लाइव न्यूज़ :

छत्तीसगढ़ की सत्ता में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी, इन 15 वजहों से मात खा गई रमन-शाह-योगी की तिकड़ी

By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 11, 2018 13:26 IST

Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav Results 2018: 15 वर्षों तक लगातार विपक्ष में रहने के बाद अब कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौटती दिखाई दे रही है। इसे सिर्फ एंटी इंकम्बेंसी नहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा भी मानना चाहिए। जानें पासा बदल जाने के पीछे की 15 बड़ी वजहें...

Open in App

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हिस्से से 15 साल के सत्ता का सूखा समाप्त होने के आसार मिल रहे हैं। 2018 के चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाती दिख रही है और इसी के साथ रमन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी 15 साल बाद कुर्सी से बेदखल हो सकती है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले तीन साल तक तो कांग्रेस पार्टी की सरकार रही लेकिन उसके बाद लगातार तीन कार्यकाल में बीजेपी के हाथों हार झेलनी पड़ी। सत्ता में कांग्रेस की वापसी के पीछे सिर्फ एंटी इंकम्बेंसी नहीं बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत भी शामिल है।  लोगों का कहना है कि इन बरसों में पहली बार ऐसा लगा कि कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। जानें कांग्रेस की वापसी की 15 प्रमुख वजहें...

1. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काफी असरे बाद लगन और रणनीति के साथ चुनाव लड़ा।  झीरम कांड में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित कांग्रेस के 13 नेताओं के मारे जाने के बाद भी कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पाई थी। लेकिन इस बार कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला।

2. प्रदेश कांग्रेस की बागडोर भूपेश बघेल को सौंपी गई जिनकी छवि एक तेज़तर्रार और लड़ाकू नेता की रही है। भूपेश बघेल ने पार्टी संगठन को खड़ा करना शुरू किया। ज़मीनी लड़ाइयां शुरु कीं और संगठन के ढांचे को बूथ के स्तर तक ले जाने की शुरुआत की।

3. प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पहली बार बूथ, सेक्टर और ज़ोन कमेटियों का गठन किया और कार्यकर्ताओं के लिए लगातार ट्रेनिंग का इंतज़ाम किया। इस ट्रेनिंग का असर यह हुआ कि ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ता के पास सरकार को घेरने की अच्छी तैयारी थी और वे बोलने लगे थे।

4. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी चयन में भागीदार बनाने का भी अच्छा संदेश गया और लोगों को लगा कि इस बार कांग्रेस ने टिकटें बहुत अच्छी बांटीं हैं। हालांकि कुछ जगहों पर असंतोष की खबरें मिली लेकिन उन्हें संभाल लिया गया।

5. कांग्रेस पार्टी ने इस बार सोशल मीडिया पर अच्छी सूझ बूछ दिखाते हुए बीजेपी से बढ़त हासिल की।

6. अजीत जोगी के पार्टी से बाहर होने का फायदा भी कांग्रेस पार्टी को मिला।

7. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेता रहे अजीत जोगी के बिना चुनाव लड़ रही थी. अजीत जोगी ने अपनी एक अलग पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी (CJCJ) बनाकर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया।

8. अजीत जोगी ने मायावती की पार्टी बसपा से समझौता कर लिया। आश्चर्यजनक रूप से सीपीआई भी इस गठबंधन में आ गई। जोगी-बसपा के साथ आने से यह लगा कि 50 प्रतिशत या इससे अधिक SC वोटों का ध्रुवीकरण इस गठबंधन की ओर हुआ है। लेकिन बचे SC वोट कांग्रेस और भाजपा में भी आए।

9. अजीत जोगी के कांग्रेस से निकलने पर वह OBC वोट कांग्रेस की ओर लौटा है जो अजीत जोगी की आक्रामक दलित राजनीति की वजह से छिटककर भाजपा की झोली में जा गिरा था। 

10. कांग्रेस ने भूपेश बघेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन्हें काम करने की स्वतंत्रता दी। भूपेश बघेल कुर्मी (OBC) हैं, इससे कुर्मी और दूसरी पिछड़ी जाति में अच्छा संदेश गया और इस बार यदि OBC वोट कांग्रेस में आते दिख रहे हैं तो इसकी एक वजह यह भी होगी।

11. प्रदेश के इकलौते सांसद ताम्रध्वज साहू को AICC में महत्व मिलने से साहू (OBC) समुदाय में भी अच्छा संदेश गया।

12. पीएल पुनिया को प्रदेश का प्रभारी बनाने से SC समुदाय में एक अच्छा संदेश गया है और वे लगातार सक्रिय रहकर इसका लाभ पार्टी को दिलाने में सफल भी रहे।

13. प्रदेश में बड़े नेताओं के बीच खींचतान एक समस्या थी. भूपेश बघेल और पी एल पुनिया ने मिलकर सभी नेताओं को एक मंच पर लाने की दिशा में अच्छा काम किया.

14. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के घोषणा पत्र ने भी चुनाव में सकारात्मक भूमिका निभाई है और इससे मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की ओर बढ़ा है। किसानों की धान ख़रीदी से लेकर बोनस के मामले में और भूमि अधिग्रहण के मुआवज़े तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने लगातार आंदोलन किए।

15. कांग्रेस के दबाव में ही भाजपा सरकार ने वनभूमि के सामुदायिक अधिकार के पट्टे निरस्त करने का फ़ैसला वापस लिया। वनाधिकार पर लगातार सम्मेलन आयोजित किए गए और वनों में बसे लोगों को भरोसा दिलाया गया कि सरकार आने पर वनभूमि के पट्टे दिए जाएंगे। इसका अच्छा असर हुआ है।

टॅग्स :विधानसभा चुनावछत्तीसगढ़ चुनावभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारविधानसभा चुनाव 2025-26ः 12 राज्य और 1.68 लाख करोड़ रुपये खर्च, महिलाओं को नकद सहायता देने की योजना, फ्री-फ्री में हो सकता...

भारतकेवल डिजिटल फौज खड़ी करने से क्या होगा?, कितनी बड़ी होगी और कैसे काम करेगी?

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

भारत4 राज्यों की 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के मतदान शुरू, जानें कौन आगे, कौन पीछे

भारतबेतिया विधानसभा सीटः कांग्रेस गढ़ पर भाजपा का कब्जा?, जानिए समीकरण और मतदाता संख्या, कौन मारेगा बाजी

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत