अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने भारत के विक्रम लैंडर का पता चलने का दावा करते हुए उसकी एक तस्वीर साझा की है। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश नाकाम रही थी और विक्रम लैंडर का लैंडिंग से चंद मिनट पहले जमीनी केंद्रों से सम्पर्क टूट गया था।
नासा ने अपने ‘लूनर रिकॉनसन्स ऑर्बिटर’ (एलआरओ) से ली गई तस्वीर में अंतरिक्ष यान से प्रभावित स्थल को और उस स्थान को दिखाया है जहां मलबा हो सकता है। लैंडर के हिस्से कई किलोमीटर तक लगभग दो दर्जन स्थानों पर बिखरे हुए हैं। नासा ने एक बयान में कहा कि उसने स्थल की तस्वीर 26 सितम्बर को साझा की और लोगों से उस तस्वीर में लैंडर के मलबे को पहचानने की अपील की। आइए जानते हैं चंद्रयान 2 के लॉन्चिंग से लेकर अब तक की बड़ी बातें...
12 जून : इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा। 29 जून : सभी परीक्षणों के बाद रोवर को लैंडर विक्रम से जोड़ा गया।29 जून : लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया।04 जुलाई : चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1) से जोड़ने का काम पूरा किया गया।07 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 को लॉन्च पैड पर लाया गया।14 जुलाई : 15 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।5 जुलाई : इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया।18 जुलाई : चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से 22 जुलाई को दोपहर दो बजकर 43 मिनट का समय तय किया गया।21 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।22 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।24 जुलाई : चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी की कक्षा पहली बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई।26 जुलाई : दूसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।29 जुलाई : तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।02 अगस्त : चौथी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।04 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-2 उपग्रह से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।06 अगस्त : पांचवीं बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।14 अगस्त : चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी’ में प्रवेश किया।20 अगस्त : चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।22 अगस्त : इसरो ने चंद्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-2 के एलआई4 कैमरे से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।21 अगस्त : चंद्रमा की कक्षा को दूसरी बार बढ़ाया गया।26 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 से ली गई चंद्रमा की सतह की तस्वीरों के दूसरे सैट को जारी किया।28 अगस्त : तीसरी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।30 अगस्त : चौथी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई। एक सितंबर : पांचवीं और अंतिम बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।02 सितंबर : लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हुआ।03 सितंबर : विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने के लिए पहली डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।04 सितंबर : दूसरी डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।07 सितंबर : लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य और योजना के अनुरूप देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया।27 सितंबर: नासा ने चंद्रयान-2 के लैंडर की साइट की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए आशंका जताई थी कि विक्रम लैंडर की संभवत चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी।03 दिसबंर: नासा ने कहा कि चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर मिल गया है, जो 7 सितंबर को चंद्रमा के जमीनी संपर्क से पहले खो गया था। बता दें कि नासा ने कहा कि शनमुगा सुब्रमण्यन ने एलआरओ परियोजना से संपर्क किया और मुख्य दुर्घटनास्थल से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम में पहले टुकड़े की पहचान की। भारत का यह अभियान सफल हो जाता तो वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाता।