गोपालकों से गोबर खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार, 21 जुलाई को 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 25, 2020 08:50 PM2020-06-25T20:50:35+5:302020-06-25T20:56:46+5:30
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोबर प्रबंधन की दिशा में प्रयास करने वाली ये देश की पहली सरकार है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सरकार गोमूत्र खरीदने पर भी विचार कर सकती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बेहतर परिणाम होंगे।
रायपुरः देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ होगा, जहां सरकार गोबर खरीदी का काम करेगी। हरेली पर्व के अवसर पर राज्य सरकार गोधन न्याय योजना की शुरुआत करेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि गौ-पालन और गोबर प्रबंधन से पशुपालकों को होगा लाभ होगा।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में खुले में चराई की परंपरा रही है। इससे पशुओं के साथ-साथ किसानों की फसलों का भी नुकसान होता है। शहरों में अवारा घूमने वाले मवेशियों से सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिससे जान-माल दोनों का नुकसान होता है।
इस योजना के माध्यम से किसानों से गोबर खरीदा जाएगा तथा इससे वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जाएगा। बघेल ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य राज्य में गौ पालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उसके माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना राज्य के पशुपालकों के आर्थिक हितों के संरक्षण की एक अभिनव योजना साबित होगी।
इस अवसर पर मंत्री रविन्द्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, मोहम्मद अकबर, डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, डॉ. शिव कुमार डहरिया, गुरु रुद्र कुमार, मुख्यमंत्री के पंचायत एवं ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा, मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग, मुख्य सचिव आरपी मण्डल, अपर मुख्य सचिव वित्त अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सरकार ने 5 मंत्रियों की समिति और अधिकारियों की एक अन्य समिती बनाई
इस योजना को अमल में लाने के लिए सरकार ने 5 मंत्रियों की समिति और अधिकारियों की एक अन्य समिति बनाई है। मंत्रिमंडल की समिति गोबर खरीदने की दर तय करेगी, जबकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति गोबर से बनी खाद खरीदने की व्यवस्था करेगी।
इसका इस्तेमाल एक ओर जहां सड़क पर आवारा घूम रहे पशुओं को रोकने में होगा, वहीं गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। इसे बाद में किसानों, वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को दिया जाएगा। गोबर खरीदी की शुरुआत गाेधन न्याय योजना के तहत सरकार 21 जुलाई को हरेली त्योहार के दिन से करेगी। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जो गोबर की खरीद करेगा।
गोबर प्रबंधन की दिशा में प्रयास करने वाली ये देश की पहली सरकार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोबर प्रबंधन की दिशा में प्रयास करने वाली ये देश की पहली सरकार है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सरकार गोमूत्र खरीदने पर भी विचार कर सकती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बेहतर परिणाम होंगे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रदेश जैविक खेती की तरफ आगे बढ़े। फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का उद्देश्य प्रदेश में गौपालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी सुरक्षा और उसके माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते डेढ़ सालों में छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी के माध्यम से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने चारों चिन्हारियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठानों का निर्माण किया गया है।
राज्य के 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है
राज्य के 2200 गांवों में गौठानों का निर्माण हो चुका है और 2800 गांवों में गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। आने वाले दो-तीन महीने में लगभग 5 हजार गांवों में गौठान बन जाएंगे। इन गौठानों को हम आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं। यहां बड़ी मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण भी महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना राज्य के पशुपालकों के आर्थिक हितों के संरक्षण की एक अभिनव योजना साबित होगी। उन्होंने कहा कि पशुपालकों से गोबर क्रय करने के लिए दर निर्धारित की जाएगी। दर के निर्धारण के लिए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मंत्री मण्डलीय उप समिति गठित की गई है।
उन्होंने कहा कि गाय पालक दूध निकालने के बाद उन्हें खुले में छोड़ देते हैं। यह स्थिति इस योजना के लागू होने के बाद से पूरी तरह बदल जाएगी। पशु पालक अपने पशुओं के चारे-पानी का प्रबंध करने के साथ-साथ उन्हें बांधकर रखेंगे, ताकि उन्हें गोबर मिल सके, जिसे वह बेचकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में अवारा घूमते पशुओं की रोकथाम, गोबर क्रय से लेकर इसके जरिए वर्मी खाद के उत्पादन तक की पूरी व्यवस्था नगरीय प्रशासन करेगा।