नयी दिल्ली: कोरोना महामारी और लॉकडॉउन के कारण पैदा आर्थिक संकट ने जहाँ गरीब मज़दूरों के सामने रोज़ी रोटी का गंभीर संकट पैदा कर दिया है वहीं एमएसएमई की इकाइयों की रीढ़ तोड़ दी है, 11 करोड़ लोगों को रोज़गार देने वाले इस क्षेत्र को आर्थिक पैकेज़ देना तो दूर उन पर बकाया की राशि वसूलने की तलवार लटका दी है ,यह जानते हुये भी उनके पास कामगारों को देने के लिये न तो पैसा है और न ही वो अपनी इकाई को फिर से शुरू करने की स्थिति में हैं।
यह सही है कि केंद्रीय सरकार ने ऋणों की अदायगी को लेकर रिज़र्व बैंक से मोरेटोरियम की व्यवस्था की है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार पैसे की बसूली को लेकर केंद्र सरकार की घोषणा की धज्जियाँ उड़ाने में जुटी है। इसका नमूना नोएडा प्राधिकरण के पत्र संख्या नोएडा /मु0 का0 अ0/2020 /707 जो 9 मई को मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी द्वारा जारी किया गया है आसानी से देखा जा सकता है।
दरअसल, नोएडा में एमएसएमई की 10 हज़ार इकाइयां है ,इनकी संस्था के अध्यक्ष विपिन मल्हान के अनुसार सभी इकाइयां आर्थिक तंगी के कारण बंद होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं ,एक तरफ मुख्यमंत्री अध्यादेश लाकर लेबर कानून को बदल रहे हैं ताकि नया निवेश आ सके दूसरी तरफ जो उद्द्योग चल रहे हैं उन पर आर्थिक तंगी के बाबजूद बसूली की तलवार लटका दी है।
जिन उद्योगों को प्लाट का आवंटन किया गया था और लॉकडॉउन तथा आर्थिक तंगी के कारण जो आवंटी किश्तों का भुगतान समय से नहीं कर सके है वह वाकया राशि जमा करें अथवा आबंटन रद्द किया जायेगा।
सूत्र बताते हैं कि प्रदेश सरकार राजस्व जुटाने के लिये ऐसे अनेक आदेश विभिन्न विभागों को जारी करने की तैयारी कर रही है।