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चीन की नई चाल, एलएसी के नजदीक बनाए गए गांवों में अपने नागरिकों को बसाना शुरू किया, भारतीय सेना रख रही है पैनी नजर

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: February 15, 2024 16:59 IST

चीन पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों सहित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ भारत की सीमाओं पर 628 "समृद्ध गांवों" के निर्माण में लगा हुआ है। माना जाता है कि ये गांव नागरिक और सैन्य गतिविधियों दोनों के लिए दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे के रूप में विकसित किए गए हैं।

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ठळक मुद्देभारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर चीन नई चालबाजी में जुटा हैएलएसी के नजदीक बनाए गए गांवों में अपने नागरिकों को बसाना शुरू कियाहाल के महीनों में यहां चीनी नागरिकों ने आना शुरू कर दिया है

नई दिल्ली: भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर चीन नई चालबाजी में जुटा है। चीन साल 2019 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा रक्षा गांवों का निर्माण कर रहा है। अब उसने इन गांवो में बसने के लिए अपने लोगों को भेजना भी शुरू कर दिया है। 

इंडियन एक्सप्रेस ने मामले से परिचित वरिष्ठ अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया है कि पिछले कुछ महीनों में चीनी नागरिकों ने लोहित घाटी और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के पार एलएसी के किनारे बने कुछ गांवों में आकर बसना शुरू कर दिया है।

चीन पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों सहित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ भारत की सीमाओं पर 628 "समृद्ध गांवों" के निर्माण में लगा हुआ है।  माना जाता है कि ये गांव नागरिक और सैन्य गतिविधियों दोनों के लिए दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे के रूप में विकसित किए गए हैं। इससे एलएसी के साथ लगते इलाकों पर चीनी दावे को मदद मिलती है। हालांकि इससे भारतीय सेना की चिंताएं बढ़ गई हैं। 

अब तक एलएसी के किनारे इन गांवों के भीतर बनाई गई दो मंजिला विशाल इमारतें खाली थीं। हाल के महीनों में यहां चीनी नागरिकों ने आना शुरू कर दिया है। इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि ये रहने वाले नागरिक हैं या सैन्य कर्मी। तवांग और सिलीगुड़ी कॉरिडोर को छोड़कर अधिकांश आबादी वाले क्षेत्रों या रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों से काफी दूरी के बावजूद चीन उत्तर-पूर्व की सीमा से लगती एलएसी पर अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है।

इसके अतिरिक्त चीन भूटानी क्षेत्र के भीतर भी सीमावर्ती गांवों के निर्माण सहित बुनियादी ढांचे के विकास में लगा हुआ है। भारत ने भी पिछले तीन से चार वर्षों में सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। कनेक्टिविटी में सुधार और एलएसी के लिए वैकल्पिक मार्गों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 

वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के तहत 663 सीमावर्ती गांवों को व्यापक सुविधाओं के साथ आधुनिक बस्तियों में बदलने की योजना है। चीन की सीमा से लगे 17 गांवों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकास के लिए चुना गया है। अरुणाचल प्रदेश में राज्य के पूर्वी भाग और तवांग क्षेत्र में ज़ेमिथांग, ताकसिंग, चयांग ताजो, तूतिंग और किबिथु जैसे विशिष्ट गांवों को विकास के लिए पहचाना गया है।

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