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महिला कांग्रेस महासचिव अप्सरा रेड्डी से खास मुलाकात: दो हफ्ते में छोड़ दी थी बीजेपी, उसपर बात करना भी फिजूल है

By स्वाति सिंह | Updated: February 4, 2019 19:10 IST

अप्सरा रेड्डी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी है। अप्सरा रेड्डी किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी में महासचिव पद पाने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं।

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कांग्रेस की महासचिव अप्सरा रेड्डी देश की किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की महासचिव बनने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं। कांग्रेस में शामिल होने से पहले अप्सरा रेड्डी दो हफ्ते के लिए बीजेपी में रही थीं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी उनकी मुलाकात हुई थी लेकिन वैचारिक मतभेद के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। अप्सरा रेड्डी का जन्म अजय रेड्डी के रूप में हुआ था। तमिलनाडु की रहने वाली अप्सरा ने बीजेपी छोड़ने के बाद जे जययलिता की ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेड़ कडगम (एआईएडीएमके) ज्वाइन कर ली और पार्टी की प्रवक्ता बनाई गईं। जयललिता के निधन के बाद अप्सरा ने एआईएडीएमके भी छोड़ दी और कांग्रेस से जुड़ गयी। लोकमत न्यूज़ संवाददाता स्वाति सिंह ने अप्सरा रेड्डी से खास मुलाकात की और उनके अब तक के जीवन और राजनीतिक सफर के बार में विस्तार से बात की। पढ़िए इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के चुनिंदा अंश- 

आपने अजय से अप्सरा बनने का कब सोचा?

मैं बचपन से एक लड़की की तरह महसूस करती थी, 5-6  साल से ही मुझे लगा की मैं गलत शरीर में हूं और मुझे लड़की बनना है। मैंने बहुत सारी इंटरनल बैटल फाइट किया। जब मैंने इसके बारे में पढ़ा तो मैं बहुत ज्यादा क्लियर नहीं थी। लेकिन एक जेंडर काउंसलर से मिलने के बाद और मम्मी-पापा से बात करने के बाद मैंने फैसला लिया। हाँ मुझे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जो एक लड़की को नहीं देखा होगा मैं वो सब देख चुकी हूं, सब मुश्किलें पार करके मैं अभी अपनी मंजिल पर खड़ी हूं और अच्छा एक्सपीरियंस हो रहा है। मैंने कभी अजय की तरह महसूस ही नहीं किया मैंने हमेशा से एक लड़की की तरह महसूस किया तो फिर बन गई लड़की।

बतौर ट्रांसजेंडर आपको कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

समाज में बहुत सारे भेदभाव होते हैं। ट्रांसजेंडर को कई बार कहा जाता है आप खुश नहीं रह सकते लोग हंसेंगे आपके ऊपर। आपके लिए यहां पर कुछ मायने नहीं रखेगा। यहां आपके कोई जगह नहीं है। आप कहीं और चले जाओ। लेकिन मैं बहुत आत्मविश्वासी और प्रैक्टिकल हूं। कोई भी हमारी जर्नी को इतने आसानी से नहीं समझेगा क्योंकि ये हमारी निजी जर्नी हैं और बहुत मुश्किल जर्नी है।

मैंने कभी किसी से झगड़ा नहीं किया। अगर कभी भेदभाव हुआ तो भी मैंने उन्हें केवल समझाया क्योंकि हर किसी को समझाना आसन नहीं है। मैंने बहुत ही धैर्य से सबको समझाया। हां लेकिन ट्रांसजेंडर को नहीं अपनी आदतों को सुधारना चाहिए। जैसे वो लोग गाली देते हैं या गंदी-गंदी हरकतें करके हाथ-पैर फैलाते हैं वो गलत है।

बतौर ट्रांसजेंडर मैं बहुत मुश्किलें देख चुकी हूँ लेकिन अगर हम खुद को प्रूफ करें कि हम भी इंसान हैं हमें भी भगवान ने बनाया है, तो लोग समझ जाते हैं। मतलब अगर हम सच्चाई और हिम्मत से जीते हैं तो हमें अपनी अपनी मंजिल मिल जाएगी।

आपने विदेश में भी पढ़ाई की है तो क्या वहां भी आपके साथ भेदभाव हुआ? 

मेरा भारत महान, मुझे भारत से अच्छी कोई जगह नहीं मिली। हाँ मैंने विदेशों में पढ़ाई की है क्योंकि मुझे स्कॉलरशिप मिली थी। मुझे वहां से कोर्स करने का मन भी था क्योंकि वहां का कोर्स अच्छा था। लेकिन भारत बहुत अच्छी जगह है, हाँ भारत में लोग कुछ भी जल्दी से समझते नहीं है लोग बहुत सारे ओपिनियन रखते हैं लेकिन दिल से अच्छे हैं जब ये अपने दिल के दरवाजे खोल लेते हैं तो बेहद प्यार और इज्जत देते हैं। मैं भारत के सिवा कहीं और रह नहीं पाऊँगी। अगर मैं यहां नहीं होती तो शायद अप्सरा नहीं बन पाती। 

थर्ड जेंडर को कानूनी मान्यता मिलने के बाद आप समाज में कैसा बदलाव देखती हैं?नहीं बदलाव तो इतने आसानी से नहीं मिलने वाला है क्योंकि हमें समुदाय को लेकर लोगों की सोच बदलनी है। कई बार लोग मुझ से पूछते हैं कि क्या आप मेकअप आर्टिस्ट हो? क्या आप शादियों ने डांस करते हो या भीख मांगते हो? मतलब इस तरह से ट्रांसजेंडर को बहुत नीची तरह से देखना बंद होना चाहिए। मुझे लगता है शिक्षा, हेल्थ, आवास में हमें भी आरक्षण मिले तो हम भी तरक्की कर सकते हैं।

मुझे लगता है राहुल गांधी ने बहुत बड़ा काम किया है। एक ट्रांसजेंडर को महिला विंग में जगह दी है हमारे जिंदगी की यही कोशिश होती है कि हम महिला बने तो एक महिला कांग्रेस में जगह देकर पूरी दुनिया को ये समझाया है कि लिंग से कोई मतलब नहीं रखता। जो काम आप करते हो वो सब जरूरी है पॉलिटिक्स में रहने के लिए और प्रजा की सेवा करने के लिए। मेरे ख्याल से राहुल गांधी जी ने दुनिया का दिमाग खोल दिया है।

आपने पॉलिटिक्स को क्यों चुना?

पॉलिटिक्स क्यों नहीं। अगर दुनिया को बदलना है दुनिया में अच्छी चीजें लानी है महिलाओं के लिए, बच्चों के लिए, ट्रांसजेंडर के लिए अच्छी चीजें लानी हैं तो पालिसी के तहत काम करते हैं, हम भी टैक्स देते हैं और सरकार का काम हमें भी प्रभावित करता है तो हम क्यों ना उसमें भाग लें।

पहले आप सरकार से सवाल करती थीं अब आपसे सवाल होते हैं तो कैसा लगता है आपको?जिंदगी भर मुझमें वो पत्रकार रहेगा। तो सवाल पूछना मेरे अंदर से नहीं जाएगा तो पॉलिटिक्स में रहते हुए बहुत सारे सवाल पूछती रहूंगी और लोगों की भलाई के लिए उसे बताती भी रहूंगी।

आप पहले बीजेपी से जुड़ीं फिर AIADMK में शामिल हुईं और अब कांग्रेस, इतनी पार्टियां क्यों बदलनी पड़ीं?

बीजेपी में मुझे एक अवार्ड मिला था फिर मैं अमित शाह से भी मिली लेकिन मुझे वहां की विचारधारा अच्छी नहीं लगी। खैर फिजूल है ये सब बात करना मैं सिर्फ दो हफ्ते के लिए जुड़ी थी बीजेपी से। लेकिन फिर जयललिता मैडम ने मुझे एक पोस्ट ऑफर किया पार्टी प्रवक्ता के तौर पर। मुझे जयललिता जी बहुत पसंद थी तो मैंने उस ऑफर को मांग लिया लेकिन जब मैडम चली गईं तो मैं बाहर आ गई।

पॉलिटिक्स में मैडम एक महान नेता थीं। लेकिन जब मैं बाहर आई तो मुझे कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला। सबसे पहले कोलकाता में मैं सुष्मिता देव जी से मिली वह लोकसभा की एमपी हैं और आल इंडिया महिला कांग्रेस की प्रेसिडेंट हैं।उनके ख्याल बहुत अच्छे हैं वह महिलाओं को बहुत बढ़ावा देती हैं। उन्होंने मुझे राहुल गांधी से मिलाया। राहुल गांधी बहुत अच्छे हैं। उन्होंने बहुत अच्छे से प्यार से बात की। स्किल और टैलेंट को लेकर बात की। उन्होंने एक भइया जैसे बात की।

अभी राहुल गांधी ने जन आकांक्षा रैली की, वहां लाखों की भीड़ उमड़ी तो क्या देश का मूड शिफ्ट हो रहा है?

लोग प्रधानमंत्री हटाओ योजना बना रहे हैं। लोग नरेंद्र मोदी को हटाने का मूड बना चुके हैं कि उन्हें जुमले वाला पीएम नहीं चाहिए। राहुल गांधी सच्चे दिल से दिमाग लगा के हर एक क्षेत्र के लिए मैनिफेस्टो बना रहे हैं। अभी राहुल जी पटना गए जन अकांक्षा रैली में उन्होंने प्रॉमिस किया की वह पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी की मान्यता दिलाएंगे।

राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के राजनितिक नेतृत्व में आपको क्या फर्क लगता है?

राहुल गांधी दिल से पहले सोच के फिर दिमाग से काम करते हैं। राजनीति में दिल लगाना बहुत जरुरी है और मोदी जी सिर्फ भाषण देते हैं और चोर को लगने वाला है जोर का झटका।

लोकसभा चुनाव सर पर हैं तो क्या आप चुनाव भी लड़ेंगी?

ये सवाल बहुत लोगों ने पूछा है। लेकिन अभी मैंने सोचा नहीं है क्योंकि मैं बहुत नई हूं राजनीति में। हर इंसान का एक रोडमैप है लेकिन इस समय पर इतनी जल्दी ये उम्मीद लगाना सही नहीं है। आम आदमी अभी प्रधानमंत्री भगाओ योजना बना रहे हैं उसमें हम भी लोगों के साथ मिलकर पीएम मोदी को भगाकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनवाएंगे।

आप खुद एक बड़े पद पर हैं तो क्या आप ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए क्या करेंगी?

मैंने सुष्मिता जी से बहुत सारे प्लान पर बात की है। सुष्मिता मैनिफेस्टो कमिटी में भी हैं तो मैंने अपने प्लान सबमिट कर दिए हैं। जैसे हाउसिंग में ट्रांसजेंडर समुदाय को दो प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। शिक्षा में भी ट्रांसजेंडर को आरक्षण मिले तो काम ढूंढने में आसानी रहेगी। इसके साथ ही मेडिकल में जैसे अगर कोई लड़के से लड़की बनना चाहता है तो उसे सब्सिडी मिलनी चाहिए। इससे छेड़छाड़ भी कम हो जाएगी।

 प्रियंका गांधी को अचानक कांग्रेस महासचिव नियुक्त किया गया, आप इसे कैसे देखती हैं?

प्रियंका गांधी बहुत पहले से ही पार्टी कार्यकर्ता रह चुकी हैं। वह पार्टी के लिए बहुत कुछ सह चुकी हैं और महिलाओं को राजनीति में लाना ही राहुल गांधी जी का मकसद है। राहुल गांधी जी का मत है 50 प्रतिशत महिलाएं राजनीति में आएं और उन्हें अच्छी जिम्मेदारी सौंपी जाए। लेकिन सवाल यह है कि जब कोई महिला राजनीति में आती है तो इतना चर्चा क्यों होती है? जब कोई आदमी आता है तब इतनी चर्चा नहीं होती। लेकिन जब प्रियंका गांधी आती है तो इतनी चर्चा आखिर वह भी वह भी देश की नागरिक हैं। तो वह क्यों नहीं आ सकतीं। 

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