सुप्रीम कोर्ट में केसों के आवंटन पर CJI ने कहा- मुकदमों का आवंटन उनका संवैधानिक अधिकार
By स्वाति सिंह | Published: April 11, 2018 01:56 PM2018-04-11T13:56:14+5:302018-04-11T15:41:39+5:30
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कर रही थी।
नई दिल्ली, 11 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह साफ़ किया कि केस के आवंटन और बेंच गठित करना चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने अशोक पांडे की जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज किया। इस पीआईएल में केसों के आवंटन और बेंच गठन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की मांग की गई थी।
ये भी पढ़ें: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने जा रहा है विपक्षः सूत्र
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कर रही थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने पीठ के फैसले को लिखते हुए कहा, 'भारत के मुख्य न्यायाधीश बराबर हैं और उनके पास मामलों के आवंटन और बेंच स्थापित करने का अधिकार है।' न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले पर पर कहा 'चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया उच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं, ऐसे में संविधान के निर्देशों के तहत सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही चलाने के लिए सीजीआई के कार्यों को लेकर अविश्वास नहीं किया जा सकता।
ये भी पढ़ें: CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सस्पेंस, कांग्रेस चुप, सपा ने किया समर्थन, NCP सांसद ने कहा किए हैं दस्तखत
उल्लेखनीय है कि बीती 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष चार जज मीडिया आकर सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक ना चलने की बात कही थी। इसके बाद से लगातार कांग्रेस मामले पर मुखर थी। इसके अलावा कांग्रेस जज बीएल लोया की मौत की सुनवाई व जांच को लेकर सरकार को कठगरे में रखे हुए है।तब सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों जस्टिस जे चेलेश्वरम, जस्टिस जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को प्रेस वार्ता करके सुप्रीम कोर्ट में मामलों को विभिन्न पीठों को सुनवाई के लिए आवंटित करने पर सवाल उठाया था। प्रेस वार्ता में जस्टिस गोगोई ने इशारा किया था कि जज बीएच लोया की मौत की जाँच से जुड़ी पीआईएल की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस से उनके मतभेद हैं।