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मंदिर में नारियल कैसे तोड़ा जाना चाहिए या पूजा कैसे होनी चाहिए, यह संवैधानिक अदालतों का विषय नहीं: सुप्रीम कोर्ट

By विशाल कुमार | Updated: November 16, 2021 14:34 IST

श्रीवारी दादा ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति मंदिर में परंपरा के अनुसार अनुष्ठान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दर्शन की प्रक्रिया के बारे में भी शिकायत की थी।

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ठळक मुद्देमंदिर में परंपरा के अनुसार अनुष्ठान नहीं किए जाने पर सुनवाई कर रही थी सुप्रीम कोर्ट।कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतें मंदिरों के रोजाना के अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं।कोई विशेष अनुष्ठान सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं, यह विवादित प्रश्न है।

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक अदालतें जनहित याचिकाओं के आधार पर मंदिरों में किए जाने वाले दिन-प्रतिदिन के अनुष्ठानों और सेवाओं में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि नारियल को कैसे तोड़ा जाना चाहिए या मंदिर में पूजा कैसे करनी चाहिए, यह संवैधानिक न्यायालय का विषय नहीं है।

श्रीवारी दादा ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि प्रसिद्ध तिरुमाला तिरुपति मंदिर में परंपरा के अनुसार अनुष्ठान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दर्शन की प्रक्रिया के बारे में भी शिकायत की थी।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि धार्मिक विद्वानों और पुजारियों को अच्छी तरह से सुसज्जित किया गया है कि क्या मंदिर में अनुष्ठान रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार किए जा रहे हैं।

अनुच्छेद 226 और 32 के तहत एक संवैधानिक न्यायालय का रिट अधिकार क्षेत्र सीमित है। कोई विशेष अनुष्ठान सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं, यह विवादित प्रश्न है।

हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अधिक से अधिक इस संबंध में किसी निचली अदालत में दीवानी मुकदमा दायर किया जा सकता है।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टTempleएन वेंकट रमण
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