झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है, बोले सीजेआई चंद्रचूड़- न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 4, 2023 08:27 AM2023-03-04T08:27:08+5:302023-03-04T08:40:12+5:30

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब इसके निर्माताओं को संभवतः यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी।

CJI Chandrachud said Truth has become a victim of false news as judges we are no exception to this | झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है, बोले सीजेआई चंद्रचूड़- न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है

झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है, बोले सीजेआई चंद्रचूड़- न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है

Highlightsहमारे पास निजता को लेकर विचार नहीं था, क्योंकि तब इंटरनेट नहीं थाः CJIमहामारी की वजह से शुरू की गई वीडियो कॉन्फ्रेंस ने न्याय का विकेंद्रीकरण कियाः न्यायमूर्ति चंद्रचूड़न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है, हम उन चीजों के अपवाद नहीं हैं जो आप करते हैंः सीजेआई

नयी दिल्लीः भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि झूठी खबर के दौर में सच ‘पीड़ित’ हो गया है और सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही हालात ऐसे बन गए हैं कि कई बार जो कुछ कहा या सुना जाता है, उसकी तार्किक आधार पर कभी पुष्टि नहीं की जा सकती। सीजेआई ने कहा, “ हम ऐसे युग में रहते हैं जहां लोगों के पास सब्र और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नजरिए को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं जो उनके दृष्टिकोण से भिन्न हो।”

झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया हैः चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ यहां ‘अमेरिकन बार एसोसिएशन इंडिया कॉन्फ्रेंस’ 2023 में ‘ लॉ इन एज ऑफ ग्लोबलाइजेशन: कन्वरजेंस ऑफ इंडिया एंड वेस्ट’ विषय पर बोल रहे थे। सीजेआई ने प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका द्वारा खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान इसका इस्तेमाल, न्यायिक पेशे के सामने आने वाले मसले तथा अधिक महिला न्यायाधीशों समेत विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा, ‘‘झूठी खबरों के दौर में सच शिकार हो गया है। सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, जो कुछ बीज के रूप में कहा जाता है वह वस्तुतः एक पूरे सिद्धांत में अंकुरित होता है जिसका कभी तर्कसंगत विज्ञान की कसौटी पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है।’’

हमारे पास निजता को लेकर विचार नहीं था, क्योंकि तब इंटरनेट नहीं थाः CJI

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान वैश्वीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है और यह ‘हमारे वैश्वीकरण के युग में प्रवेश करने से पहले से है।” उन्होंने कहा कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब इसके निर्माताओं को संभवतः यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी। उन्होंने कहा, “ हमारे पास निजता को लेकर विचार नहीं था, क्योंकि तब इंटरनेट नहीं था। हमारे पास निश्चित रूप से सोशल मीडिया नहीं था।”

न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है, हम उन चीजों के अपवाद नहीं हैं जो आप करते हैंः चंद्रचूड़

ट्रोलिंग का जिक्र करते हुए सीजेआई ने कहा कि हम भी इसके अपवाद नहीं। उन्होंने कहा, न्यायाधीशों को भी ट्रोलिंग से नहीं बख्शा जाता है। न्यायाधीश के तौर पर “ हम उन चीजों के अपवाद नहीं हैं जो आप करते हैं। आप ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने के खतरे का सामना करते हैं जो आपका नजरिया साझा नहीं करता है।”

महामारी की वजह से शुरू की गई वीडियो कॉन्फ्रेंस ने न्याय का विकेंद्रीकरण कियाः न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड-19 के दौरान भारतीय न्यायपालिका ने अच्छी तरह से वीडियो कॉन्फ्रेंस शुरू की और फिर इसका दायरा सभी अदालतों तक बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि महामारी की वजह से शुरू की गई वीडियो कॉन्फ्रेंस ने न्याय का विकेंद्रीकरण किया और “ मुझे लगता है कि इंसाफ की पहुंच का दायरा बढ़ाने के लिए न्याय का यह विकेंद्रीकरण एक महत्वपूर्ण प्रतिमान है।” 

Web Title: CJI Chandrachud said Truth has become a victim of false news as judges we are no exception to this

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