कांग्रेस का सियासी ड्रामा: चिठ्ठी लिखने वाले नेताओं का असली निशाना थे राहुल के 'करीबी'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 30, 2020 12:35 PM2020-08-30T12:35:57+5:302020-08-30T12:35:57+5:30

राहुल खुद इन मामलों को हैंडल नहीं करते हैं बल्कि उनके कुछ करीबी नेता इन मामलों को देखते हैं। इतना ही नहीं राहुल का यह स्पेशल वर्ग काफी ताकतवर है कि इन लोगों ने सोनिया गांधी के एक आदेश को तीन दिन तक लटकाए रखा।

Congress' political drama: The real target of the leaders who wrote the letter was' close 'to Rahul. | कांग्रेस का सियासी ड्रामा: चिठ्ठी लिखने वाले नेताओं का असली निशाना थे राहुल के 'करीबी'

सोनिया गांधाी ने मध्यप्रदेश उपचुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षकों के नामों के मंजूरी दी थी।

Highlights23 नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र का असली निशाना राहुल गांधी के ‘दरबारी’ थे। पार्टी से जुड़े हर महत्वपूर्ण मुद्दे को सोनिया गांधी अक्सर बेटे के पास भेजती हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस मे चल रहे नेतृत्व परिवर्तन की मांग के लेकर 23 नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र का असली निशाना राहुल गांधी के ‘दरबारी’ थे। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक कॉलम इनसाइड ट्रैक के मुताबिक, पत्र का निशाना गांधी परिवार नहीं होकर राहुल के खास लोग जिन्हें तुगलक लेन क्लब के नाम से जाना जाता है, वे थे।

बताया जाता है कि पार्टी से जुड़े हर महत्वपूर्ण मुद्दे को सोनिया गांधी अक्सर बेटे के पास भेजती हैं। वहीं, राहुल खुद इन मामलों को हैंडल नहीं करते हैं बल्कि उनके कुछ करीबी नेता इन मामलों को देखते हैं। इतना ही नहीं राहुल का यह स्पेशल वर्ग काफी ताकतवर है कि इन लोगों ने सोनिया गांधी के एक आदेश को तीन दिन तक लटकाए रखा। दरअसल, हाल ही में सोनिया गांधाी ने मध्यप्रदेश उपचुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षकों के नामों के मंजूरी दी थी। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने तीन दिन तक इन नामों को अपनी तरफ से क्लियर नहीं किया।

सामान्य रूप से राहुल गांधी बाहर से आने वाले लोगों से मिलने से कतराते हैं, वहीं केसी वेणुगोपाल गेटकीपर की भूमिका में होते हैं। राहुल गांधी के करीबी माने जाने केसी वेणुगोपाल और राजीव सातव दोनों ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। हालांकि पार्टी की तरफ से इन्हें चुनाव लड़ने के निर्देश थे।

फिर भी इन लोगों को राज्यसभा सांसद के रूप में पुरस्कृत किया गया। अजय माकन, जो लगातार दो लोकसभा चुनाव हार कर अपनी साख गंवा चुके थे और राजनीतिक गुमनामी में रह रहे थे, को राहुल के खास लोगों के साथ का फायदा मिला। अजय माकन को अचानक राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है। जानकारों का मानना है कि अजय माकन को राजस्थान के बारे में कोई खास जानकारी नहीं हैं।

Web Title: Congress' political drama: The real target of the leaders who wrote the letter was' close 'to Rahul.

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