अनुच्छेद 370 निष्प्रभाव किए जाने के बाद सरकारी नौकरी और जमीन के अधिकारों पर गुमराह किए जा रहे जम्मू-कश्मीर के नागरिक

By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 16, 2019 06:04 PM2019-12-16T18:04:55+5:302019-12-16T18:04:55+5:30

पिछले कुछ दिनों से राज्य में पूर्वोत्तर की तरह धारा 371 लागू कर राज्य के लोगों को विशेषाधिकार देने की चर्चा स्थानीय भाजपा नेता छेड़े हुए हैं। हालांकि कल देर रात राजभवन ने इसके प्रति विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र की ओर से धारा 371 लागू नहीं की जा रही है पर बावजूद इसके स्थानीय भाजपा नेता आम नागरिकों को गुमराह करने की मुहिम को अनवरत रूप से जारी रखे हुए हैं।

Citizens of Jammu and Kashmir being misled on government jobs and land rights after Article 370 is neutralized | अनुच्छेद 370 निष्प्रभाव किए जाने के बाद सरकारी नौकरी और जमीन के अधिकारों पर गुमराह किए जा रहे जम्मू-कश्मीर के नागरिक

धारा 370 को हटाए जाने से पहले राज्य में सरकारी नौकरियों पर स्थानीय लोगों का अधिकार होता था

Highlightsजम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अब सरकारी नौकरी तथा जमीन के अधिकारों के प्रति गुमराह किया जाने लगा है। उन्हें गुमराह करने वाले भाजपा नेता ही हैं जो स्थानीय स्तर पर उन्हें सब्ज बाग दिखा रहे हैं

संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद विशेषाधिकार खोने वाले जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अब सरकारी नौकरी तथा जमीन के अधिकारों के प्रति गुमराह किया जाने लगा है। उन्हें गुमराह करने वाले भाजपा नेता ही हैं जो स्थानीय स्तर पर उन्हें सब्ज बाग दिखा रहे हैं और केंद्रीय नेता उनके सपनों को तोड़ रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से राज्य में पूर्वोत्तर की तरह धारा 371 लागू कर राज्य के लोगों को विशेषाधिकार देने की चर्चा स्थानीय भाजपा नेता छेड़े हुए हैं। हालांकि कल देर रात राजभवन ने इसके प्रति विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र की ओर से धारा 371 लागू नहीं की जा रही है पर बावजूद इसके स्थानीय भाजपा नेता आम नागरिकों को गुमराह करने की मुहिम को अनवरत रूप से जारी रखे हुए हैं।

दरअसल धारा 370 को हटाए जाने से पहले राज्य में सरकारी नौकरियों पर स्थानीय लोगों का अधिकार होता था तथा कोई बाहरी व्यक्ति राज्य में जमीन जायदाद नहीं खरीद सकता था। हालांकि धारा 370 को हटाए जाने के बाद ऐसे मामले पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद स्थानीय नेता बार-बार केंद्रीय नेताओं के चक्कर काटने लगे थे। पर सरकारी तौर पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जम्मू कश्मीर के नागरिकांे के अधिकारों की रक्षा कैसी होगी।

एक स्थानीय भाजपा नेता ने पिछले सप्ताह ही चर्चा फैला दी की धारा 371 लागू की जा रही है और दूसरे ने यह कह कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया कि हिमाचल की तर्ज पर जम्मू कश्मीर में कानून बनाया जाएगा जिसके तहत 15 साल जम्मू कश्मीर में रहने वाला ही जमीन जायदाद को खरीद सकता है और सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है।

इन चर्चाओं को उस समय विराम जरूर मिल गया जब राजभवन ने धारा 371 के प्रति साफ इंकार कर दिया और केंद्रीय गृहमंालय ने कहा कि जमीन संबंधी अधिकार जम्मू कश्मीर की चुनी हुई सरकार बनाएगी। ऐसे मंें सबसे बड़ी परेशानी जम्मू कश्मीर के बाहर के उन लोगों को होने लगी है जो जम्मू कश्मीर में जमीन जायदाद खरीदने का सपना देख रहे थे और असमंजस की स्थिति में जम्मू कश्मीर के नागरिक बीच में लटक गए हैं क्योंकि फिलहाल जम्मू कश्मीर में स्थानीय सरका दूर की कौड़ी लग रही है।

यह सच है कि भाजपा के कदमों का विरोध करने वालों मंे अब भाजपा के कार्यकर्ता ही सबसे आगे हैं जो दबे स्वर में भाजपा आलाकमान पर खासकर जम्मू के नागरिकांे के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि सभी जानते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद के कारण उद्योग आदि के लिए वहां जमीन लेने को कोई तैयार नहीं होगा और सबसे अधिक दबाव जम्मू पर ही पड़ रहा है जहां लोग जमीन तथा सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी को लेकर कोई कानून फिलहाल न बनाए जाने के कारण परेशानी की हालत में हैं।

Web Title: Citizens of Jammu and Kashmir being misled on government jobs and land rights after Article 370 is neutralized

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