कॉर्बेट में अवैध निर्माण की जांच के मामले से चतुर्वेदी ने खुद को अलग किया

By भाषा | Updated: November 9, 2021 16:56 IST2021-11-09T16:56:13+5:302021-11-09T16:56:13+5:30

Chaturvedi recuses himself from the investigation of illegal construction in Corbett | कॉर्बेट में अवैध निर्माण की जांच के मामले से चतुर्वेदी ने खुद को अलग किया

कॉर्बेट में अवैध निर्माण की जांच के मामले से चतुर्वेदी ने खुद को अलग किया

देहरादून, नौ नवंबर भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में हुए कथित अवैध निर्माण में अधिकारियों की भूमिका की जांच से स्वयं को अलग कर लिया है। रेमन मैगसायसाय से सम्मानित चतुर्वेदी ने यह निर्णय जांचकर्ता के रूप में उनकी नियुक्ति को लेकर वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों द्वारा विरोधाभासी बयानों का हवाला देते हुए किया।

उत्तराखंड वन सेवा के प्रमुख राजीव भरतरी को लिखे एक पत्र में चतुर्वेदी ने कहा कि जब से उन्हें इस मामले की जांच का कार्य सौंपा गया है, वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी उनकी नियुक्ति को लेकर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं।

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मैंने अपने करियर में ‘‘सैकडों’’ भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में जांच की है जिनमें सत्ता में बैठे दलों के बड़े नेता और वरिष्ठ नौकरशाह आरोपी थे और इन जांचों के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो और केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसे संस्थानों तथा संसदीय पैनलों की भी प्रशंसा मिली है। लेकिन इस मामले में जांच के लिए नियुक्ति होने से जिस प्रकार की घबराहट, डर, भ्रम और आशंका पैदा हुई, वैसा कभी नहीं हुआ।’’

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा मामले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करने तथा उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अधिकृत किये जाने के बाद भरतरी ने गत दो नवंबर को चतुर्वेदी को अभयारण्य में अवैध निर्माण की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी।

इस प्रकार की परिस्थितियों में जांच करने में अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए वन अधिकारी ने पत्र में एक तरह से तंज कसते हुए अधिकारियों को सुझाव दिया है कि उन्हें मामले की जांच सौंपने से पहले वे यह तय कर लें कि दोषियों को वास्तव में सजा देना चाहते भी हैं या नहीं।

चतुर्वेदी ने अपने पत्र के साथ एक समाचार पत्र में छपी खबर को भी संलग्न किया है जिसमें मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जे एस सुहाग, अतिरिक्त प्रमुख सचिव (वन) आनंद बर्धन और वन मंत्री हरक सिंह रावत की जांच के बारे में प्रतिक्रियाएं हैं, जिनसे कथित तौर पर यह प्रतीत होता है कि यह कदम उन्हें ठीक नहीं लगा।

भरतरी द्वारा चतुर्वेदी को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने पर सुहाग के हवाले से छापी गई प्रतिक्रिया में कहा गया है कि मामले की जांच उनके अधिकारक्षेत्र में आती है और वह पहले ही यह जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक बी के गांगटे को सौंप चुके हैं। हांलांकि, इस बारे में गांगटे ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है।

समाचार पत्र की रिपोर्ट में प्रदेश के वनमंत्री हरक सिंह रावत की प्रतिक्रिया भी है जिसमें वह कह रहे हैं कि मामले के वन्यजीव क्षेत्र से संबंधित होने के कारण, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ही इसकी जांच करने के लिए अधिकृत हैं।

इस बीच, सूत्रों ने बताया कि चतुर्वेदी ने जांच से स्वयं को अलग कर लिया है क्योंकि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और वन मंत्री ने भरतरी द्वारा की गयी उनकी नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाए हैं।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसार, किसी वन्यजीव क्षेत्र में हुए किसी भी उल्लंघन के लिए सारे अधिकार मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के पास हैं और अगर चतुर्वेदी ने जांच की भी होती तो भी उनकी रिपोर्ट की कोई कानूनी रूप से मान्य नहीं होती।

एक ईमानदारी अधिकारी की छवि रखने वाले चतुर्वेदी फिलहाल हल्द्वानी में मुख्य वन संरक्षक (शोध) के पद पर तैनात हैं।

एनटीसीए ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के बफर जोन में पड़ने वाले कालागढ वन प्रभाग की पाखरो और मोरघट्टी क्षेत्रों में स्थलीय निरीक्षण किया था और पाया था कि प्राधिकारियों की पूर्वानुमति के बिना वहां इमारतों, पुलों और जलाशयों का अवैध निर्माण किया गया है। प्राधिकरण ने मामले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता जांच कराने तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।

चतुर्वेदी को जांच सौंपे जाने के तत्काल बाद छह नवंबर से कॉर्बेट प्रशासन ने पाखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों सहित कालागढ वन प्रभाग में बने अवैध निर्माणों का ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया था।

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Web Title: Chaturvedi recuses himself from the investigation of illegal construction in Corbett

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