SC में दाखिल याचिका पर केंद्र का जवाब, शादी को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है एडल्टरी कानून
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 11, 2018 10:42 PM2018-07-11T22:42:35+5:302018-07-11T22:42:35+5:30
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अडल्टरी कानून के तहत जो कानूनी प्रावधान है उससे शादी जैसी संस्था प्रोटेक्ट होती है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अडल्टरी कानून के तहत जो कानूनी प्रावधान है उससे शादी जैसी संस्था प्रोटेक्ट होती है। धारा 497 को खत्म करमे के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया है।
कोर्ट के सामने सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर एडल्टरी से जुड़ी धारा 497 को खत्म किया जाता है तो इससे शादी जैसा महत्वपूर्ण सम्बंध कमजोर होगा और इसकी पवित्रता को भी नुकसान होगा। कहा गया है कि इस धारा को खत्म करने की याचिका पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कोर्ट में पेश की गई याचिका में अपील की गई है कि धारा-497 एक लिंग भेदभाव करने वाली धारा है, जिसके तहत पुरुषों को दोषी पाए जाने पर सजा दी जाती है, जबकि महिलाओं को नहीं। ऐसे में भेदभाव वाले इस कानून को गैर संवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए। ऐसे में इस याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अपना पक्ष रखा है।
वहीं, इस मामले पर आज केंद्र की ओर से कहा गया है कि धारा-497 शादी को सेफगार्ड करती है। यह प्रावधान, संसद ने विवेक का इस्तेमाल कर बनाया है ताकि शादी को प्रोटेक्ट किया जा सके। ये कानून भारतीय समाज के रहन-सहन और तानाबाना देखकर ही बनाया गया है। लॉ कमिशन इस मामले का परीक्षण कर रही है। उनकी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।
जानें क्या है धारा 497
इस धारा के मुताबिक शादीशुदा महिला के साथ कोई पुरुष संबंध बनाता है को उसका पति एडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है। इस धारा के जरिए 5 साल की सजा पुरुष को हो सकती है। लेकिन इसमें संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है। बता दें कि यह धारा महज शादीशुदा महिला के साथ सम्बंध बनाने पर लगाई जाती है, बिना शादीशुदा महिला, सेक्स वर्कर या विधवा से सम्बंध बनाने पर इस धारा के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया जाता है।