कांग्रेस के संकटमोचक अहमद पटेल नहीं रहे, पैतृक गाँव अंकलेश्वर में कल अंतिम संस्कार
By शीलेष शर्मा | Published: November 25, 2020 05:32 PM2020-11-25T17:32:50+5:302020-11-25T17:34:16+5:30
अहमद पटेल के परिवार के सदस्य उनके पार्थिव शरीर को लेकर भरूच के लिए रवाना हो गए, जहाँ पर कल सुबह उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का आज सुबह तड़के 3 बजकर 30 मिनट पर मेदांता हॉस्पिटल में देहांत हो गया।
उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गाँव अंकलेश्वर, भरूच ले जाया जा रहा है। आज शाम पटेल के परिवार के सदस्य उनके पार्थिव शरीर को लेकर भरूच के लिए रवाना हो गए, जहाँ पर कल सुबह उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। कोरोना के कारण उनके पार्थिव शरीर को पार्टी मुख्यालय लाने का फैसला पार्टी नेतृत्व को बदलना पड़ा।
दरअसल 1 अक्टूबर को अहमद पटेल ने स्वयं ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी कि वे कोरोना संक्रमित हो गए हैं तथा जो भी उनके संपर्क में आया है वे अपने आप को एकांत कर ले क्योंकि वे स्वयं भी एकांत में चले गए हैं।
हालत बिगड़ने पर अहमद पटेल दो दिन बाद ही फ़रीदाबाद के एक निजी हस्पताल में इलाज के लिए चले गए लेकिन वहां उनकी हालत सुधरने की जगह और बिगड़ने लगी, तब अहमद पटेल को गुरुग्राम के मेदांता हस्पताल में भर्ती कराया गया।
कोरोना से पीड़ित पटेल की हालत ने शुरुआती सुधार हुआ लेकिन बाद में उनकी हालत बिगड़ने लगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लम्बे समय तक पटेल को आईसीयू में रखा गया, लेकिन उनके स्वस्थ में आशा के अनुरूप सुधार नहीं हो सका।
जानकारों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से वे अचेतन में थे और उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। आज सुबह 3 बज कर 30 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली और अलविदा कह कर चल बसे। उनके पुत्र ने ट्वीट कर उनके निधन की सूचना दी। राहुल गाँधी ने हस्पताल जा कर अहमद पटेल को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
21 अगस्त 1949 को जन्मे अहमद पटेल पेशे से किसान थे लेकिन बाद राजनीति में सक्रिय हो गए। मोहम्मद इश्क़ जी पटेल के पुत्र अपने पीछे एक पुत्र, पुत्री और पत्नी को छोड़ गए हैं। एपी मशहूर पटेल ने 10 साल तक कांग्रेस में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
समय समय पर उनके विरुद्ध मामले दर्ज हुए, आरोप लगे लेकिन उन्होंने उनका जमकर मुक़ाबला किया। वे सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के साथ-साथ कांग्रेस के संकटमोचक थे। 1977 से 1979 तक वे छटवीं लोक सभा के सदस्य रहे , 1977 से 1982 तक वे गुजरात प्रदेश युथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
1980 से 1984 तक वे सातवीं लोकसभा के सदस्य बने, 1985 से 1986 तक वे पार्टी के महासचिव, 1986 से 1988 तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के अलावा संसदीय समितियों के सदस्य तथा राज्य सभा के सदस्य रहे।