Colonel Manpreet Singh martyred: नहीं सर, मैं अपनी 19 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात रहना चाहूंगा और अपने जवानों के साथ रहूंगा, सलाम कर्नल मनप्रीत सिंह!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 14, 2023 19:58 IST2023-09-14T19:57:33+5:302023-09-14T19:58:12+5:30
Colonel Manpreet Singh martyred in Anantnag operation: कर्नल सिंह के परिवार में पत्नी, छह साल का बेटा और दो साल की बेटी है।

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Colonel Manpreet Singh martyred in Anantnag operation: साल 2021 में पदोन्नति के बाद कर्नल मनप्रीत सिंह को शांतिपूर्ण स्थान पर तैनाती देने की पेशकश की गई तो उन्होंने त्वरित जवाब में कहा था, “ नो सर’ (बिल्कुल नहीं)। उन्होंने इसके बजाय 19 राष्ट्रीय राइफल्स में बने रहने और कमान संभालने को तरजीह दी थी।
इस बटालियन ने कई आतंकवादियों को ढेर किया है जिनमें हिज़्बुल मुजाहिदीन का ‘पोस्टर बॉय’ कहा जाने वाला बुरहान वानी भी शामिल था। कर्नल सिंह के परिवार में पत्नी, छह साल का बेटा और दो साल की बेटी है। उन्हें संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में सेवा देना का अनुभव था और उन्हें 19 राष्ट्रीय राफल्स में ‘सैकंड-इन कमांड’ (उपकमांडर) रहने के दौरान सेना पदक से सम्मानित किया गया था।
19 राष्ट्रीय राफल्स को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कोकेरनाग और वेरीनाग अचबल तथा इसके ऊंचाई वाले क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। इन इलाकों में अतीत में आतंकवादियों की, खासकर विदेशी भाड़े के आतंकियों की मौजूदगी रही है।
कर्नल सिंह (करीब 40 साल) मेजर आशीष ढोचक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट और एक जवान के साथ बुधवार को कोकेरनाग के ऊंचाई वाले इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए। एक जवान अब भी लापता है। मेजर ढोचक (34) का एक महीने पहले भी मौत से सामना हुआ था और उन्हें उत्साही अधिकारी के तौर पर याद रखा जाएगा।
वह हर अभियान की बारीकियों में जाते थे। सिंह को 2021 में कर्नल के पद पर पदोन्नति दी गई थी और उन्हें शांतिपूर्ण इलाके में तैनाती का विकल्प दिया गया था। इस पेशकश पर उनका त्वारित जवाब था, “नहीं सर, मैं अपनी 19 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) में तैनात रहना चाहूंगा और अपने जवानों के साथ रहना चाहूंगा।"
कर्नल सिंह ने विनम्रता से उन्हें दी गई पेशकश को अस्वीकार कर दिया था। कर्नल सिंह हमेशा आगे रहकर नेतृत्व करना चाहते थे और आमतौर पर इसका कारण वह बताते थे कि “मुझे यह सुनिश्चित करना है कि मेरी कमान में हर कोई सुरक्षित रहे।” वह खेल के शौकीन थे। वह हमेशा युवाओं के उत्थान और उन्हें खेल से जुड़ी गतिविधियों में शामिल करने में विश्वास रखते थे।
महिलाओं के लिए ‘चिनार क्रिकेट टूर्नामेंट’ और वॉलीबॉल स्पर्धाएं लारकीपुरा के अशांत इलाकों में अक्सर आयोजित होती थीं, जहां 19 राष्ट्रीय राइफल्स का मुख्यालय स्थित है। क्षेत्र के कई खेल प्रेमियों ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि कर्नल सिंह अब नहीं रहे। उनमें से कई लोगों ने कहा कि अधिकारी युवाओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे और उन्हें एक व्यापक समाज बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
महिला क्रिकेटर रूब्बिया सईद ने कहा, “ उनका मानना था कि खेल समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं... कई लोग नशे के आदी थे जिन्हें उन्होंने पुनर्वास के लिए भेजा था।” मेजर ढोचक और उनकी टीम कोकेरनाग के एथलान गडोले इलाके में 10 अगस्त को घेराबंदी और तलाशी अभियान में भाग ले रही थी।
तभी आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक जवान सहित तीन लोग घायल हो गए। शहीद सैनिक को जानने वाले एक अधिकारी ने कहा, “ इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया...” मेजर ढोचक को पिछले महीने ही स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सेना पदक से नवाज़ा गया था।