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भाजपा को हराने के लिए चतुर चालों की जरूरत है: शिवसेना

By भाषा | Updated: August 23, 2021 15:39 IST

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शिवसेना ने सोमवार को कहा कि विपक्षी पार्टियों को 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिकस्त देने के लिए ‘कुशल और चतुर चालें’ चलनी होंगी तथा पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र ने दिखा दिया है कि मोदी-शाह की बाजीगरी को चुनावी मैदान और राजनीति की बिसात पर रोका जा सकता है।पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है, “केवल एक चीज, जो आपको चाहिए वह है लड़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति।” उसमें कहा गया है कि एक निश्चित कार्य योजना समय की मांग है।शिवसेना 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर भाजपा से अलग हो गई थी। बाद में उद्वव ठाकरे नीत पार्टी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिल कर गठबंधन सरकार बनाई जिसे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का नाम दिया गया। इस साल के शुरू में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर पकड़ बरकरार रखी। ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी की 19 सभाएं होने के बाद भी बंगाल में ममता का ही झंडा लहराया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तमाम राजनीतिक योजनाएं, आर्थिक प्रबंधन का कोई असर नहीं पड़ा।मराठी दैनिक ने कहा, “उसी तरह दो साल पहले महाराष्ट्र में राजभवन की प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर भी भाजपा राज्य में सरकार नहीं बना सकी।”लेख में जाहिर तौर पर उस घटनाक्रम की ओर संकेत था जिसमें राजभवन में तड़के एक समारोह में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी।शिवसेना ने कहा, “प. बंगाल और महाराष्ट्र ने दिखा दिया है कि भाजपा को चुनाव के मैदान में और राजनीति की बिसात पर हराया जा सकता है।’’ पार्टी ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों की ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का उपहास करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री यात्रा में “सिर्फ विपक्षी दलों को अपशब्द कहने और कोसने का काम” कर रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि अधिकतर मंत्री भाजपा में ‘बाहरी’ हैं और “सालों-साल भाजपा की पालकी ढोने वाले कार्यकर्ता उस मेले में मूर्खों की तरह शामिल हो रहे हैं।”शिवसेना ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए विपक्षी पार्टियों को ‘कुशलता और चतुरता’ से कदम उठाने होंगे। उसने कहा, “2024 (में होने जा रहे चुनाव) का परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी कुशल और चतुर चालें चली जाती हैं। विपक्षी पार्टियों को यह करना होगा। तैयारी और रिहर्सल करनी होगी। पहले विपक्षी पार्टियों को लोगों का विश्वास जीतना होगा कि वे एक व्यवहार्य विकल्प प्रदान कर सकते हैं।”गौरतलब है कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने हाल में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की एक बैठक बुलाई थी। संपादकीय में कहा गया है कि 19 राजनीतिक दलों के एक साथ आने भर से मोदी सरकार हिल जाएगी और चली जाएगी, इस भ्रम में नहीं रहा जा सकता है, क्योंकि इन 19 में से कई पार्टियां ऐसी हैं जिनके किले उजाड़ और जर्जर हो गए हैं।पार्टी ने कहा कि इन जर्जर किलों की मरम्मत कर उन्हें व्यवस्थित किए बिना एकजुटता का असर सामने वालों (भाजपा) पर नहीं होगा। शिवसेना ने कहा कि सिर्फ ‘चर्चा पे चर्चा’ नहीं चाहिए बल्कि देश के सामने एक ठोस कार्यक्रम लेकर जाने की जरूरत है और विपक्ष की एकजुटता का प्रदर्शन करते समय उनकी किलाबंदी जर्जर खंभों पर नहीं होनी चाहिए। संपादकीय में दावा किया गया है कि आज भाजपा की सरकारें सिर्फ ‘उत्तर प्रदेश और असम में हैं।” उसने कहा, “मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सरकारें लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को गिराकर बनाई गई हैं।”संपादकीय में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय हित को देखते हुए वर्तमान राजनीतिक क्षेत्र में "जगजीवन राम" की आवश्यकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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