बिहार में कोरोना होता जा रहा है आउट आफ कंट्रोल: सेना छावनी मेम भी लगा दी सेंध, डॉक्टर भी हो गये हैं बेहाल, कोरोना का आंकड़ा पहुंचा 38919
By एस पी सिन्हा | Published: July 26, 2020 06:39 PM2020-07-26T18:39:51+5:302020-07-26T18:39:51+5:30
बिहार-झारखंड सब एरिया मुख्यालय स्टेशन हेड र्क्वाटर के सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि कोरोना वायरस से सैनिक और उनके परिजन संक्रमित हुए हैं. सभी संक्रमितों का इलाज सैनिक अस्पताल में चल रहा है.
पटना:बिहार में जानलेवा कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से तबाही मचा रहा है. इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. हर दिन सैंकड़ों की संख्या में मरीजों का इजाफा हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से ताजा अपडेट जारी की गई है. इस अपडेट के मुताबिक बिहार में 2605 लोग कोरोना पॉजिटव मिले हैं. इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 38919 हो गई है. कोरोना संक्रमण का आलम यह है कि अब इससे बिहार आर्मी कैंट भी अछूता नहीं रहा है. सेना से मिली जानकारी के मुताबिक दानापुर स्थित सैनिक अस्पताल में 12 सैनिक, 11 सैनिकों के परिजन, 2 पूर्व सैनिक और 4 सिविलियन कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. जिनको इलाज के लिए सैनिक अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है.
बिहार-झारखंड सब एरिया मुख्यालय स्टेशन हेड र्क्वाटर के सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि कोरोना वायरस से सैनिक और उनके परिजन संक्रमित हुए हैं. सभी संक्रमितों का इलाज सैनिक अस्पताल में चल रहा है. इधर, छावनीवाले इलाकों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि को देखते हुए इन जगहों पर सैनिटाइजेशन का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. वैसे छावनी से लगे इलाकों को सील किया गया है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए बिना काम के घर से बाहर नहीं निकलें और जरूरत पड़ने पर मास्क पहनकर ही निकलें. शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करें तभी इससे बचाव किया जा सकता है. इसबीच राजधानी पटना में कोरोना का कहर जारी है. यहां पर कोरोना कंट्रोल नहीं हो रहा है. आज फिर कोरोना के 620 अब तक के सबसे अधिक नए मरीज मिले हैं. पटना में कोरोना मरीजों का आंकडा 6514 पर पहुंच गया है. 2785 कोरोना के एक्टिव केस है. 36 लोगों की मौत कोरोना से सिर्फ पटना जिले में हो चुकी है.
वहीं, पटना के अस्पतालों का बुरा हाल हो गया है. स्थिति यह हो गई है कि खुद पीएमसीएच के डॉक्टर अपनी को बचा नहीं पाए. कोरोना निगेटिव होने के बाद भी किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया. अस्पताल का चक्कर लगाने, विनती और प्रार्थना करने के बाद भी किसी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया. जिसके कारण उनकी 40 साल की पत्नी की मौत हो गई. इससे आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार में स्वास्थ्य स्वास्थ्य को लेकर क्या हाल है. सरकारी अस्पताल में कोरोना के गंभीर मरीज को तीन-तीन घंटा सिर्फ पर्ची के नाम पर इंतजार कराया जा रहा है. पर्ची के इंतजार में मरीज की मौत हो जारी रही है. आज लोगों को यह डर सता रहा है कि अगर कोरोना हो गया तो ईलाज कहां होगा? सरकारी अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं. पटना में दो निजी अस्पताल रुबन और पारस में कोरोना का ईलाज शुरू हो चूका है, लेकिन वहां भी कोई बेड खली नहीं है. फिर ईलाज होगा कहा? जबाब एक ही है- होम क्वारंटाइन में रहकर अपना खुद ईलाज करना होगा.
हालात ऐसे हो गये हैं कि अब जो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने की जगह उन्हें होम क्वारंटाइन में भेंज दिया जा रहा है. जिनमे लक्षण नहीं हैं या है भी तो केवल सर्दी-खांसी और बुखार है. लेकिन सांस लेने में तकलीफ नहीं है, वो तो होम क्वारंटाइन में रहकर सर्दी खांसी और बुखार की दवा खाकर ईलाज कर सकते हैं. लेकिन जिन्हें ऑक्सीजन की कमी मह्सुश होने लगे वो क्या करें? अस्पताल में जगह खाली नहीं है. ज्यादातर मरीजों के परिजनों की यहीं शिकायत है कि इस अस्पताल से उस अस्पताल के चक्कर लगाने के चक्कर में ही उनके मरीजों की जान चली जा रही है. एम्बुलेंस का हाल तो और भी बुरा है. अगर एक दो अस्पताल का चक्कर एम्बुलेंस से लगाना पड जाए तो 15 से 20 हजार का बिल कट जा रहा है. कोरोना के चक्कर में दूसरी बीमारियों से ग्रसित मरीजों की जान भी आफत में आ गई है. उन्हें भी कोई अस्पताल लेने को तैयार नहीं है. एक मरीज के अभिभावक अधिवक्ता अविनाश कुमार के अनुसार वो एक निजी अस्पताल में मरीज बनकर गए. उनके पास कोरोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट भी थी. लेकिन अस्पताल ने उनका ईलाज करने से ये कहकर मना कर दिया कि फिर से टेस्ट करेगें और रिपोर्ट आने के बाद ही एडमिट करेगें. मरीज वेंटिलेटर पर था इसलिए उन्हें वहां से दूसरे अस्पताल में जाना पडा. जिन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ है या फिर बुखार है उन्हें तो कोई अस्पताल लेने को तैयार नहीं है.
वहीं, पटना में कोविड अस्पताल के रूप में अदिसूचित एनएमसीएच में सब कुछ ठीक ठाक होने का दावा तो कर दिया जा रहा है, लेकिन आज एक और विडियो वायरल हो रहा है. इससे यह स्पष्ट तौर पर पता च रहा है कि आज भी तस्वीर बदली नहीं है. अस्पताल में जहां-तहां डेड बॉडी पडा हुआ है. मरीज बेड से गिर कर मरा पडा है, लेकिन उसे कोई उठाने तक नहीं आ रहा है. लाशों के साथ रहना मरीजों की मजबूरी बन चुकी है. अस्पताल के कोरोना वार्ड में बिजली नहीं है, जिससे मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. मरीजों के परिजन रात से सुबह तक अस्पताल कर्मियों से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं. अस्पताल के कॉरिडोर में कोरोना का मरीज फर्श पर लेटा है और अस्पताल कर्मी आसपास से गुजर रहे हैं. लेकिन उसे कोई देखने वाला नहीं है. एनएमसीएच की बदहाली की यह ताजा तस्वीर वायरल हो रही है. विडियो में एनएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में कई कोरोना मरीजों का शव पडा हुआ है. एक कोरोना मरीज अपने बेड से नीचे गिर कर मरा हुआ है और वहीं बगल में स्ट्रेचर पर एक डेड बॉडी रखा हुआ है. उसी वार्ड में कई कोरोना मरीज अपना इलाज करा रहे हैं. दूसरी तस्वीर में एक कोरोना मरीज अस्पताल के कॉरिडोर के बीचोबीच पडा है और उसकी कोई सुध नहीं ले रहा है.
यहां बता दें कि एनएमसीएच की बदहाल स्थिति की तस्वीरें आने के दो दिन पहले 23 जुलाई को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एनएमसीएच का दौरा किया था और सब कुछ ठीक ठाक होने का दावा भी किया था. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के दो दिन बाद हीं बदहाली का वीडियो फिर एनएमसीएच से फिर आने लगा है, जबकि कुछ दिनों पहले इन्ही वजहों से सरकार ने एनएमसीएच के अधीक्षक को भी बदल दिया था. लेकिन अभी भी एनएमसीएच के हालात जस के तस है.
उधर, दरभंगा के एसएसपी बाबू राम दुबारा कोरोना हो गया है. पहले भी बाबू राम कोरोना से संक्रमित हो गए थे. ईलाज के बाद जब ठीक हुए तो फिर से काम शुरू कर दिया. फिर क्या था दुबारा कोरोना का अटैक हो गया. तबीयत खराब होने के बाद बाबूराम ने जब टेस्ट कराया तो वह फिर से कोरोना पॉजिटिव निकल गए हैं. कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एसएसपी ने खुद को होम क्वॉरेंटाइन कर लिया है. घर पर ही उनका इलाज चल रहा है. एसएसपी बाबू राम ने खुद यह बताया है कि है दो माह के बाद फिर से कोरोना ने अटैक कर दिया है. इसके बाद फिर हडकंप मच गया है. ऐसे मरीजों के बीच भी डर बना हुआ है कि जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं वो दुबारा भी संक्रमित हो सकते हैं. बिहार में कोरोना ठीक होने के बाद भी अटैक कर रहा है. जिसका ताजा मामला दरभंगा एसएसपी का है. इसके पहले गृह सचिव आमिर सुभानी भी दुबारा संक्रमित हो चुके हैं.
वहीं, पटना में बढ़ते कोरोना के संक्रमण की चपेट में लगातार कोरोना वॉरियर्स आते जा रहे हैं. पटना के पीएमसीएच और आईजीआईएमएस के 6 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. 22 मेडिकल स्टाफ की रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई है. आईजीआईएमएस के 3 डॉक्टर 8 स्टाफ और उनसे जुडे 15 परिजन पॉजिटिव पाए गए हैं. पटना के पीएमसीएच में भी 3 डॉक्टर और 7 नर्स के साथ 8 स्टाफ संक्रमित पाए जाने से हडकंप मच गया है. कोरोना वारियर्स पर संकट को देखते हुए पीएमसीएच और आईजीआईएमएस के डॉक्टर और स्टाफ को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने यह फैसला लिया है कि अब इन दोनों अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों और उनके परिवार वालों का इलाज अस्पताल के अंदर ही कराया जाएगा. आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल में कहा है कि बढते संक्रमण को देखते हुए 20 बेड की व्यवस्था की गई है. जिसमें आईसीयू और एचडीयू के बेड भी शामिल हैं. उधर पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ विद्यापति चौधरी ने कहा है कि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बीमार होते हैं तो उनके इलाज के लिए अस्पताल में ही अलग से व्यवस्था की गई है. जिनको माइल्ड ट्रेस होगा उन्हें कॉटेज वार्ड में रखा जाएगा. इसतरह से बिहार में लगातार डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने से कोरोना मरीजों का ईलाज एक बडी चुनौती बन गई है.