अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान को लेकर संसद में उठा हंगामा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार द्वारा दी गयी सफाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं है, कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों ने आज लोकसभा में जमकर नारेबाजी की उनकी मांग थी कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं आकर संसद को बताए कि उनके और ट्रम्प के बीच क्या बातचीत हुई.
शून्यकाल में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जानबूझकर संसद की उपेक्षा कर रहे है. वे सदन में आकर क्यों नहीं बताते कि सच क्या है. डीएमके टीआर बालू ने भी इसी तर्क को दोहराया और कहा कि संसद के सामने सच्चाई आनी चाहिए.
सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि विदेश मंत्री पहले ही साफ कर चुके है कि कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का कोई सवाल नहीं है. उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान के साथ अकेले कश्मीर पर नहीं पाक अधिकृत कश्मीर पर भी बातचीत होगी.
भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय मामला है तथा इसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. रक्षा मंत्री का साफ मानना था कि हम राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ कोई समझौता नहीं करेगें. ट्रम्प और मोदी के बीच हुई बातचीत को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही सदन को साफ कर चुके है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यस्थता जैसी कोई बात ट्रम्प के सामने नहीं रखी.
राजनाथ सिंह इससे पहले कि विस्तार से अपनी बात रखते कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों के सांसद सदन से उठकर चले गए. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस विपक्षी दलों के साथ मिलकर यह तय कर चुकी है कि वह प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बयान देने के लिए मजबूर करेगी और जब तक उनकी मांग मान नहीं ली जाती तब तक यह विरोध जारी रहेगा.
हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सहित अन्य दलों के कार्यस्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया लेकिन उन्हें शून्यकाल में अपनी बात रखने का अवसर दिया.