मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को झटका देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया ने खुद ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं। जबकि बिसाहू लाल सिंह ने विधायक पद से इस्तीफा देने बाद तुरंत ही बीजेपी में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि सिंधिया आज शाम 6 बजे भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं।
इसी बीच बीएसपी के विधायक संजीव कुशवाहा और समाजवादी विधायक राजेश शुक्ला मंगलवार को शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके घर पहुंचे हैं। हालांकि, इस मुलाकात को शिवराज सिंह चौहान ने होली से जोड़कर बताया है। शिवराज सिंह ने कहा 'वो सिर्फ होली के अवसर पर मुलाकात करने आए थे।इसमें कोई रानजीति नहीं है।'
मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेताओं ने मानी हारी
ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने उनको राज्यसभा में सांसद बनने के लिए टिकट दी फिर भी उनको ये रास नहीं आता क्योंकि मोदी जी उनको कह दिए कि तुम्हें हम मंत्री पद देंगे। सिंधिया देख रहे हैं कि मंत्री पद इससे ज्यादा मुनाफे का होगा। अधीर रंजन चौधरी ने कहा, हम उनका सम्मान करते थे कि राजा का बेटा है हार्वर्ड वाले हैं। लेकिन लालच लोगों को कहां से कहां ले जाता है। कांग्रेस में वो जरूर राजा की हैसियत में विराजमान थे लेकिन बीजेपी में जा कर उन्हें जरूर प्रजा बनना पड़ेगा।
कांग्रेस नेता अरुण यादव ट्वीट कर कहा, ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनाए गए चरित्र को लेकर मुझे जरा भी अफसोस नहीं है। सिंधिया खानदान ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी जिस अंग्रेज हुकूमत और उनका साथ देने वाली विचारधारा की पंक्ति में खड़े होकर उनकी मदद की थी।
मध्य प्रदेश की समझें राजनीति गणित
इसके बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस इन 10 विधायकों में से आठ विधायकों को वापस लाने में अब तक सफल हो चुकी है। हालांकि, लापता हुए 10 विधायकों में से अब केवल कांग्रेस के दो विधायक हरदीप सिंह डंग एवं रघुराज कंसाना ही बचे हैं, जो अब तक गायब हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।