कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने किया अग्निपथ योजना का समर्थन, कहा- 'ये सही दिशा में सुधार, इसकी बहुत जरूरत है'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 17, 2022 08:05 AM2022-06-17T08:05:47+5:302022-06-17T08:13:42+5:30
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अग्निपथ स्कीम को लेकर पार्टी लाइन से हटकर अपनी बात कही है। उन्होंने इसे बड़े सुधार वाला कार्यक्रम बताया है और कहा कि ऐसे सुधार की बहुत जरूरत है।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता एवं सांसद मनीष तिवारी ने अग्निपथ योजना को लेकर बृहस्पतिवार को अपनी पार्टी के रुख से अलग विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नयी अग्निपथ योजना सही दिशा में एक बहुत जरूरी सुधार है और सशस्त्र बलों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम नहीं होना चाहिए।
सरकार ने मंगलवार को दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना में चार साल के अल्पकालिक अनुबंध के आधार पर सैनिकों की भर्ती के लिए योजना की शुरुआत की। तिवारी ने कहा, ‘‘यह एक ऐसा सुधार है जिसकी बहुत जरूरत है और यह सही दिशा में एक सुधार है।’’
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं अग्निपथ भर्ती प्रक्रिया को लेकर चिंतित युवाओं के साथ सहानुभूति रखता हूं। वास्तविकता यह है कि भारत को अत्याधुनिक हथियारों से लैस प्रौद्योगिकी के लिए युवा सशस्त्र बल की आवश्यकता है।’’ उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ सशस्त्र बलों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम नहीं होना चाहिए।’’
कांग्रेस कर चुकी है अग्निपथ स्कीम की आलोचना
मनीष तिवारी का बयान उनकी पार्टी के रुख के विपरीत है, क्योंकि कांग्रेस ने इस योजना पर सरकार की आलोचना की है और इसे स्थगित रखने की मांग भी की है। कांग्रेस का कहना है कि विशेषज्ञों और अन्य लोगों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही इस बारे में अगला कदम उठाया जाना चाहिए।
बता दें कि सरकार ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। हालांकि इसका कई राज्यों में विरोध शुरू हो चुका है। हालांकि, 'अग्निपथ’ योजना के खिलाफ ट्रेनों में आगजनी, सार्वजनिक और पुलिस के वाहनों को आग लगाने की घटनाओं के बीच गुरुवार को सरकार ने वर्ष 2022 के लिए इस प्रक्रिया के तहत भर्ती की उम्र पूर्व में घोषित 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी।
गौरतलब है कि 'अग्निपथ' स्कीम के तहत भारत में सैनिकों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। इन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा। रोजगार के पहले साल में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे।
हर महीने 9,000 रुपये सरकार के समान योगदान वाले एक कोष में जाएंगे। इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा। प्रत्येक ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी।
(भाषा इनपुट)