40 फीसदी भारतीयों की स्वच्छ ईंधन तक पहुंच नहीं, हर पांचवां भारतीय खुले में शौच करता है, NFHS रिपोर्ट में खुलासा
By विशाल कुमार | Published: May 22, 2022 11:52 AM2022-05-22T11:52:03+5:302022-05-22T11:59:00+5:30
ग्रामीण इलाकों में 56 फीसदी लोग खाना पकाने के लिए कोयले, लकड़ी, लकड़ी का कोयला और उपले का उपयोग करते हैं और उनमें से बड़ी संख्या में उसी कमरे में खाना बनाते हैं जहां वे रहते हैं, जिससे घर का हर सदस्य हानिकारक धुएं के संपर्क में आता है।
नई दिल्ली: देश में 40 फीसदी से अधिक भारतीयों के पास खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन तक पहुंच नहीं है, जबकि हर पांचवां भारतीय अभी भी खुले में शौच करता है।
यह खुलासा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में किया है, जो केंद्र सरकार के दावों के विपरित देश की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं को दिखाती है।
राष्ट्रीय औसत के विपरित ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत कहीं ज्यादा है, जहां 57 फीसदी लोग एलपीजी, प्राकृतिक गैस और बिजली का उपयोग करके खाना नहीं बना सकते हैं जबकि 26 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं।
साथ ही, ग्रामीण इलाकों में 56 फीसदी लोग खाना पकाने के लिए कोयले, लकड़ी, लकड़ी का कोयला और उपले का उपयोग करते हैं और उनमें से बड़ी संख्या में उसी कमरे में खाना बनाते हैं जहां वे रहते हैं, जिससे घर का हर सदस्य हानिकारक धुएं के संपर्क में आता है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की, जिसमें 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन और एक सिलेंडर देने की बात कही गई थी।
छह साल बाद एनएफएचएस-5 के सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में एलपीजी की पहुंच 58 प्रतिशत है, जबकि गांवों में केवल 42 प्रतिशत परिवार ही रसोई गैस या प्राकृतिक गैस का उपयोग खाना पकाने के लिए करते हैं। ग्रामीण भारत का पसंदीदा ईंधन लकड़ी है जिसमें लगभग 44 प्रतिशत परिवार इसका उपयोग करते हैं।