Cornavirus: बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार का फैसला- बंद होंगे सभी क्वारंटाइन सेंटर
By विनीत कुमार | Published: June 2, 2020 08:54 AM2020-06-02T08:54:45+5:302020-06-02T08:54:45+5:30
Cornavirus: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें भी ज्यादातर मरीज वे हैं जो दूसरे राज्यों से लौटे हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने अब क्वारंटाइन सेंटर को बंद करने का फैसला किया है।
कोरोना महामारी के बीच बिहार में मंगलवार से आने वाले लोगों को सरकार की ओर से क्वारंटाइन नहीं किया जाएगा। राज्य में सोमवार तक लौटे लोगों को पंजीकृत किया गया था और साथ ही उन्हें क्वारंटाइन सेंटर भी भेजा गया। बिहार में अभी करीब 5000 से ज्यादा क्वारंटाइन सेंटर हैं जिसमें करीब 13 लाख प्रवासी अब तक आ चुके हैं। इन क्वारंटाइन सेंटर को अब हालांकि राज्य सरकार ने 15 जून के बाद से बंद करने का फैसला किया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रिनिंग को भी बंद किया जाएगा। हालांकि, हर स्टेशन पर एक मेडिकल डेस्क जरूर होगा जो बीमार महसूस कर रहे लोगों को मदद देगा। साथ ही एक जून के बाद सिर्फ उन्हीं लोगों का पंजीकरण होगा जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आएंगे।
राज्य सरकार का ये फैसला ऐसे समय में आया है जब बिहार लौट रहे कई प्रवासी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। बिहार में अभी 3872 कोरोना के मामले आ चुके हैं और इसमें 2743 प्रवासी हैं जो 3 मई के बाद राज्य में लौटे हैं। महाराष्ट्र से लौटने वाले 677 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं।
इसके अलावा दिल्ली से लौटे 628 और गुजरात से लौटे 405 प्रवासी कोरोना संक्रमित मिले हैं। हरियाणा से लौटेने वालों में भी 237 कोरोना संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और कुछ अन्य राज्य भी हैं जहां से बिहार लौटे प्रवासी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रत्यय अमृत ने कहा, 'हम 30 लाख से ज्यादा प्रवासियों को लेकर आए। हम सोमवार शाम से रजिस्ट्रेशन बंद कर रहे हैं। वैसे भी अधिकतम लोग लौट चुके हैं।' अमृत ने कहा कि डोर-टू-डोर जाकर स्वास्थ्य की जांच जारी रहेगी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर लेवल-1 सहित लेवल-2 अस्पतालों में मेडिकल सुविधाएं वैसे ही जारी रहेंगी।
वहीं, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'विदेशी विशेषज्ञों कहते रहे हैं कि होम क्वारंटाइन सबसे अच्छा है। फिर भी हमने क्वारंटाइन सेंटर चलाए और प्रवासियों को हर सुविधा दी। इसमें ट्रेन के किराये से लेकर बस के भाड़े और एक हजार रुपये तक की जरूरी चीजें शामिल हैं।'
वहीं, बिहार में विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। एआईसीसी सेक्रेटरी चंदन यादव ने कहा, 'ऐसे समय में जब संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, उस वक्त क्वारंटाइन सेंटर को उन लोगों के लिए जारी रखना जरूरी था जो कोरोना खतरे वाले राज्यों से लौट रहे हैं। अब जो आएंगे वे यहां के लोगों से मिलेंगे और इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा।'
वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा कि जब लोग कोविड संक्रमण, भूख से मर रहे हैं और अब भी पैदल चले जा रहे हैं, वैसे समय में एनडीए बिहार में चुनाव के बारे में सोच रही है। तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी 9 जून को एक डिजिटल रैली की योजना बना रही है और इसी से पता चलता है कि राज्य सरकार कितनी असंवेदनशील है।