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पीएम मोदी स्टाइल गमछा नहीं, सही मास्क करता है कोरोना के 0.3 माइक्रोन आकार वाले वायरस से सुरक्षा

By एसके गुप्ता | Updated: August 29, 2020 18:10 IST

आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और कोरोना से बचाव के लिए ‘कवच- मास्क’ बनाने वाली टीम के हेड डा. बिपिन कुमार का कहना है कि जिस मास्क में एयर फिल्टर लगा हो और कपड़े का बना हो वह मास्क सुरक्षित है। गमच्छा, सर्जिकल मास्क और वॉल्व लगे मास्क सुरक्षित नहीं हैं।

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ठळक मुद्देलोगों के बीच चर्चा यह है कि हमारे मास्क नहीं पहनने पर पुलिस कार में अकेले बैठे रहने पर भी चालान काट रही है। कोरोना के ड्रॉपलेट से संक्रमण फैलाने वाले वायरस को रोकने में सक्षम नहीं है। गमच्छे के कपड़े में बहुत बड़े होल होते हैं।डा. बिपिन कुमार ने कहा कि सर्जिकल मास्क केवल सर्जरी के लिए होते हैं। वह ऑपरेशन करते समय खून के छींटे मुंह पर न लगें उससे बचने के लिए पहना जाता है।

नई दिल्लीः कोरोना से जंग में मास्क और दो गज की दूरी एकमात्र बचाव है। ऐसे में मास्क को लेकर यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि कौन सा मास्क ठीक है और कौन सा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गले के गमच्छे को ही मास्क के रूप में मुंह पर रख लेते हैं। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा यह है कि हमारे मास्क नहीं पहनने पर पुलिस कार में अकेले बैठे रहने पर भी चालान काट रही है।

आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और कोरोना से बचाव के लिए ‘कवच- मास्क’ बनाने वाली टीम के हेड डा. बिपिन कुमार का कहना है कि जिस मास्क में एयर फिल्टर लगा हो और कपड़े का बना हो वह मास्क सुरक्षित है। गमच्छा, सर्जिकल मास्क और वॉल्व लगे मास्क सुरक्षित नहीं हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यही सलाह है कि वह गमच्छे के स्थान पर आईआईटी दिल्ली द्वारा मेक इन इंडिया मुहिम के तहत बनाए गए 45 रुपए कीमत वाले ‘कवच मास्क’ को पहनें। कोरोना वायरस का आकार 0.3 माइक्रोन यानि एक एमएम का भी एक हजारवां हिस्सा से छोटा कण होता है।

सही मास्क सूक्ष्म वायरस को मुंह और नाक के जरिए आपके शरीर में नहीं पहुंचने देता। जबकि गमछा कोरोना के ड्रॉपलेट से संक्रमण फैलाने वाले वायरस को रोकने में सक्षम नहीं है। गमच्छे के कपड़े में बहुत बड़े होल होते हैं।

डा. बिपिन कुमार ने कहा कि सर्जिकल मास्क केवल सर्जरी के लिए होते हैं। वह ऑपरेशन करते समय खून के छींटे मुंह पर न लगें उससे बचने के लिए पहना जाता है। वॉल्व वाले मास्क से कोरोना संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता है तो उसके ड्रापलेट बाहर आते हैं। इसलिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसके इस्तेमाल को गलत बताया है।

एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने लोकमत से कहा कि थ्री लेयर कपड़े से बने मास्क पार्टिकल्स को रोकने में सहायक हैं। इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से थ्री लेयर मास्क पहनने की सलाह दी गई है। लेकिन इनकी फिटिंग मुंह और नाक को अच्छे से ढंकने वाली होनी चाहिए।

जहां तक सुरक्षित मास्क का प्रश्न है तो रेस्पिरेटर के साथ आने वाले मास्क को सबसे ज्यादा सुरक्षित माना गया है। यह सील टेस्टेड रेस्पिरेटर्स फाइबर से बनते हैं, जो हवा को फिल्टर करने में सबसे अधिक कारगर होते हैं। सर्टिफाइड एन-95 रेस्पिरेटर्स 95 फीसदी तक पार्टिकल्स को फिल्टर कर सकते हैं। एन-99 रेस्पिरेटर्स पार्टिकल्स को 99 फीसदी तक फिल्टर कर सकते हैं। 

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