पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत के बाद कहा कि लॉकडाउन को लेकर केंद्र का जो भी निर्णय होगा, उसका हमलोग पालन करेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक इसमें संसोधन नहीं होगा, दूसरे राज्यों से बिहार के लोगों को बुलाना संभव नहीं होगा. बता दें कि आज पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की.
इस बातचीत के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूसरे राज्यों की शिकायत पीएम मोदी से की. उन्होंने कहा कि कई राज्य लॉकडाउन में अपने छात्रों को बुला रहे हैं. लेकिन मैं केंद्र सरकार के निर्देश का पालन कर रहा हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब डिजास्टर कानून में साफ है कि अंतरराज्यीय और अंतरजनपदीय आवाजाही न हो तो भी कुछ राज्य अपने छात्रों को कैसे बुला रहे हैं? इसको लेकर एक नीति होनी चाहिए. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने कहा कि मेरा विनम्र आग्रह है कि जो भी राज्य लोगों को दूसरी जगह भेज रहे हैं, उनके स्वास्थ्य की जांच पहले करा लें. बाहर से कोरोना संक्रमित लोग आकर राज्य में इसे फैला रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढते हैं. कुछ राज्य अपने छात्रों को वहां से वापस बुलाये हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से कोटा के छात्रों के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करे. कोटा ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी बिहार छात्र/छात्राएं पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं, उन्होंने फोन के माध्यम से बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय में समस्याएं बताईं. अब तक ऐसे एक लाख से अधिक फोन कॉल्स एवं मैसेजेज आ चुके हैं.
ऐसे लोगों से फीडबैक लेकर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए काम किये जा रहे हैं. हमलोगों ने राज्य के बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए सहायता राशि के रूप में मुख्यमंत्री विशेष सहायता अंतर्गत 1,000 रुपये देने का निर्णय किया था. इस संबंध में अब तक 25 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में 1000 रुपये की राशि अंतरित की जा चुकी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकजुट होकर अच्छा काम कर रहा है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप तो काम किये ही जा रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमलोग भी अपने स्तर से राज्य में अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुन: सभी लोगों के साथ उपयोगी कार्यक्रम में भाग लेने का और कई बिंदुओं पर चर्चा करने का मौका मिला. इसके अलावा भी प्रधानमंत्री से अलग से बातचीत होती रहती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के पास विभिन्न देशों की सूचनाएं, विशेषज्ञों के सुझाव एवं राज्य के अन्य हिस्सों की सूचनाएं प्राप्त होती हैं, जिनके माध्यम से हमलोगों को भी जानकारी मिलती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 14 अप्रैल के पहले राज्य में कोरोना संक्रमण के 66 पॉजिटिव मामले थे और आज तक 301 मामले हो चुके हैं. शुरू में विदेश से आये लोगों के कारण राज्य में कुछ कोरोना संक्रमण के मामले आये उनकी जांच की गई और उनका इलाज भी कराया गया. अब तक कोरोना संक्रमित 56 मरीज स्वस्थ्य होकर घर भी लौट चुके हैं. राज्य के 22 जिलों के 48 प्रखंडों में कोरोना से संक्रमित मामले सामने आये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना की जांच के लिए छह लैब काम कर रहे हैं, जिससे जांच में तेजी आई है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए हमलोगों ने पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान की तर्ज पर डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग करा रहे हैं. अब तक 75 लाख परिवारों के 4 करोड से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. हमलोगों ने पूरे बिहार में एक-एक घर की जांच का निर्णय लिया है. वर्ष 2006 में पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान चलाया गया था, जिससे राज्य से पोलियो का उन्मूलन हुआ था, जिसकी प्रशंसा सभी जगह हुई थी.
यहां उल्लेखनीय है कि कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को लेकर बिहार में राजनीति जारी है. इसको लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है. यहां तक विपक्ष कह रहा है कि अगर सरकार कोटा से छात्रों को लाने में समक्ष नहीं है तो वह अनुमति दे वहां पर फंसे छात्रों को वह खुद लाएंगे. कोटा के छात्रों को लेकर राजद, कांग्रेस समेत कई दलों के नेता नीतीश सरकार को घेर रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार ने साफ कर दिया है कि वह लॉकडाउन के कारण वह छात्रों को वापस नहीं ला सकते हैं.