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गुलाम नबी आजाद और पीएल पूनिया को लेकर कांग्रेस में असमंजस, दोनों ही नेता दोबारा राज्यसभा जाने के इच्छुक

By हरीश गुप्ता | Updated: February 27, 2020 05:42 IST

आजाद महाराष्ट्र से! इसी स्थिति के चलते यह सुझाव आया है कि गुलाम नबी आजाद को महाराष्ट्र या किसी ऐसे राज्य से राज्यसभा भेजा जाए, जहां कांग्रेस की स्थिति संतोषजनक है. राज्यसभा में आजाद चूंकि विपक्ष का चेहरा हैं, इसलिए कांग्रेस आलाकमान उन्हें दोबारा जीत दिलाने के लिए कटिबद्ध है. जून में कर्नाटक से भी दो सीटों का फैसला होना है, लेकिन वहां पहले ही मल्लिकार्जुन खडगे, बी.के. हरिप्रसाद और प्रो. एम.वी. राजीव गौडा कतार में हैं.

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में जाने वाले आजाद का कार्यकाल फरवरी 2021 में खत्म होना है. उत्तरप्रदेश से नवंबर 2014 में राज्यसभा पहुंचे पूनिया का कार्यकाल नवंबर 2020 में खत्म होगा.

दो वरिष्ठ राज्यसभा सांसदों गुलाम नबी आजाद और पी.एल. पूनिया द्वारा कार्यकाल की समाप्ति से काफी पहले ही दोबारा राज्यसभा में जाने की ख्वाहिश का इजहार कर कांग्रेस आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. दोनों ही अप्रैल में होने जा रहे द्विवार्षिक चुनावों से ही राज्यसभा में पहुंचना चाहते हैं.

जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में जाने वाले आजाद का कार्यकाल फरवरी 2021 में खत्म होना है. उत्तरप्रदेश से नवंबर 2014 में राज्यसभा पहुंचे पूनिया का कार्यकाल नवंबर 2020 में खत्म होगा. इन राज्यों से दोनों का ही दोबारा चयन असंभव है. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग है जबकि पूनिया को दोबारा चुनने के लिए जरुरी वोटों का उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के पास नितांत अभाव है.

आजाद महाराष्ट्र से! इसी स्थिति के चलते यह सुझाव आया है कि गुलाम नबी आजाद को महाराष्ट्र या किसी ऐसे राज्य से राज्यसभा भेजा जाए, जहां कांग्रेस की स्थिति संतोषजनक है. राज्यसभा में आजाद चूंकि विपक्ष का चेहरा हैं, इसलिए कांग्रेस आलाकमान उन्हें दोबारा जीत दिलाने के लिए कटिबद्ध है. जून में कर्नाटक से भी दो सीटों का फैसला होना है, लेकिन वहां पहले ही मल्लिकार्जुन खडगे, बी.के. हरिप्रसाद और प्रो. एम.वी. राजीव गौडा कतार में हैं.

इसलिए आजाद पर फैसला अप्रैल के चरण में ही हो सकता है. पूनिया छग से! पूनिया चाहते हैं कि उन्हें छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजा जाए. वहां पार्टी के पास दो राज्यसभा सीट जीतने की क्षमता है. वह हैं भी छत्तीसगढ़ से ही, लेकिन वहां भी कई उम्मीदवारों के आस लगाए बैठे होने से दिक्कत आ सकती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नजरें उन 13 सीटों पर हैं जिनमें पार्टी की जीत की संभावना है.

पार्टी के 13 राज्यसभा सांसद निवृत्त हो रहे हैं और चुनावों के बाद भी उसकी क्षमता जस की तस 46 ही रहने की संभावना है. यह सभी हैं कतार में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता जैसे दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कु. सैलजा, टी. सुबीराम रेड्डी, मधुसूदन मिस्त्री, राजीव शुक्ला (गांधी परिवार के करीबी), पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, आरपीएन सिंह राज्यसभा में जाने के दावेदार हैं. वयोवृद्ध हो जाने के कारण इस बार शायद मोतीलाल वोरा को मौका नहीं मिलेगा.

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