दुष्कर्म के मामलों की जांच दो महीने में पूरी करें - उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: September 16, 2021 21:03 IST2021-09-16T21:03:29+5:302021-09-16T21:03:29+5:30

Complete the investigation of rape cases in two months - High Court | दुष्कर्म के मामलों की जांच दो महीने में पूरी करें - उच्च न्यायालय

दुष्कर्म के मामलों की जांच दो महीने में पूरी करें - उच्च न्यायालय

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 16 सितंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि सरकार सीआरपीसी के संशोधित प्रावधानों के मुताबिक दुष्कर्म के मामलों की जांच दो महीने में पूरी करने का अपने अधिकारियों को निर्देश दे।

मैनपुरी में एक छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु के मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति ए. के. ओझा की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों को मैनपुरी की 16 वर्षीय छात्रा की मृत्यु की जांच में प्रगति से अदालत को अवगत कराने का भी निर्देश दिया। छात्रा का शव 2019 में उसके स्कूल में संदिग्ध परिस्थियों में मिला था। परिजनों का आरोप है कि लड़की के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या की गई।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस अधिकारी अवश्य सुनिश्चित करें कि जांच के दौरान उस लड़की के परिजनों पर दबाव ना बनाया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अदालत ने पुलिस महानिदेशक को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।

जनहित याचिका दायर करने वाले महेंद्र प्रताप सिंह ने आरोप लगाया है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही, बल्कि आरोपियों को बचा रही है। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी भी स्वतंत्र जांच नहीं कर रही।

अदालत में बृहस्पतिवार को भी मौजूद रहे डीजीपी ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए नयी एसआईटी गठित की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने अदालत से इस मामले पर नजर रखने का अनुरोध किया।

बार के अनुरोध पर विचार करते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को एक महीना बीतने पर इस मामले की जांच में हुई प्रगति से अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई एक महीना पूरा होने पर करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने देश में अपराधियों का दोष सिद्ध होने की खराब दर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, हम इस तथ्य से परिचित हैं कि भारत में दोष सिद्धि की दर महज छह प्रतिशत से थोड़ी अधिक है। इसका कारण पुलिस द्वारा खराब जांच या जांच में छेड़छाड़ है।

अदालत ने कहा, ज्यादातर समय वैज्ञानिक ढंग से साक्ष्य एकत्रित नहीं किए जाते और इसलिए विशेषज्ञ किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रहते हैं जिससे ज्यादातर मामलों में आरोपी व्यक्ति बरी हो जाते हैं।

अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि जांच अधिकारियों को समय-समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है ताकि उन्हें सिखाया जा सके कि ऐसे मामलों की जांच कैसे करें और वैज्ञानिक ढंग से साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाएं।

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले की शुरुआती जांच में शामिल एएसपी और डीएसपी को निलंबित किया जा चुका है। मामले की नए सिरे से जांच के लिए नयी एसआईटी गठित की गई है।

सुनवाई के दौरान अदालत का सहयोग करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि उस लड़की की मां ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि उसकी लड़की यह शिकायत किया करती थी कि उसे स्कूल के कुछ राज पता हैं और इसी वजह से स्कूल की प्रधानाचार्या उसका उत्पीड़न कर रही थीं।

सिंह ने बताया कि उस लड़की ने अपनी मौत से महज एक दिन पहले अपनी मां को फोन पर बताया था कि उसे जान से मारने की धमकी मिल रही है, लेकिन जब परिजनों ने प्रधानाचार्या से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इसे अनसुना कर दिया।

इस पर अदालत ने सुझाव दिया कि जांच अधिकारी संबंधित फोन नंबरों के कॉल विवरण एकत्रित करें जो साक्ष्य हो सकते हैं।

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Web Title: Complete the investigation of rape cases in two months - High Court

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