महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी और तीनों दलों के बीच सरकार के गठन पर तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे दिया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा में अपनी ताकत के अनुसार मंत्री पद पर सहमति व्यक्त की गई है।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद पर तीन दलों की नजर है। सभी चाहते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष हमारे दल का हो। राकांपा ने रोटेशनल मुख्यमंत्री पद के लिए अब तक कोई मांग नहीं रखी है। कांग्रेस ने राकांपा से इसके लिए कहा है, लेकिन एनसीपी इस पर चुप्पी साधे हुए है। शुक्रवार की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। कांग्रेस पार्टी शहरी विकास मंत्रालय भी अपने पास रखना चाहती है।
हालांकि सूत्र कह रहे हैं कि तीन दलों के बीच विभाग के लिए कोई फैसला नहीं किया गया है। लेकिन चर्चा है कि तीन दलों के बीच बराबर-बराबर (14-14-14) विभाग बांटे जाने की बात हो रही है। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बातचीत की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी हो गई और शुक्रवार को नयी सरकार के गठन एवं इसकी रूपरेखा के बारे में अंतिम निर्णय किया जा सकता है।
दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस और राकांपा के बीच सभी मुद्दों पर बातचीत हो गई है और सहमति भी बन गई है। चव्हाण के मुताबिक अब दोनों पार्टियां शुक्रवार को मुंबई में अपने छोटे सहयोगी दलों और शिवसेना के साथ बातचीत करेंगी।
उन्होंने कहा कि कल मुंबई में ही इस बारे में विचार होगा कि नयी सरकार का क्या स्वरूप होगा। सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को ही मुंबई में सरकार गठन तथा इसकी पूरी रूपरेखा के बारे में घोषणा की जा सकती है। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं।
राकांपा की तरफ से प्रफुल्ल पटेल, सुप्रिया सुले, अजीत पवार, जयंत पाटिल और नवाब मलिक शामिल हैं। इससे पहले कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार गठन के लिए आगे बढ़ने को लेकर बृहस्पतिवार को स्वीकृति प्रदान कर दी।
कांग्रेस और राकांपा के वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को भी मैराथन बैठक की थी और इसके बाद ऐलान किया था कि वे जल्द ही राज्य में शिवसेना के साथ मिलकर नयी सरकार का गठन करेंगे। गत 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से सरकार गठन को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।
चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, लेकिन ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए। इस चुनाव में भाजपा और शिवसेना 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें हासिल कीं।