कोरोना का कहर: मौत के बाद भी दो गज जमीन के लिए शव को 18 घंटे तक करना पड़ा इंतजार, विरोध के काफी देर बाद नसीब हुई मिट्टी

By एस पी सिन्हा | Published: April 13, 2020 05:01 PM2020-04-13T17:01:10+5:302020-04-13T17:39:16+5:30

रविवार की सुबह करीब आठ बजे बुजुर्ग की मौत हुई थी. देर रात हिंदपीढी के बच्चा कब्रिस्तान में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया.

Corona havoc: dead body had to wait for 18 hours for two yards of land, after a long time of protest, the soil was destined | कोरोना का कहर: मौत के बाद भी दो गज जमीन के लिए शव को 18 घंटे तक करना पड़ा इंतजार, विरोध के काफी देर बाद नसीब हुई मिट्टी

कोरोना का कहर: मौत के बाद भी दो गज जमीन के लिए शव को 18 घंटे तक करना पड़ा इंतजार, विरोध के काफी देर बाद नसीब हुई मिट्टी

Highlightsगाइडलाइन के अनुसार शव को करीब 20 फीट की गहराई वाले कब्र में डाला गया. बड़ी मशक्कत के बाद मृतक को हिंदपीढ़ी के निजाम नगर के बच्चा कब्रिस्तान में रात के 2:30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया. 

रांची: कोरोना के जारी कहर का हाल यह है मौत के बाद भी दो गज जमीन के लिए 18 घंटे तक शव को जलालत झेलनी पड़ी. करीब 18 घंटे की कडी मशक्कत के बाद अपने घर में ही नसीब हुई मिट्टी. दरअसल, रांची के हिंदपीढ़ी निवासी कोरोना संक्रमित 60 वर्षीय बुजुर्ग का शव दफनाने को लेकर रविवार को दिनभर खूब हंगामा हुआ. बड़ी मशक्कत के बाद मृतक को हिंदपीढ़ी के निजाम नगर के बच्चा कब्रिस्तान में रात के 2:30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया. 

यहां उल्लेखनीय है कि रविवार की सुबह करीब आठ बजे बुजुर्ग की मौत हुई थी. देर रात हिंदपीढी के बच्चा कब्रिस्तान में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इससे पहले शव पूरे दिन रिम्स परिसर के एंबुलेंस पर पड़ा रहा. सुबह से ही शव को दफनाए जाने की प्रक्रिया चलती रही. प्रशासन कब्र खोदवाता रहा. विरोध के चलते शव को दफनाने का कार्य टलता रहा. आखिरकार शव को चौथे कब्र में दो गज जमीन नसीब हुई. 

मृतक के लिए सबसे पहले बरियातू स्थित कब्रिस्तान में कब्र खोदी गई. वहां कब्रिस्तान को छोटा बताकर रातू रोड कब्रिस्तान में दफनाने का फैसला किया गया. इधर, रातू रोड कब्रिस्तान के पास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. वहां भी कब्र खोदी जा चुकी थी. पूरे दिन अलग-अलग कब्रिस्तान के आसपास हंगामे और विरोध होते रहे. देर रात पुलिस ने शव को जुमार पुल के पास भी दफनाने का प्रयास किया. लेकिन वहां भी विरोध के कारण उसे लौटना पड़ा. इसके बाद हिंदपीढ़ी स्थित बच्चा कब्रिस्तान में मृतक को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. मृतक वहीं का रहने वाले था. प्रशासन ने इस कब्रिस्तान का चुनाव आखिरी विकल्प के रूप में किया. हिंदपीढ़ी के लोग आगे आए और शव को दफनाने पर सहमति दे दी.  

हर जगह स्थानीय लोगों ने शव दफनाए जाने के लिए आबादी से दूर वाले इलाके में कब्रिस्तान चुनने या दाह संस्कार की मांग रखी. स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर आबादी वाली जगह में शव दफनाया गया तो इससे संक्रमण हो सकता है. मांग की गई कि हिंदू हों या मुसलमान, जिनकी भी मौत कोरोना से हो उनका शव जलाया जाए न कि दफनाया जाए. इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा.

ये काम भी शहर से 20 किमी दूर किया जाए. मिट्टी देने वालों में मृतक के चार परिजन शामिल हुए. इन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनाकर शव के साथ मिट्टी देने ले जाया गया. शव को पूरी तरह से पैक रखा गया था. गाइडलाइन के अनुसार शव को करीब 20 फीट की गहराई वाले कब्र में डाला गया. इससे पहले कब्र को सैनिटाइज किया गया, शव को कब्र में डालने के बाद भी सैनिटाइज कर जेसीबी से मिट्टी डालकर ढक दिया गया. इसके साथ ही मिट्टी में शामिल चार परिजनों को क्वारंटाइन कर दिया गया है.
 

English summary :
The condition of the continued havoc of Corona is that even after death, the body had to bear water for 18 hours for two yards of land. After about 18 hours of hard work, our house is destined for soil


Web Title: Corona havoc: dead body had to wait for 18 hours for two yards of land, after a long time of protest, the soil was destined

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