मक रहने और फास्ट ट्रैक प्रक्रिया अपनाकर भी लोगों तक वैक्सीन पहुंचने में छह माह का समय लग जाएगा। अगर कोई ओर देश वैक्सीन इजात कर ले तो बात अलग है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन ट्रायल के नतीजे कभी सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। केवल नियामक एजेंसी को सौंपे जाते हैं। 

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