कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु: भारत का सबसे अधिक ऊंचाई पर बना स्थायी पुल
By भाषा | Published: October 22, 2019 03:57 PM2019-10-22T15:57:54+5:302019-10-22T15:57:54+5:30
कर्नल चेवांग रिनचेन को दो बार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस सेतु का आधिकारिक नाम ‘कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु’ रखा गया है। यह रणनीतिक तौर पर लेह और काराकोरम दर्रे के बीच सड़क के 255 किलोमीटर दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी हिस्से पर बना हुआ है। सीमा सड़क संगठन ने 15 महीने में इस सेतु का निर्माण किया है।
कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु भारत का सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित स्थायी पुल है। चीन के साथ लगती सीमा से करीब 45 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख में स्थित इस सेतु का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। सोमवार को इस सेतु का उद्घाटन करने के बाद सिंह ने देश के सामने आने वाले किसी भी संभावित खतरे से प्रभावी तौर से निपटने के लिए सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी।
यह 14,650 फुट की ऊंचाई पर सब-सेक्टर नॉर्थ में स्थित श्योक नदी पर बना 1400 फुट लंबा सेतु है और इसका नाम ‘लॉयन ऑफ लद्दाख’ कर्नल चेवांग रिनचेन के नाम पर रखा गया है। इसे राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और विभिन्न पदकों से नवाजे गए दिवंगत सेना अधिकारी की बेटी और नातिन शामिल हुईं।
कर्नल चेवांग रिनचेन को दो बार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस सेतु का आधिकारिक नाम ‘कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु’ रखा गया है। यह रणनीतिक तौर पर लेह और काराकोरम दर्रे के बीच सड़क के 255 किलोमीटर दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी हिस्से पर बना हुआ है। सीमा सड़क संगठन ने 15 महीने में इस सेतु का निर्माण किया है।
इससे यात्रा का समय घटकर आधा रह जाएगा। सिंह ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह काफी गर्व की बात है कि हम इस सेतु को राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं जो देश के एक सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है जो चीन के समीप स्थित है और मैं कर्नल चेवांग रिनचेन के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता हूं जिनके नाम पर इस सेतु का नाम रखा गया है।’’
यह सेतु हमारे जवानों, इंजीनियरों और बीआरओ के अन्य कर्मियों की वीरता, धैर्य और साहस का प्रतीक है। बीआरओ बेहद विपरीत मौसम परिस्थितियों और दुर्गम पर्वतों पर काम करता है जहां पारा शून्य से कई डिग्री नीचे तक जा सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘यह सेतु न केवल इस्पात और कंक्रीट से बना है बल्कि बीआरओ के इंजीनियरों और कर्मियों के पसीने तथा वीरता से भी बना है।’’
सिंह, जनरल रावत और अन्य अधिकारियों के एक समूह ने दिल्ली रवाना होने से पहले इस पुल पर सवारी की। सिंह ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘लद्दाख में श्योक नदी पर नव निर्मित ‘कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु’ राष्ट्र को समर्पित करके खुश हूं। इस सेतु का निर्माण रिकॉर्ड समय में किया गया है। यह क्षेत्र में न केवल हर मौसम में संपर्क मुहैया कराएगा बल्कि यह सीमावर्ती इलाकों में सामरिक संपत्ति भी है।’’
उन्होंने कहा कि इस सेतु से क्षेत्र में सैन्य बलों की आवाजाही तेज होगी। बाद में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सिंह ने देश में शांति को कमतर करने वाले किसी भी खतरे से प्रभावी तौर पर निपटने में सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। लद्दाख से सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कर्नल रिनचेन की प्रशंसा की और उन्हें ‘‘धरती का पुत्र’’ और ‘‘महान देशभक्त’’ बताया।