नयी दिल्ली, 17 मार्च प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि एक ओर कोविड-19 महामारी ने दुनिया को बताया है कि किस तरह आपदाओं का असर तुरंत पूरे विश्व भर में फैल सकता है तो दूसरी ओर यह सबक भी सिखाया कि आपदा से संघर्ष के लिए किस तरह से एकजुट हुआ जाए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक प्रणाली में परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढालने का लचीलापन लाने के लिए आपसी सहयोग बहुत जरूरी है।
आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अवसंरचना में भारी निवेश कर रहे भारत जैसे देशों को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह लचीलेपन में निवेश हो, न कि जोखिम में।
इस अवसर पर फिजी, इटली और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री उपस्थित थे। इस सम्मेलन में सरकारों की ओर से प्रतिभागियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लचीली अवसंरचना की धारणा को जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए और न सिर्फ विशेषज्ञों और संस्थाओं बल्कि आम लोगों की ताकत का भी फायदा उठाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘कई अवसंरचना प्रणालियां मसलन डिजिटल अवसरंचना, शिपिंग लाइन, विमानन नेटवर्क पूरी दुनिया को कवर करती हैं और दुनिया के एक हिस्से में आपदा का प्रभाव तेजी से दुनिया भर में फैल सकता है। वैश्विक व्यवस्था में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए सहयोग जरूरी है।’’
कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को अनोखा बताया और कहा कि विश्व एक ऐसी आपदा का सामना कर रहे हैं, जो सैकडों साल बाद आती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने हमें सिखाया है कि अमीर या गरीब देश हो, पूर्व या पश्चिम, उत्तर या दक्षिण हो, एक परस्पर निर्भर और परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में वैश्विक आपदाओं के प्रभाव से कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी ने यह भी दिखाया है कि कैसे दुनिया एकजुट हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘महामारी ने हमें दिखाया है कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान हासिल करने वाले नवाचार किसी भी स्थान से सामने आ सकते हैं।”
उन्होंने दुनिया के तमाम हिस्सों में नवाचार को बढावा देने वाले वैश्विक माहौल के विकास का आह्वान किया और कहा कि जिन स्थानों पर इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, वहां भी इसे पहुंचाया जाना चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2021 महामारी से तेज सुधार का साल होने का भरोसा दिलाता है।
प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि महामारी के सबक भूले नहीं जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘वे न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदाओं बल्कि अन्य आपदाओं पर भी लागू होते हैं।’’
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए निरंतर और ठोस प्रयास करने होंगे।
मोदी ने कहा कि वर्ष 2021 विशेष रूप से महत्वपूर्ण वर्ष है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सतत विकास लक्ष्यों के मध्यबिंदु तक पहुंचने वाले हैं। हम सतत् विकास के लक्ष्यों, पेरिस समझौते और सेनदाई फ्रेमवर्क के मध्य तक पहुंच रहे हैं। ब्रिटेन और इटली में इस वर्ष आयोजित किये जाने वाले जलवायु परिवर्तन से संबंधित पक्षों के सम्मेलन - सीओपी 26 से बडी अपेक्षाएं हैं और इस साझेदारी की इन अपेक्षाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।’’
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदाओं के प्रति संवेदनशील बुनियादी ढांचे के तहत सतत विकास लक्ष्यों को भी महत्व दिया जाना चाहिए ताकि कोई भी इसके फायदों से वंचित न रहने पाए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पहले सबसे ज्यादा कमजोर देशों और समुदायों की चिंता करनी है।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे से संबंधित दो प्रमुख क्षेत्रों-स्वास्थ्य और डिजिटल अवसंरचना के कामकाज का जायजा लिया जाना चाहिए, क्योंकि इन क्षेत्रों ने महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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