छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट: पत्नी के साथ जबरन सेक्स या बलपूर्वक संबंध बलात्कार नहीं, आरोपी पति को अदालत ने किया बरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 26, 2021 09:17 PM2021-08-26T21:17:50+5:302021-08-26T21:20:05+5:30
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पत्नी के बलात्कार के आरोपी पति को गुरूवार को बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, कानूनी रूप से विवाहित जोड़े के बीच यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं है, भले ही ये संबंध बल पूर्वक बनाए गए हो. हालांकि अदालत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत आरोपी पति खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा है.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पत्नी के बलात्कार के आरोपी पति को गुरूवार को बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, कानूनी रूप से विवाहित जोड़े के बीच यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं है, भले ही ये संबंध बल पूर्वक बनाए गए हो. हालांकि अदालत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत आरोपी पति खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने अपने पति और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा सहित कई आरोप लगाए थे. महिला ने अपने पति पर अप्राकृतिक सेक्स और जबरदस्ती संबंध बनाने का भी आरोप लगाया था.
मामले की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एनके चंद्रवंशी ने अपने आदेश में कहा कि, "एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौन क्रिया, जिसकी पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं है, बलात्कार नहीं है."
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि "इस मामले में, शिकायतकर्ता आवेदक नंबर 1 की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है, इसलिए, आवेदक नंबर 1 / पति द्वारा उसके साथ यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार का अपराध नहीं होगा, भले ही वह बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध हो.
कोर्ट ने आरोपी पति को आईपीसी की धारा 376 के तहत बरी कर दिया लेकिन 377, 498 ए और 34 के तहत आरोपों को बरकरार रखा है.