कोरोना: लॉकडाउन के बीच AIIMS सहित देश के अस्पतालों में व्हाट्सएप और वीडियोकॉल पर होगा उपचार, सरकार ने जारी किये ये निर्देश   

By एसके गुप्ता | Published: March 27, 2020 07:58 PM2020-03-27T19:58:49+5:302020-03-27T19:58:49+5:30

इसका उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के साथ-साथ अस्पतालों में रोगियों की भीड़ को कम करना है.एम्स सहित अन्य अस्पतालों ने इन दिशा निर्देशों के पालन की प्रक्रिया शुरू कर दी है .

Corona: Government will issue treatment on WhatsApp and video calls in hospitals of the country including AIIMS amid lockdown | कोरोना: लॉकडाउन के बीच AIIMS सहित देश के अस्पतालों में व्हाट्सएप और वीडियोकॉल पर होगा उपचार, सरकार ने जारी किये ये निर्देश   

कोरोना: लॉकडाउन के बीच AIIMS सहित देश के अस्पतालों में व्हाट्सएप और वीडियोकॉल पर होगा उपचार, सरकार ने जारी किये ये निर्देश   

Highlightsपहला मॉडल फॉलोअप पेशेंट और नए मरीज को लेकर है. अगर पुराने पेशेंट ने कोई नया टेस्ट कराया है तो उसके आधार पर बीमारी के तथ्यों को जानकर आगे की दवाई लिख सकते हैं और पुरानी दवाओं में कुछ बदलाव कर सकते हैं. 

कोरोना से लड़ाई में 21 दिन के लॉकडाउन के बीच सरकार ने पहली बार  एम्स सहित  अन्य अस्पतालों में  व्हाट्सएप, वीडियो कॉलिंग  और  मोबाइल- टेलीफोन कॉल के जरिए  मरीजों को  चिकित्सकीय  परामर्श देने  के दिशा निर्देश जारी किए हैं .

इसका उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के साथ-साथ अस्पतालों में रोगियों की भीड़ को कम करना है.एम्स सहित अन्य अस्पतालों ने इन दिशा निर्देशों के पालन की प्रक्रिया शुरू कर दी है .एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि एम्स अगले सप्ताह से व्हाट्सएप  और वीडियो कॉल के जरिए रोगियों को चिकित्सकीय परामर्श देना शुरू करेगा. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए यह जरूरी है कि  लोग अपने घरों में रहें. रोगी टेलीफोन या वीडियोकॉल के जरिए अपने डॉक्टरों से परामर्श कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजीकृत चिकित्सा पेशेवरों (आरएमपी) को प्रौद्योगिकी के माध्यम से दूरस्थ स्थानों से परामर्श देने, काउंसिलिंग, चिकित्सा शिक्षा और उपचार देने की अनुमति दी है। 

इनमें वाट्सएप, फेसबुक, मैसेंजर, स्काइप, ईमेल या फैक्स जैसे माध्यम शामिल है। भारत में अब तक वीडियो, फोन, इंटरनेट आधारित प्लेटफार्म वेब,चैट,ऐप आदि के माध्यम से टेलीमेडिसिन के अभ्यास पर कोई कानून या दिशानिर्देश नहीं था। नए दिशा निर्देशों से कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ चिकित्सा परामर्श पहुंचाने में तेजी आएगी . इससे अस्पतालों पर  रोगियों की भीड़ कम होगी। 

एम्स एंड्रोक्रोनोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. निखिल टंडन ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार की ओर से टेलीमेडिसिन को लेकर पहली बार जारी दिशा -निर्देश  5 तरीके से व्यवहारिक रूप से अमल में लाए जा सकते हैं. उन्होंने केंद्र सरकार को टेलीमेडिसन को व्यवहारिक रूप में कैसे लागू करें, इसका मॉडल तैयार कर भेजा है . जिससे जल्द से जल्द अस्पतालों में इस व्यवस्था को लागू किया जा सकेगा . 

उन्होंने कहा कि पहला मॉडल फॉलोअप पेशेंट और नए मरीज को लेकर है. अगर नया मरीज है तो यह चिकित्सक तय करेगा की  रोगी को तत्काल देखना कितना जरूरी है. पुराने रोगी को बैकग्राउंड के आधार पर चिकित्सक दवाएं लिख सकते हैं. अगर पुराने पेशेंट ने कोई नया टेस्ट कराया है तो उसके आधार पर बीमारी के तथ्यों को जानकर आगे की दवाई लिख सकते हैं और पुरानी दवाओं में कुछ बदलाव कर सकते हैं. 

ऐसे रोगी जो बुजुर्ग हैं या बच्चे हैं उन्हें अस्पताल में आने से बचाने के लिए भी टेलीमेडिसिन काउंसलिंग की जा सकती है. अगर रोगी की रिपोर्ट किसी दूसरे चिकित्सक या विभाग में विचार विमर्श के लिए भेजनी है या चिकित्सक से सलाह लेनी है तो उस विभाग के चिकित्सकों से बात करके मरीज को  उस आधार पर नई दवा के लिए या दवाओं में बदलाव बताना होगा .

टेलीमेडिसिन पर दिशा निर्देश की महत्त्वपूर्ण बातें :

1. चिकित्सक तय करेगा कि क्या टेली-परामर्श एक व्यवहारिक विकल्प है और यदि उसे जरूरत लगती है तो व्यक्तिगत रूप से परामर्श की सिफारिश कर सकता है।

2. चिकित्सक  स्वतंत्र होंगे  की परामर्श के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। ऐसी सभी तकनीकों को भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा तय मानकों के अनुरूप होना चाहिए।

3.चिकित्सक टेलीमेडिसिन के जरिए शेड्यूल एक्स की दवाएं नहीं लिख सकते।

4. चिकित्सक टेलीपरमार्श के लिए ज्यादा शुल्क नहीं वसूल सकते, हालांकि वह इस सेवा की पेशकश के लिए अलग से शुल्क ले सकता है।

5. आपातकालीन मामलों में टेली-परामर्श का उपयोग प्राथमिक चिकित्सा और परामर्श प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।

6. यदि रोगी यात्रा करने के लिए तैयार है या व्यक्तिगत परामर्श का अनुरोध करता है तो  चिकित्सक टेली परामर्श के लिए जोर नहीं दे सकता।

7. चिकित्सक टेली-मेडिसिन के लिए विज्ञापनों या अन्य तरीकों से लुभा नहीं सकता।

8. टेलीमेडिसिन में रोगी और चिकित्सक दोनों को एक दूसरे की पहचान पता होनी चाहिए।

9. चिकित्सक को रोगी के  रिकॉर्ड और जांच रपट सहित टेलीमेडिसिन का इंटरैक्शन रेकॉर्डरखना होगा।

Web Title: Corona: Government will issue treatment on WhatsApp and video calls in hospitals of the country including AIIMS amid lockdown

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