अजमेर से पहुंचा भीलवाड़ा, लोगों ने 14 दिन पृथक-वास में रहने को कहा, पेड़ पर 'मचान' बांध कर बनाया बसेरा

By भाषा | Published: May 5, 2020 03:10 PM2020-05-05T15:10:49+5:302020-05-05T15:11:41+5:30

राजस्थान के भीलवाड़ा की चर्चा सबसे अधिक है। प्रशासन ने जिस तरह यहां पर काम किया हर कोई इस जिले की तारीफ कर रहा है। यहां पर मामला बढ़ने से पहले ही कंट्रोल कर लिया गया। पीएम मोदी ने भी तारीफ की थी।

Corona virus India lockdown Bhilwara Rajasthan arrives Ajmer people live isolated built shelter | अजमेर से पहुंचा भीलवाड़ा, लोगों ने 14 दिन पृथक-वास में रहने को कहा, पेड़ पर 'मचान' बांध कर बनाया बसेरा

राजस्थान में भीलवाड़ा जिला पहला कोरोना वायरस हॉटस्पाट बन कर उभरा था। (file photo)

Highlightsगांव में प्रवेश करने पर रोक दिया और उसे एंकातवास में अस्थाई रूप से पेड़ पर बनाये गये 'मचान' पर बसेरा करना पड़ा।शेरपुरा गांव के कोविड-19 नियंत्रण के प्रभारी और पंचायत प्राथमिक शिक्षा अधिकारी श्योजीराम मीणा ने बताया कि कमलेश ने 14 दिन का पृथकवास पूरा कर लिया है।

जयपुरः राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर तहसील के शेरपुरा गांव में 24 वर्षीय प्रवासी मजदूर को 14 दिन पृथक-वास की अनिवार्य अवधि गांव के बाहर खेत के एक पेड़ पर 'मचान' के ऊपर अस्थाई रूप से बनाये गये बसेरे में रहकर काटनी पड़ी।

कोरोना वायरस संकट के चलते पिछले माह 16 अप्रैल को लॉकडाउन समय में हुई वृद्धि के बाद कमलेश अजमेर जिले के किशनगढ़ से 200 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा जिले के अपने गांव पैदल चल कर पहुंचा था। जहाजपुर तहसील के शेरपुर गांव पहुंचने पर कमलेश मीणा को स्थानीय निवासियों ने कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने के भय से गांव में प्रवेश करने पर रोक दिया और उसे एंकातवास में अस्थाई रूप से पेड़ पर बनाये गये 'मचान' पर बसेरा करना पड़ा।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के मेडिकल दल ने मीणा को जांच के लिये नमूना देने के लिये बुलाया क्योंकि स्थानीय गांव वाले पहले उसकी जांच करवाना चाहते थे। जांच के आधार पर भीलवाड़ा के पृथक-वास में रहने का विकल्प दिया गया था। हालांकि स्थानीय गांव वालों ने उसके बाद उसके गांव में पृथकवास में रुकने का प्रबंध करने का निर्णय लिया और कमलेश ने गांव के दूर खेत में रूकने का निर्णय लिया।

गांव वालों ने उसके परिजनों के साथ मिलकर बांस का एक 'मचान' तैयार किया और पृथक-वास के दौरान मचान पर ही उसके खाने, पीने और अन्य आवश्यक सामान के लिये उसके पिता सागरमल ने प्रबंध किया। शेरपुरा गांव के कोविड-19 नियंत्रण के प्रभारी और पंचायत प्राथमिक शिक्षा अधिकारी श्योजीराम मीणा ने बताया कि कमलेश ने 14 दिन का पृथकवास पूरा कर लिया है।

मेडिकल दल प्रतिदिन उसकी जांच कर रहा है। उसमें किसी प्रकार का संक्रमण नहीं हुआ और वह अपने परिजनों के साथ रह रहा है। ट्रैक्टर चालक दिहाड़ी मजदूरी कमलेश 14 अप्रैल को लॉकडाउन के आगे और बढ़ाये जाने के बाद अपने गांव जाने के लिये पैदल रवाना हुआ था।

राजस्थान में भीलवाड़ा जिला पहला कोरोना वायरस हॉटस्पाट बन कर उभरा था। प्रशासन और स्थानीय लोगों का ध्यान संक्रमण को रोकने पर था जिसमें एक बडी सफलता अर्जित की थी और भीलवाड़ा देशभर में संक्रमण को रोकने में एक मॉडल के रूप में उभरा था।

भीलवाडा में आज :मंगलवार तक: तक 37 संक्रमित मामले हैं और केवल दो लोगों की मौत हुई है। 24 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है जबकि चार लोगों का इलाज चल रहा है। राज्य में 3,099 संक्रमित मामलें है और 82 संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है।

राज्यभर में 22 मार्च से लॉकडाउन जारी है और अब लॉकडाउन के तीसरे चरण में जिलों को रेड, ओरेंज, और ग्रीन जोन आधारित बंटवारे के अनुसार रियायतें दी जा रही है। संक्रमित मरीजों का पता लगाने के लिये राज्यभर में सर्वे और स्क्रीनिंग का कार्य युद्धस्तर पर जारी है।

Web Title: Corona virus India lockdown Bhilwara Rajasthan arrives Ajmer people live isolated built shelter

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