चिदंबरम ने ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ की आलोचना की

By भाषा | Updated: July 16, 2021 16:11 IST2021-07-16T16:11:42+5:302021-07-16T16:11:42+5:30

Chidambaram criticizes 'vaccine nationalism' | चिदंबरम ने ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ की आलोचना की

चिदंबरम ने ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ की आलोचना की

जयपुर, 16 जुलाई पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कोरोना महामारी के समय ‘केंद्रीकरण व वैक्सीन राष्ट्रवाद’ समर्थक नीतियों की आलोचना करते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि क्या भारतीय लोकतंत्र कोरोना महामारी से उपजी चुनौती के लिए तैयार था और क्या इसने अपने लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा की?

वह यहां राजस्थान विधानसभा में ‘वैश्विक महामारी तथा लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में किया गया।

चिदंबरम ने कहा, "क्या भारतीय लोकतंत्र ने महामारी की चुनौती का सामना किया और अपने लोगों, विशेष रूप से गरीबों और बच्चों के जीवन व आजीविका तथा हितों की रक्षा की।" उन्होंने कहा कि महामारी पर तो सार्वभौमिक टीकाकरण से काबू पाया जा सकता है या दवाओं की खोज से बीमारी को ठीक किया जा सकता है लेकिन इस एक प्रश्न के उत्तर की निरंतर खोज की आवश्यकता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि हर राजनीतिक व्यवस्था यह दावा करती है कि यह लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त है, लेकिन "इस महामारी ने इस आत्मश्लाघा की कमियों को उजागर कर दिया। एक सच्ची संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री हर दिन संसद और जनता के लिए जवाबदेह होते हैं। हालांकि, किसी भी कमजोर लोकतंत्र में शासक अपनी जिम्मेदारी से बचने के अनेक रास्ते निकाल लेते हैं।’’

उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिकूल स्थिति से दो चार होने पर कमजोरियां समय के साथ सामने आ ही जाती हैं लेकिन इस महामारी ने कमजोरियों को बेरहमी से उजागर किया और कोई बहाना बनाने या छिपाने की गुंजाइश नहीं छोड़ी। चिदंबरम ने महामारी के समय केंद्रीयकरण सहित सात चुनौतियों को रेखांकित किया।

उन्होंने टीकों की आपूर्ति का आदेश नहीं देने को केंद्रीयकरण के खतरे का एक रूप करार दिया। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन और असमानता को कम करना लोकतांत्रिक देशों के बीच स्वीकृत लक्ष्य हैं और एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दो साल में 23 करोड़ लोगों को गरीबी की ओर धकेला गया।

उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा का अभाव महामारी का सबसे विनाशकारी प्रभाव रहा है। केंद्र और राज्यों की सरकारों के पास इस तबाही का कोई जवाब नहीं था और वे बस मूकदर्शक बनकर खड़ी रहीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियां अकेले राष्ट्रीय स्तर पर नहीं हैं। महामारी ने ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ की एक असामान्य घटना को जन्म दिया है।

चिदंबरम ने कहा,‘‘मैं जो बनाता हूं वह मेरा है, जो मैं खरीद सकता हूं वह मेरा है' यह ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ है।’’ उन्होंने कहा कि देश अपने टीके को बढ़ावा देने के लिए अन्य टीकों के उपयोग की अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक भागीदारी को नुकसान पहुंचाया है।

कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने भी अपने विचार रखे।

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Web Title: Chidambaram criticizes 'vaccine nationalism'

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