गांधी परिवार की SPG सुरक्षा पर भ्रम की स्थिति, कांग्रेस की करीबी NCP ने कहा- निगरानी रखने के इरादे से उठाया सरकार ने कदम
By रामदीप मिश्रा | Published: October 8, 2019 08:57 AM2019-10-08T08:57:43+5:302019-10-08T08:57:43+5:30
केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की हैं, जिसके अनुसार अब यह जरूरी कर दिया है कि एसपीजी सुरक्षा के अंतर्गत आने वाला कोई भी जब विदेश दौरे पर होगा, तब भी सुरक्षा दे रहे जवान उसके साथ होंगे।
कांग्रेस के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा गांधी परिवार के सदस्यों के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) सुरक्षा की शर्तों को बदलने के कथित कदम को 'गोपनीयता पर उल्लंघन' बताया। साथ ही साथ कहा गया है कि उन पर निगरानी रखने की कोशिश की गई है, जिसके चलते भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
केंद्र सरकार ने सामने आई रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। रिपोर्ट में एसपीजी की सुरक्षा पाने वाले लोगों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम शामिल है।
एनसीपी नेता मजीद मेमन ने कहा है कि इस तरह के कदम से निजता का उल्लंघन होगा। यह फैसला गांधी परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के इरादे से किया गया है। यह उन पर निगरानी रखने के इरादे से किया गया है। साथ ही साथ उनकी निजता का उल्लंघन प्रतीत होता है। यह एक तरह से मौलिक अधिकार की स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है और इसे चुनौती दी जा सकती है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की हैं, जिसके अनुसार अब यह जरूरी कर दिया है कि एसपीजी सुरक्षा के अंतर्गत आने वाला कोई भी जब विदेश दौरे पर होगा, तब भी सुरक्षा दे रहे जवान उसके साथ होंगे। पहले यह नियम लागू नहीं थे। यह नया बदलाव उस समय आया है जब राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं।
नई गाइडलाइन के तहत ये भी जरूरी होगा कि एसपीजी सुरक्षा हासिल करने वाले अपनी यात्रा का विस्तृत ब्यौरा देना होगा। संडे गार्डियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनसे पुराने कुछ विदेश यात्राओं का भी ब्योरा मांगा गया है। यही नहीं, अगर एसपीजी सुरक्षा हासिल करने वाले ये शर्ते नहीं मानते हैं तो सरकार सुरक्षा के आधार पर उनके विदेश दौरों पर कटौती भी कर सकती है।
बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एसपीजी को 1985 में बनाया गया था। संसद ने भी एसपीजी एक्ट 1988 में पास किया। इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा का विशेष जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद 1989 में वीपी सिंह की सरकार आने के बाद राजीव गांधी को दी गई एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी।
साल 1991 में हालांकि राजीव गांधी की हत्या के बाद एसपीजी एक्ट में बदलाव किया गया। एसपीजी सुरक्षा सभी पूर्व प्रधानमंत्री समेत उनके परिवार को कम से कम 10 साल तक देने का प्रावधान किया गया। साल 2002 में इसमें फिर बदलाव हुआ और इसे साल में एक बार रिव्यू की बात की गई। पिछले साल अगस्त में नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा हटा लिया था। मनमोहन सिंह को इसके बाद से जेड प्लस सुरक्षा दी जा रही है।