राम मंदिर की छत टपकने की खबरों पर चंपत राय ने दिया स्पष्टीकरण, गर्भगृह में एक बूंद भी पानी नहीं...ये है सच्चाई

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: June 26, 2024 19:03 IST2024-06-26T19:01:09+5:302024-06-26T19:03:56+5:30

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के बारे में आई खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है। चंपत राय ने कहा है कि गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नही टपका है, और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।

Champat Rai gave clarification on the news of leaking roof of Ram temple no drop of water in sanctum sanctorum | राम मंदिर की छत टपकने की खबरों पर चंपत राय ने दिया स्पष्टीकरण, गर्भगृह में एक बूंद भी पानी नहीं...ये है सच्चाई

(फाइल फोटो)

Highlightsराम मंदिर की छत टपकने की खबरों पर चंपत राय ने दिया स्पष्टीकरणकहा- गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नही टपकाकहा- न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है

नई दिल्ली: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के बारे में आई खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है। चंपत राय ने कहा है कि  गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से  नही टपका है, और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।

एक्स पर इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, "श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के संदर्भ में कुछ तथ्य आपके सामने रख रहा हूँ। गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से  नही टपका है, और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।  गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है, वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग ६० फीट ऊँचा) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्र  ३५ फीट व्यास का है। जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं, द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। रंग मंडप एवं गुढ़ मंडप के बीच दोनो तरफ (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलो पर जाने की सीढि़यां है, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढँकेगी।"

उन्होंने आगे कहा, "सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है जिससे मंदिर के भूतल के छत की लाइटिंग होती है। ये कन्ड्युट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश करा वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा।"

उन्होंने कहा, "ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था की छत से पानी टपक रहा है। जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था। उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा, प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा। फलस्वरूप कन्डयुट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नही जाएगा। मन्दिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है जिसका कार्य भी प्रगति पर है अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी।"

आगे बताया, "पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। श्री राम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अन्दर ही पूर्ण रूप से रखने के लिये रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है। मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है। अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है। उत्तर भारत में लोहे का उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मन्दिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है, देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं। भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से  एक लाख पन्द्रह हज़ार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं। प्रातः ६.३० बजे से रात्रि ९.३० बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है, किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है, मन्दिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है।"

Web Title: Champat Rai gave clarification on the news of leaking roof of Ram temple no drop of water in sanctum sanctorum

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