CG ELECTION 2023: सरगुजा संभाग की 14 सीटों का हाल, महराज बचाएंगे साख!

By स्वाति कौशिक | Published: November 30, 2023 02:29 PM2023-11-30T14:29:40+5:302023-11-30T15:01:35+5:30

CG ELECTION 2023: सरगुजा संभाग में चुनाव के पहले जहां एक तरफ कांग्रेस ने सीट डिक्लेअर करते समय कई वर्तमान विधायकों की टिकट काटे तो वहीं भाजपा ने यहां अपना दबदबा बनाने कई सांसदों को मौके दिए।

CG ELECTION 2023 congress bjp Situation 14 seats Surguja division, Maharaj will save credibility | CG ELECTION 2023: सरगुजा संभाग की 14 सीटों का हाल, महराज बचाएंगे साख!

CG ELECTION 2023: सरगुजा संभाग की 14 सीटों का हाल, महराज बचाएंगे साख!

Highlightsसरगुजा का सियासी घमासानटी. एस. बाबा के सामने दिखे राजेश अग्रवाल

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2023 विधानसभा चुनाव की बात करें तो हर एक सीट, हर एक जिला, हर एक संभाग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस विधानसभा चुनाव में जहां एक और 71 सीट रखने वाली कांग्रेस पार्टी संघर्ष करती दिखी, तो वहीं 15 साल सत्ता में रहने के बाद महज 15 सीटों पर सिमटने वाली भाजपा भी संघर्ष में दिखी।

90 विधानसभा वाले इस प्रदेश में संभाग वार अध्ययन किया जाए तो सरगुजा संभाग में  14 सीट हैं. जिसमें लगातार बीजेपी कांग्रेस बारी-बारी से अपनी बहुमत बनती रही है। प्रदेश निर्माण के बाद 2003 में हुए पहले चुनाव में सरगुजा संभाग में जहां 10 सीटों पर बीजेपी ने बाजी मारी तो वही चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा।

2008 की बात करें तो 8 सीटों पर बीजेपी रही और 5 सीटों पर कांग्रेस,  2013 में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बराबरी पर पहुंच गई और 7- 7 सीटों पर काबिज हुई। फिर आया दौर 2018 का जिसमे पूरे देश में बीजेपी की लहर बताने वाले भी छत्तीसगढ़ के परिणाम से चौक गए। यहां कांग्रेस की लहर भी कहा जाता है इस समय सरगुजा संभाग से बीजेपी का सूपड़ा पूरा साफ और 14 की 14 सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई वह भी भारी वोटिंग प्रतिशत के साथ।

सरगुजा संभाग में चुनाव के पहले जहां एक तरफ कांग्रेस ने सीट डिक्लेअर करते समय कई वर्तमान विधायकों की टिकट काटे तो वहीं भाजपा ने यहां अपना दबदबा बनाने कई सांसदों को मौके दिए। इस बार सरगुजा संभाग में दूसरे चरण में यानी 17 नवंबर को मतदान हुआ है इसके बाद 3 दिसंबर को मतगणना होनी है। छत्तीसगढ़ में सत्ता में पहुंचने के लिए सरगुजा संभाग की आधे से ज्यादा सीटों पर काबिज होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

सरगुजा संभाग विधानसभा वार-

भरतपुर सोनहत: भरतपुर सोनहत विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में गुलाब कमरों कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में इस विधानसभा सीट से विजय हुए थे, इस बार भी कांग्रेस ने उन्हें पर अपना विश्वास जताया है। गुलाब कमरों परिसीमन के पहले महेंद्रगढ़ सीट से दो बार विधायक रहे हैं, उनके पास अच्छा खासा राजनीतिक अनुभव भी दिखता है।

पर इस सीट पर भाजपा ने उनकी मुश्किलें बढ़ाने भाजपा से केंद्रीय राज्य मंत्री सांसद रेणुका सिंह को मैदान में उतारा है रेणुका सिंह आदिवासी समाज से हैं पूर्व में विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। रेणुका सिंह को एक तेज तर्रार महिला नेता के रूप में भी जाना जाता है।

महेंद्रगढ़: महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट में वर्तमान विधायक डॉ विनय जायसवाल का टिकट काटते हुए कांग्रेस ने नए चेहरे को मौका दिया है। इस बार महेंद्रगढ़ सीट से पार्टी ने सीनियर एडवोकेट रमेश सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

जानकारों की माने तो रमेश विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत के काफी करीबी माने जाते हैं काफी सीनियर एडवोकेट हैं। लेकिन सत्ता के खेल में अभी बिल्कुल नए हैं। महेंद्रगढ़ से बीजेपी ने श्याम बिहारी जायसवाल को टिकट दिया है। जिन्हें डॉक्टर विनय जायसवाल ने 2018 में तकरीबन 4000 वोटो के अंतर से हराया था।  

बैकुंठपुर : बैकुंठपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर वर्तमान विधायक अंबिका सिंहदेव को मौका दिया है। बताया जाता है कि अंबिका सिंहदेव सरगुजा महाराज डिप्टी सीएम टी. एस. सिंहदेव की करीबी है। अंबिका का सीधा संबंध बैकुंठपुर राजघराने से है। बैकुंठपुर विधानसभा सीट में राज परिवार का दबदबा हमेशा दिखाई पड़ता है।

जिसके चलते ज्यादातर यहां कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है। भाजपा ने बैकुंठपुर से भैया लाल राजवाड़े को मौका दिया है, भैया लाल राजवाड़े 2013 में महज़ 1000 वोटो के अंतर से ही चुनाव जीत सके थे, और 2018 में कांग्रेस की अंबिका ने उन्हें करीब 3:30 हजार वोटो से चुनाव हराया था। जबकि 2018 के चुनाव में 17000 वोट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी को मिले थे।

प्रेमनगर: प्रेम नगर विधानसभा सीट में इस बार कांग्रेस ने खेल साय सिंह को मैदान में उतारा है, तो वहीं भाजपा ने भूलन सिंह मरावी को टिकट दिया है। इस सीट पर 2003 और 2008 में भाजपा की रेणुका सिंह ने 18000 और 16000 मतों से कांग्रेस को पराजित किया था। लेकिन तब उनके सामने खेल से सिंह नहीं थे, साल 2018 में कांग्रेस ने दोबारा खेल से सिंह को मैदान में उतारा और वह भाजपा से 20000 वोटो से चुनाव जीते इससे पहले 1990 में खेल से सिंह यहां से विधायक और तीन बार सरगुजा लोकसभा के सांसद रह चुके हैं।

भटगांव: भटगांव विधानसभा सीट अंबिकापुर और सरगुजा शहर से लगी हुई विधानसभा सीट है जिसका परिसीमन 2008 में हुआ और 2008 में यह विधानसभा अस्तित्व में आया इसका क्षेत्रफल काफी छोटा है इसकी सीमाएं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लगते हैं क्षेत्र में कोयल की खदानें हैं इसलिए बाहरी राज्यों के मतदाता भी यहां है।

कांग्रेस ने यहां से वर्तमान विधायक पारसनाथ राजवाड़े को मौका दिया है पारसनाथ राजवाड़े 2013 से इस क्षेत्र के विधायक है और एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है। तो वहीं भाजपा ने इस बार इस सीट पर जातिगत समीकरण साधने के लिए रजवाड़ समाज से महिला प्रत्याशी लक्ष्मी रजवाड़ों को टिकट दिया है जिनको टिकट मिलते ही पार्टी में विरोध कैसे पर उठने लगे थे संगठन के लोग काम नहीं करना चाहते थे अंबिकापुर शहर के लोगों का इस विधानसभा में खासा प्रभाव देखा जा सकता है।

अंबिकापुर : अंबिकापुर विधानसभा सीट का इतिहास अपने आप में बहुत पुराना और बड़ा है। यह सीट लगातार पिछले कई चुनाव में सरगुजा राज परिवार के पास रहा है। राज परिवार का सीधा समर्थन हमेशा से कांग्रेस के पास रहा है। यह सीट वर्तमान डिप्टी सीएम, स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव की है।

इस सीट के इतिहास के बारे में बात करें तो यहां पर कांग्रेस या सरगुजा राज परिवार या उनके समर्थित लोगों का ही कब्जा रहा है। भाजपा यहां सिर्फ एक बार 2003 में अपना जीत दर्ज कर पाई थी। इससे पहले 1970 में इंदिरा गांधी विरोधी लहर में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। आजादी के बाद सरगुजा महाराज राम अनुज शरण सिंहदेव विधायक बन गए। 

फीर राजमाता देवेंद्र कुमारी भी अंबिकापुर से विधायक रही और 2008 में उन्होंने यह सीट अपने बड़े बेटे वर्तमान सरगुजा महाराज टी. एस. सिंहदेव को दे दिया। कांग्रेस ने इस बार अपना भरोसा टी. एस. सिंहदेव पर बनाए रखा, तो वहीं भाजपा को अपना प्रत्याशी इस विधानसभा क्षेत्र में घोषित करने में खासी समस्याओं का सामना करना पड़ा। आखिरकार चुनाव के कुछ दिनों पहले नामांकन के आखिरी समय आते-आते बीजेपी ने लखनपुर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष राजेश अग्रवाल को बतौर प्रत्याशी टिकट दिया। 

सीतापुर: सीतापुर विधानसभा सीट इस सीट को कांग्रेस के अपराजिता किले के रूप में भी देखा जाता है। वर्तमान में कांग्रेस की सरकार में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत यहां से विधायक हैं और 2018 के चुनाव में 86670 वोट इन्हें मिले थे। बताया जाता है कि इस विधानसभा सीट में कभी भी बीजेपी के लहर जैसी कोई बात नहीं हुई लगातार पिछले चार चुनाव में अमरजीत भगत अजय विजेता रहे हैं।

भाजपा ने इस बार यहां नए युवक को मौका देते हुए पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो को उम्मीदवार बनाया है। तोपो राजनीति में नए हैं पर युवा वर्ग को साधने के लिए लगातार पिछले साल भर से मेहनत कर रहे थे। जानकारों की माने तो सीतापुर क्षेत्र में इस बार खासी ठाकर देखने मिली।

प्रतापपुर: प्रतापपुर विधानसभा सीट कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष राजकुमार मरावी को टिकट दिया है। यह सीट पहले भी कांग्रेस के खेमे में थी जिस पर डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम बतौर विधायक चुनकर आए थे, जिन्हें कई विभागों का मंत्री भी बनाया गया। पर पार्टी ने पहले उनसे उनका कैबिनेट मंत्री का पोर्टफोलियो लिया उसके बाद इस क्षेत्र से विधानसभा की टिकट भी नहीं दी।

कांग्रेस की राजकुमारी मरावी के मुकाबले भाजपा ने यहां से शकुंतलाप पोर्टन को टिकट दिया है, जो की वर्तमान में सरपंच है। जानकारों की माने तो 1985 के चुनाव से लेकर अब तक यहां हर बार विधायक का चेहरा बदलते रहा है। जनता एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को चुनती  आई है।

ऐसे में डॉक्टर प्रेमसाय सिंह इस सीट से लगातार अंतराल में विधायक रहे हैं। कांग्रेस ने कई बार मंत्री रहे टेकम की जगह एक जिला पंचायत अध्यक्ष को इस बार मौका दिया है। यह मौका कितना सहि सिद्ध होता है यह तो 3 तारीख को ही पता चलेगा।

लुंड्रा: लुंड्रा विधानसभा सीट भौगोलिक रूप से यह विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर से लगा हुआ है। अंबिकापुर नगर निगम के कुछ हिस्से भी इस विधानसभा के अंतर्गत आते हैं। जानकारों की माने तो सरगुजा राज परिवार का सीधा दखल हमेशा इस विधानसभा सीट पर देखा गया है। वर्तमान में यहां से कांग्रेस ने डॉक्टर प्रीतम राम को मौका दिया है।

इससे पहले प्रीतम राम सामरी से विधायक थे, लेकिन 2018 में चिंतामणि सिंह और प्रीतम राम को एक दूसरे की सीट पर बदल गया। दोनों ने ही कांग्रेस के लिए 2018 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। भाजपा ने डॉक्टर प्रीतम राम के सामने अंबिकापुर नगर निगम से दो बार मेयर रहे प्रमोद मांझी को बतौर प्रत्याशी उतारा है। 

सामरी: सामरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक चिंतामणि महाराज की टिकट काट दी है, और नए चेहरे विजय पैकरा को मौका दिया है। विजय इस चुनाव में सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश करते दिखे। तो वहीं भाजपा ने इस बार महिला प्रत्याशी उधेश्वरी पैकरा को मौका दिया है।

उधेश्वरी भाजपा के पुराने नेता और इस सीट से दो बार मौका पा चुके सिद्धार्थ पैकरा की पत्नी है। सिद्धार्थ 2013 में प्रीतम राम से और 2018 में चिंतामणि महाराज से शिकस्त खा चुके हैं। 2023 के सीट बंटवारे से नाराज चिंतामणि महाराज ने अपने बगावती सुर भी क्षेत्र में दिखाएं। जिसका खामियाजा भी इस बार कांग्रेस को झेलना पड़ सकता है।

रामानुजगंज: रामानुजगंज विधानसभा सीट कई मामलों में इस बार खासी विवादित स्थिति में रही हैं। कांग्रेस ने यहां से वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह का टिकट काट कर अंबिकापुर मेयर डॉक्टर अजय तिर्की को अपना प्रत्याशी बनया है। जानकारों की माने तो डॉक्टर अजय तिर्की स्वभाव से बेहद नरम व्यक्ति हैं, और राह चलते लोगों का इलाज करते रहते हैं।

इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपने अनुभवी चेहरे कई बार मंत्री रहे राम विचार नेताओं को मैदान में उतारा है। रामविचार नेताम चार बार विधायक दो बार मंत्री और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। काफी अनुभवी और तेज तर्रार माने जाने वाले नेताओं का सीधा टक्कर सरल स्वभाव वाले माने जाने वाले डॉक्टर अजय तिर्की से है, अब देखने वाली बात यही होगी कि इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह के खराब रवैया का परिणाम कांग्रेस को मिलता है, या  अनुभवी  उम्मीदवार उतारने का फायदा बीजेपी को। 

जशपुर: जशपुर विधानसभा सीट के लिए माना जाता है कि यह राज परिवार के पास ही रही है, पर दिलीप सिंह जूदेव के निधन के बाद भाजपा यहां पर कमजोर पड़ गई। इस क्षेत्र की राजनीति में हमेशा धर्मांतरण और हिंदुत्व का मुद्दा हावी रहा है। इस विधानसभा सीट में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही जातिगत समीकरण को साधने का प्रयास किया है।

कांग्रेस ने सीटिंग विधायक विनय भगत को टिकट दिया है तो वहीं भाजपा ने उनके खिलाफ पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राय मुनि भगत को टिकट दिया है। इस सीट पर दो महत्वपूर्ण फैक्टर काम करते हैं। जिसमें झारखंड बॉर्डर होने की वजह से वहां के सियासत पर असर डालती है, तो वहीं उराव समाज के मतदाता यहां के प्रत्याशियों का भाग्य तय करते हैं।

पत्थलगांव: पत्थलगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक राम पुकार सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है। राम पुकार सात बार विधायक रह चुके हैं, और कांग्रेस में काफी कद्यावर नेता के रूप में माने जाते हैं। भाजपा ने इनको टक्कर देने के लिए रायगढ़ की वर्तमान सांसद गोमती सहायक को मैदान में उतार दिया है। जानकारों की माने तो यहां की जनता चुनावी पार्टी के चिन्ह और कैंडिडेट के छवि के आधार पर फैसला लेती है।

कुनकुरी: कुनकुरी विधानसभा सीट में राज परिवार का खासा प्रभाव देखा जाता रहा है। कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक यूडी मींज को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पर भाजपा ने यहां पर हिंदुत्व का मुद्दा देखते हुए अपने सीनियर लीडर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव सहाय को टिकट दिया है।

विष्णु देव सहाय कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं, साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। इस क्षेत्र में सीधा मुकाबला हिंदू बनाम इसाई का देखा जाता है। यहां पर उरांव समाज के वोटर अधिक होने के चलते प्रत्याशी का भाग्य तय करते हैं।

फिलहाल संभाग की 14 विधानसभा सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है अब देखने वाली बात यही होगी कि इस पूरी तरीके से राजवंशी हस्तक्षेप वाले संभाग में कौन सी पार्टी बहुमत पर आती है। 14 की 14 सीटों पर कांग्रेस का यहां कब्ज़ा है।

बीजेपी ने यहां बतौर उम्मीदवार तीन सांसदों को मैदान में उतारा है। अब देखना यही होगा कि राजवंश की जीत भारी होती हैं या सांसदों की छवि बरकरार रहती है। बहरहाल दोनों ही पार्टियों ने अपने हिस्से की मेहनत पूरी कर ली है और अब इंतजार 3 दिसंबर को आने वाले परिणामों का है।

Web Title: CG ELECTION 2023 congress bjp Situation 14 seats Surguja division, Maharaj will save credibility

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