मजदूर दिवस के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने मजदूरों को उनके अपने गृहराज्य में जाने की स्वीकृति दे दी है और विभिन्न राज्यों और बड़े शहरों से मजदूर अपने गांव पहुंच भी रहे हैं. मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों के प्रयास उल्लेखनीय हैं, लेकिन मजदूर दिवस से उनके लिए स्थानीय स्तर पर आर्थिक संरक्षण, श्रमिक-शक्ति का उपयोग और मजदूर कल्याण की नई योजनाओं के बारे में सोचना होगा.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि प्रदेश सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले राज्य के सभी प्रवासियों को घर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है. हम पीएम के साथ यह मुद्दा उठाने वाले पहले राज्य थे और उसी के लिए केंद्र की मंजूरी चाहते थे. उन्होंने बताया कि इस समय 6 लाख से अधिक राजस्थानी प्रवासियों ने घर वापस आने के लिए पंजीकरण कराया है, जिसमें देश के दूर-दराज के स्थानों से कई लोग शामिल हैं.
बहरहाल, सरकार के पास प्रदेश के मजदूरों का पूरा आंकड़ा उपलब्ध है, इसलिए श्रमिक-घनत्व के सापेक्ष स्थानीय योजनाएं बनाने की जरूरत है. कोरोना वायरस अटैक ने हमें बताया है कि श्रमिक-शक्ति के सद्उपयोग के लिए उद्योगों का विक्रेन्द्रीकरण करना जरूरी है. इसके लिए दो तरह के कार्य किए जा सकते हैं, एक- विभिन्न क्षेत्रों में जो कारखाने बंद पड़े हैं या बीमार हैं, उन्हें सरकार अपने हाथ में ले और उन्हें फिर से शुरू करे और दो- स्थानीय सुविधाओं के मद्देनजर उद्योग प्रारंभ किए जाएं, जैसे- सिंचित क्षेत्रों में खेती-किसानी से संबंधित एवं कृषि उत्पाद आधारित कारखाने शुरू किए जाएं, तो असिंचित क्षेत्र में सौर उर्जा पर निर्भर तथा कम पानी की जरूरत वाले उद्योग-धंधे शुरू किए जाएं. तमाम उद्योग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जानकारियों एवं विशेषज्ञों की राय से प्रारंभ किए जा सकते हैं.
याद रहे, श्रमिकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है, लिहाजा ऐसे कार्य स्थानीय स्तर पर जल्दी ही प्रारंभ किए जा सकते हैं तथा आबादी का घनत्व कम होने के कारण सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए कोरोना वायरस अटैक का भी मुकाबला आसानी से किया जा सकता है.
इसलिए, मजदूर दिवस को मजबूर दिवस नहीं बनने दें और तत्काल स्थानीय योजनाएं शुरू करें!