कांग्रेस नेता ने और पूर्व केंद्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नरेन्द्र मोदी सरकार का झूठ पकड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी का सरकार का ये झूठ जल्द ही देश के सामने बेनकाब होने वाला है।
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों 10 अप्रैल को फैसला सुनाया था, मोदी सरकार की प्राथमिक आपत्ति पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ ने एकमत से कहा था कि लीक दस्तावेज भी अदालत में मान्य होंगे। अटॉर्नी जनरल का तर्क था कि दस्तावेंजों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है। प्रशांत भूषण ने इसके विरोध में कहा था कि दस्तावेज सार्वजनिक हैं।
इस मसले पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फेंस की। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, राफेल में मोदी सरकार ने देश के लोगों को गुमराह किया है। अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाए हैं कि आखिर देश में पहली जहाज आने के पहले ही 30 हजार करोड़ कैसे दे दिए गए हैं। इसके साथ ही सरकार ये बताए कि आखिर बैंक गारन्टी को क्यों हटा दिया गया है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मोदी सरकार ने झूठ, छल, कपट, विश्वासघात और फकीरी को राफेल घोटाले में अपनी रक्षा का आधार बनाया है। राफेल मामले को नए सिरे से सुनने के एससी के आदेश के बाद उनके 'रक्षा मंत्री' रक्षाहीन और कानून मंत्री 'कानूनविहीन' हो गए हैं। राफेल मामले में उन्होंने कई फर्जीवाड़े किए हैं, लेकिन जल्द ही वो सबके सामने आ जाएगा।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा तीन तरह के दस्तावेज मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट से छुपाना चाहती थी।
पहला - 24 नवंबर 2015 को, रक्षा सचिव ने तत्कालीन रक्षा मंत्री को लिखा कि पीएमओ को इस सौदे पर समानांतर वार्ता न करने की सलाह दी जाए क्योंकि यह INT को कमजोर करता है।
दूसरा- अगस्त 2016 में NSA अजीत डोभाल की 12-13 जनवरी 2016 को फ्रांसीसी पक्ष के साथ बैठकें रिकॉर्ड की गईं और दिवगंत मनोहर पर्रिकर ने इस आधार पर विचार करने का निर्देश दे दिया। (बता दें कि राफेल डील के वक्त दिवगंत मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री थे।)
तीसरा- 1 जून 2016 को राफेल सौदे के लिए विभिन्न पहलुओं को लेकर इस डील से जुड़े तीन सदस्यों ने इसपर आपत्ती दर्ज कराई थी। जिसमें 10 अहम बातें लिखी गई थी। जिसे इसके फाइनल रिपोर्ट में भी जोड़ा गया था।
शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था।
14 दिसंबर के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र द्वारा जताई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे।’’ उसने कहा, ‘‘अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे।’’