कांग्रेस ने जनजातीय शहीदों का योगदान भुलाकर केवल नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया : चौहान

By भाषा | Updated: December 4, 2021 14:37 IST2021-12-04T14:37:46+5:302021-12-04T14:37:46+5:30

Congress glorified only Nehru-Gandhi family by forgetting the contribution of tribal martyrs: Chouhan | कांग्रेस ने जनजातीय शहीदों का योगदान भुलाकर केवल नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया : चौहान

कांग्रेस ने जनजातीय शहीदों का योगदान भुलाकर केवल नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया : चौहान

इंदौर, चार दिसंबर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि लम्बे समय तक देश की सत्ता में रही इस पार्टी ने टंट्या भील सरीखे आदिवासी शहीदों का योगदान भुलाकर केवल नेहरू-गांधी परिवार को महिमामंडित किया।

चौहान ने टंट्या भील के बलिदान दिवस पर इंदौर से करीब 35 किलोमीटर दूर पातालपानी में आयोजित कार्यक्रम में कहा, "इस क्षेत्र की जनता टंट्या भील को भगवान मानकर पूजती है। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि लम्बे समय तक देश और मध्यप्रदेश पर राज करने वाली कांग्रेस ने टंट्या भील की इस पवित्र धरती को कभी प्रणाम क्यों नहीं किया और उनकी याद में स्मारक क्यों नहीं बनवाया?"

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, "यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने (देश के इतिहास में) केवल नेहरू-गांधी खानदान को स्थापित किया और इसी खानदान को महिमामंडित किया।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस को टंट्या भील जैसे आदिवासी क्रांतिकारियों की कभी याद नहीं आई जिन्होंने देश के लिए शहादत के जरिये सर्वोच्च बलिदान दिया।

चौहान ने टंट्या भील को ‘‘भारत मां का वीर सपूत’’ करार देते हुए कहा कि उन्होंने देश की गुलामी के दौर में अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ हथियार उठाए थे और अंग्रेजों ने उन्हें एक ‘‘गद्दार’’ की मदद से धोखे से गिरफ्तार कर मृत्युदंड दिया था।

मुख्यमंत्री ने पातालपानी में टंट्या भील की अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस मौके पर सूबे के राज्यपाल मंगु भाई पटेल भी मौजूद थे। माना जाता है कि पातालपानी में टंट्या भील का अंतिम संस्कार किया गया था।

चौहान ने घोषणा की कि प्रदेश सरकार पातालपानी में टंट्या भील के स्मारक का विकास करेगी और इन आदिवासी क्रांतिकारी पर आधारित ‘‘आराधना वाटिका’’, पुस्तकालय आदि स्थापित करेगी।

जानकारों का कहना है कि अंग्रेजों ने टंट्या भील को चार दिसंबर 1889 को राजद्रोह के जुर्म में जबलपुर के जेल में फांसी दी थी। जानकारों के मुताबिक टंट्या भील को ‘‘आदिवासियों का रॉबिन हुड’’ भी कहा जाता है क्योंकि वह अंग्रेजों की छत्र-छाया में फलने-फूलने वाले अमीरों से लूटे गए माल को जनजातीय समुदाय के गरीब लोगों में बांट देते थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Congress glorified only Nehru-Gandhi family by forgetting the contribution of tribal martyrs: Chouhan

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे