महाभारत के कर्ण की भूमि मुंगेर में छिडी जंग, नक्सल समस्या से जूझ रहे लोगों के बीच जातीय गोलबंदी हुई तेज

By एस पी सिन्हा | Published: April 20, 2019 05:43 AM2019-04-20T05:43:17+5:302019-04-20T05:43:17+5:30

बंदूक बनाने वाले कुटीर उद्योग के रूप में बदल चुके मुंगेर में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी दिखने लगी है

Chhadi Jung in Munger Land of Karna of Mahabharata, Ethnic mobilization between people fighting Naxal problem | महाभारत के कर्ण की भूमि मुंगेर में छिडी जंग, नक्सल समस्या से जूझ रहे लोगों के बीच जातीय गोलबंदी हुई तेज

महाभारत के कर्ण की भूमि मुंगेर में छिडी जंग, नक्सल समस्या से जूझ रहे लोगों के बीच जातीय गोलबंदी हुई तेज

बंदूक बनाने वाले कुटीर उद्योग के रूप में बदल चुके मुंगेर में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी दिखने लगी है. यहां दो बडे ताकतवर उम्मीदवारों के बीच सीधी भिडंत है. वैसे यहां बंदूक निर्माण का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. सरकारी नियंत्रण में बंदूक का निर्माण किया जाता है. हालांकि 12250 सालाना कोटे की जगह वर्तमान में 250 बंदूक का निर्माण हो रहा है. बंदूक विनिर्माण समूह के कार्यकारिणी सदस्य सौरभ निधि बताते हैं कि मुंगेर बंदूक फैक्ट्री आधुनिकता के दौर में पिछ्ड गई है. रिवाल्वर, पिस्टल व रायफल निर्माण की अनुमति दी जाती तो मुंगेर बंदूक फैक्ट्री देश की सबसे बडी फैक्ट्री होती.

वैसे, महाभारत के एक प्रसिद्ध पात्र दानवीर कर्ण की भूमि से भी मुंगेर को जानने के अलावे योग विद्यालय के कारण मुंगेर को अंतरराष्ट्रीय पहचान तो मिली, लेकिन आज भी यह विकास की रोशनी से ओझल रहा है. पिछले चुनाव की तरह इसबार भी मुख्य मुद्दे पुराने ही हैं. एनडीए ने नीतीश सरकार में मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, उनके मुकाबले महागठबंधन ने कांग्रेस के टिकट पर निर्दलीय विधायक अनंत कुमार सिंह की पत्नी नीलम सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

पहले अनंत सिंह ने यहां से अपने को उम्मीदवार घोषित किया था. बाद में टिकट उनकी पत्नी को मिला. खेती किसानी, रोजगार व नक्सल समस्या से जूझ रहे मुंगेर में जातीय गोलबंदी तेज हो गई है. यहां अति पिछडी जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं. पिछले चुनाव में राजद ने एक नये प्रत्याशी प्रगति मेहता को उम्मीदवार बनाया था. उनके मुकाबले एनडीए में लोजपा की वीणा देवी को जीत मिली थी. प्रगति मेहता तीसरे नंबर पर रहे थे. जबकि, दूसरे स्थान पर जदयू के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह रहे थे. उन्हें दो लाख 43 हजार 827 वोट मिले थे. जबकि, राजद उम्मीदवार को एक लाख 82 हजार वोट मिले थे. चुनाव जीतने वाली लोजपा की वीणा देवी को तीन लाख 52 हजार से अधिक वोट आये थे.

हालांकि, ललन सिंह और अनंत सिंह के बीच की टकराहट को लेकर मुंगेर की सीट पर देश भर की नजर है. इलाके के लोग बताते हैं, ललन सिंह और अनंत सिंह कभी एक दूसरे के मददगार हुआ करते थे. हाल के दिनों तक दोनों एक ही दल जदयू के सदस्य थे. अब अनंत सिंह जदयू से बाहर हैं. बाद के दिनों में राजनीतिक कारणों से दोनों की दूरियां बढी और अब एक-दूसरे के सामने खडे हैं. यहां पांचवें चरण में मतदान होना है. जैसे-जैसे वोट का दिन करीब आते जा रहा है, मुंगेर में सियासी तपिश बढती जा रही है. ललन सिंह लगातार इलाके में सभा कर रहे हैं. वहीं, अनंत सिंह का काफिला भी छोटे-छोटे इलाकों में भी दस्तक दे रहा है.  

एनडीए उम्मीदवार ललन सिंह को परिसीमन के बाद हुए पहले के दो लोकसभा चुनाव का अच्छा खासा अनुभव रहा है. 2009 में उन्हें जीत हासिल हुई थी. जबकि, पिछले चुनाव में उन्हें दूसरे नंबर पर रहना पडा था. इस बार उनकी नजर अपने स्वजातीय मतदाताओं के अलावा, अतिपिछडी जाति और दलित व मुस्लिम वोटरों पर भी टिकी है. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के समक्ष अपने स्वजातीय मतदाताओं में सेंधमारी के अलावा राजद के मजबूत माय समीकरण को साधने की चुनौती है.  

Web Title: Chhadi Jung in Munger Land of Karna of Mahabharata, Ethnic mobilization between people fighting Naxal problem