नई दिल्लीः कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है, लेकिन राहत की बात यह है कि सक्रिय मरीजों की संख्या तेजी से कम हो रही है। इस घातक वायरस की वजह से पूरी दुनिया प्रभावित है। इस बीच भारत में कोरोना के मरीज 78 लाख से पार हो गए हैं। देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 50,129 नए मामले सामने आए। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 578 मरीजों की मौत हुई है। अबतक 78,64,811 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमे से 6,68,154 सक्रिय मामले हैं और 70,78,123 लाख ठीक हो गए हैं, जिन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। वहीं, 62,077 मरीजों की मौत हो चुकी है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार देश में 24 अक्टूबर तक कुल 10,25,23,469 नमूनों की जांच की गई, इनमें से 11,40,905 नमूनों की जांच शनिवार को की गई। भारत उन कुछ देशों में है जहां रोजाना बड़ी संख्या में जांच की जा रही है। देश में प्रयोगशालाओं के बेहतर नेटवर्क और इस तरह की अन्य सुविधाओं से इसमें पर्याप्त सहायता मिली है।
कोरोना वायरस महामारी से अपने परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित होने को लेकर बीते कुछ महीनों में लगभग 31 प्रतिशत किशोरों ने भारी तनाव का सामना किया। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा के 7,300 से अधिक किशोरों पर किये गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। गैर सरकारी संगठन ''सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज'' द्वारा अप्रैल, जुलाई और अगस्त में दो चरणों में किये गए इस सर्वेक्षण का शीर्षक ''किशोरों का क्या कहना है? कोविड-19 और इसके प्रभाव'' था।
सर्वेक्षण में कहा गया है 7,324 किशोरों में से 31 प्रतिशत ने स्वीकार किया है कि वे अपने परिवार की वित्तीय स्थिति पर महामारी के प्रभाव को लेकर भारी तनाव का सामना कर रहे हैं। सर्वे में यह भी पता चला है कि इन महीनों के दौरान महामारी के चलते किशोरियों को भारी लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा।
सर्वेक्षण के अनुसार, ''जिन किशोरियों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें केवल 12 प्रतिशत के पास ही ऑनलाइन कक्षाओं के लिये खुद का मोबाइल फोन था जबकि उनके मुकाबले ऐसे किशोरों की संख्या 35 प्रतिशत थी।'' सर्वेक्षण में कहा गया है, ''इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल 51 प्रतिशत किशोरियों के पास जरूरी पुस्तकों का अभाव था। इससे पता चलता है कि महामारी ने किस तरह लड़कियों की शिक्षा को प्रभावित किया।’’